मराठी के प्रसिद्ध लेखक विश्वास पाटिल ने शिवाजी पर उपन्यास त्रयी लिखा है और ऐतिहासिक उपन्यासों में उनका बहुत ऊँचा मेयार है। आज पढ़िए उनका लिखा यह प्रसंग- मॉडरेटर ========================== औरंगजेब की लड़ाकू ब्राह्मण सरदारनी! जिसने शिवाजी महाराज के खिलाफ तलवार उठाई! साथ ही अफजल खान की मदद करने और अपनी रियासतों के लिए शिवाजी महाराज की जान के दुश्मन बने मराठा सरदारों की सूची! -विश्वास पाटील इतिहास का चक्र बड़ा ही विचित्र है। विदर्भ स्थित माहूर की रायबाघन देशमुख औरंगजेब की प्रिय सिपहसालार थी। शिवाजी महाराज के खिलाफ उसने कई लड़ाइयों में हिस्सा लिया और मैदान-ए-जंग में अपनी तलवार…
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मनोहर श्याम जोशी की पुण्यतिथि पर प्रस्तुत है यह साक्षात्कार जो सन 2004 में आकाशवाणी के अभिलेखगार के लिए की गई उनकी लंबी बातचीत का अंश है.यह बातचीत मैंने ही की थी। उसमें उन्होंने अपने जीवन के अनेक अनछुए पहलुओं को लेकर बात की थी। यहां एक अंश प्रस्तुत है जिसमें उन्होंने अपने जीवन और लेखन के कुछ निर्णायक पहलुओं को लेकर खुलकर बातें की हैं. पूरी ईमानदारी से. उनके अपने शब्दों में कहें तो ‘बायोग्राफी पॉइंट ऑफ व्यू’ से- प्रभात रंजन ====================== प्रश्न- आपके उपन्यास हों चाहे सीरियल उनमें चरित्र-चित्रण भी जबर्दस्त होता है और किस्सागोई भी सशक्त होता…
आज मनोहर श्याम जोशी की पुण्यतिथि है। आज एक दुर्लभ पत्र पढ़िए। जो मनोहर श्याम जोशी को उनके गुरु अमृतलाल नागर ने लिखा था। अमृतलाल नागर को वे अपना गुरु मानते थे। पत्र का प्रसंग यह है कि 47 साल की उम्र में शिष्य मनोहर श्याम जोशी का पहला उपन्यास ‘कुरु कुरु स्वाहा’ प्रकाशित हुआ तो उन्होंने गुरु जी को पढ़ने के लिए भेजा। लेकिन गुरु शिष्य की तारीफ़ करने के साथ साथ कमियों के बारे में भी खुलकर बता रहा है। यह पत्र इसलिए प्रस्तुत कर रहा हूँ ताकि हम दो मूर्धन्य लेखकों के आपसी संवाद का खुलापन देख…
लेखक-कवि विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने पर यह टिप्पणी लिखी है अमेरिका प्रवासी प्रसिद्ध अंग्रेज़ी लेखक अमितावा कुमार ने। लेखक की अनुमति से हम इसका हिन्दी अनुवाद प्रकाशित कर रहे हैं। अनुवाद किया है कुमारी रोहिणी ने। कुमारी रोहिणी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से कोरियन भाषा और साहित्य में पीएचडी तक पढ़ाई की है- मॉडरेटर ================================================ 88 साल के हिन्दी लेखक विनोद कुमार शुक्ल को इस साल का ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार है। मेरे दोस्त रवीश ने उस रात अपने शो में कहा कि इस चमकते-दमकते भारत में शुक्ल उस…
पिछले कई दिनों से एक जज और उसके घर में लगने वाली आग और उससे जुड़े तमाम तथ्य खबरों में बने हुए हैं। विष्णु प्रभाकर जी ने बहुत पहले न्यायपालिका के भ्रष्टाचार पर यह कहानी लिखी थी जिसका शीर्षक है धरती अब भी घूम रही है। आप यह कहानी पढ़िए – मॉडरेटर ================================== आयु नीना की दस वर्ष की भी नहीं थी लेकिन बुद्धि काफ़ी प्रौढ़ हो गई थी। जैसा कि अक्सर मातृ-हीन बालिकाओं के साथ होता है, बुज़ुर्गी ने उसके लिए आयु का बंधन ढीला कर दिया था। इसलिए जब उसने सुना कि कुछ दूर पर सोया हुआ उसका…
आज पढ़िए युवा लेखक आलोक कुमार मिश्रा की कहानी ‘दूध की जाति’। हाल में इसी नाम से उनका कहानी संग्रह प्रकाशित हुआ है। पढ़िए न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन से प्रकाशित इस संग्रह की शीर्षक कहानी- मॉडरेटर =============================== (1) मिसिराइन के प्रसव का दर्द पूरे चढ़ान पर था। दर्द ऐसा कि औरतों की ये नसीहतें कि ‘एतना आवाज ना निकारौ, बहरे मरद बइठे हैं’ जैसे मिसिराइन के कान तक भी न पहुँच पा रहीं थीं। उसकी चीखें सुन बाहर अधीर खड़े परमेसर मिसिर के सीने में पहले से ही तेजी से धुकधुका रहा जी और रफ्तार पकड़ जाता। ऊपर से इस बार…
बरसों बाद अशोक कुमार पांडेय का कविता संग्रह प्रकाशित हुआ है ‘आवाज़-बेआवाज़’। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस संग्रह को पढ़कर उस पर यह विस्तृत टिप्पणी लिखी है जाने-माने कवि पवन करण ने। आप भी पढ़ सकते हैं- मॉडरेटर =========================== जहां से आवाज़ आनी थी वहां से चुप्पियों के फ़रमान जारी हो रहे हैं। अशोक कुमार पांडेय की कविता की गति बहुत तेज है। एकदम तूफान सी। जैसे आप प्लेटफार्म पर खड़े हैं और आपके सामने से सनसनाते हुए उस स्टेशन पर न रुकने वाली ट्रेन गुजरती है। आप उसकी गति से थरथराते प्लेटफार्म पर खुद को संभालते हुए बस उसका…
अविनाश दास द्वारा निर्देशित फ़िल्म ‘इन गलियों में’ पर प्रसिद्ध लेखिका कविता ने यह विस्तृत टिप्पणी की है। उनकी लिखी यह सुंदर टिप्पणी आपसे साझा कर रहा। पढ़ियेगा- मॉडरेटर ===================== ‘इन गलियों में’ फिल्म पर बात करने से पहले कुछ अवांतर लेकिन जरूरी बातें – हम जब इलाहाबाद के पीवीआर में यह फिल्म देख रहे थे, पर्दे के समानांतर पिक्चरहॉल में हमने एक और फिल्म को भी चलते पाया। इलाहाबाद गंगा-जमुनी सभ्यता और तहज़ीब का शहर है। इस फिल्म की कहानी का नाभि-नाल इस शहर से जुड़ा और इसी में कहीं गड़ा हुआ भी है। इस फिल्म का आधारस्त्रोत दिवंगत…
प्रमोद द्विवेदी की कहानियाँ अपनी जीवंत भाषा और ज़बरदस्त नाटकीयता के कारण याद रह जाती है। अब यह कहानी ही पढ़िए- मॉडरेटर =========================== घर छोड़कर निकले सिंघल साहब ने ऐसी उम्मीद तो की ही नहीं थी। घर से इतनी दूर, चाय की टपरी पर राष्ट्रीय हिंदी अखबार के लापता कॉलम में अपनी तस्वीर देखकर घबरा गए। साथ में सूचना थी- ‘सर्व साधारण को इत्तिला किया जाता है, मेरे पिताजी घनश्याम दास सिंघल, उम्र 68 साल, रंग सांवला, कद पांच फीट आठ इंच, माथे पर कट का निशान, दिनांक 08-04-24 से लापता हैं। इधर कुछ अरसा से उनकी मानसिक दशा…
तलईकूतल एक प्राचीन और अमानवीय प्रथा है, जो मुख्य रूप से दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु में प्रचलित रही है, जिसमें बुजुर्गों को उनकी ही इच्छा के विरुद्ध मार दिया जाता था। तमिलनाडु की इसी प्रथा के विचार पर आधारित ‘तलईकूतल’ शीर्षक से ही एक कहानी मैंने पिछले दिनों पढ़ी। अत्यंत ही सहज भाषा और रोचक शैली में लिखी इस मार्मिक कहानी को पढ़ते हुए आप इसकी मुख्य पात्र एलीकुट्टी के दर्द को साझा करने लग जाते हैं, उसके संघर्ष आपको अपने लगने लग जाते हैं। उसके जीवन में आने वाली मुश्किलों और उस पर होने वाले अत्याचारों में ख़ुद को देखने…