महिंद्रा एक्सीलेंस इन थिएटर अवार्ड्स (मेटा) और महोत्सव की घोषणा हो चुकी है। आइये विस्तार से जानते हैं- मॉडरेटर =================== • शांता गोखले को 20वां मेटा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा जाएगा । • मेटा 2025 जूरी में कबीर बेदी, लिलेट दुबे, दादी पुदुमजी, के. नंदिनी सिंगला और सुधीर मिश्रा शामिल हैं । • नामांकित नाटक 13 मार्च, 2025 से 19 मार्च, 2025 तक दिल्ली में मेटा फेस्टिवल में कमानी और श्रीराम सेंटर में मंचित किए जाएंगे। नई दिल्ली: 20वें महिंद्रा एक्सीलेंस इन थिएटर अवार्ड्स (मेटा) और फेस्टिवल 2025 ने आज एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए बताया कि मेटा 2025 का…
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प्रसिद्ध रॉक बैंड ‘बीटल्स के गायक पॉल मैककार्टनी ने जॉन लिनन कि साथ मिलकर ब्लैकबर्ड फ़्लाई गीत लिखा जो दक्षिण अमेरिकी देशों में अश्वेत नागरिकों के संघर्ष का प्रत्येक बन गया।अब मैककार्टनी के लिखे इस गीत को लगभग 56 साल बाद अफ़ीकन-अमेरिकन गायिका बियोन्से नोल्स ने फिर गाया है। बियोन्से का गाया यही गीत उनके नवीनतम हिट म्यूज़िक एलबम ‘काउबॉय कार्टर’ में शामिल है। बियोन्से के इसी एलबम को ‘कंट्री म्यूज़िक’ श्रेणी में ग्रैमी का ‘एलबम ऑफ द ईयर’ अवॉर्ड-2025 दिया गया है। इस एलबम के जरिए वे काले कलाकारों के योगदान को पुनर्स्थापित करती हैं जिन्हें विस्मृति के गर्त…
वाणी त्रिपाठी के स्तंभ जनहित में जारी सब पर भारी में आज पढ़िए तमिलनाडु में हो रहे हिन्दी विरोध की राजनीति और राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़े व्यावहारिक पहलुओं के बारे में- मॉडरेटर =========================== फरवरी 2025 में तमिलनाडु में हिंदी थोपने के खिलाफ फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। अयप्पक्कम हाउसिंग बोर्ड के निवासियों ने रंगोली (कोलम) के जरिए विरोध जताया, जिसमें संदेश लिखा था – “तमिल का स्वागत है, हिंदी थोपना बंद करो”। यह विरोध डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन की उस टिप्पणी के बाद हुआ, जिसमें उन्होंने चेतावनी दी थी कि हिंदी के बढ़ते प्रभाव से तमिल भाषा…
आज कृष्णा सोबती के लेखन पर यह सुचिंतित लेख पढ़िए। लिखा है अनुरंजनी ने। अनुरंजनी दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में शोधार्थी हैं और जानकी पुल की संपादक हैं। कृष्णा सोबती के लेखक के अलग अलग पहलुओं को लेकर वह लिखती रही हैं। यह लेख उन्होंने रज़ा न्यास द्वारा आयोजित ‘युवा’ में पढ़ा था। इस बार का युवा कृष्णा सोबती के लेखन पर एकाग्र था। यह लेख पढ़िए और बताइए कि कृष्णा सोबती विराट विजन की लेखिका थीं या नहीं- प्रभात रंजन ============ ‘भारत का सोबती आख्यान’ इस शीर्षक के तहत यह समझने की कोशिश की गई है कि उनके लेखन…
आज पढ़िए वरिष्ठ लेखक उदयन वाजपेयी के कहानी संग्रह ‘पिराउद’ पर यह टिप्पणी। लिखा है कुमारी रोहिणी ने। रोहिणी कोरियन भाषा से पीएचडी हैं और कोरियन एवं हिन्दी साहित्य पर नियमित लेखन करती हैं। उदयन वाजपेयी की इस पुस्तक का प्रकाशन सेतु प्रकाशन से हुआ है। आप फ़िलहाल यह टिप्पणी पढ़िए- मॉडरेटर ======================== कहा जाता है ‘Do not judge a book by it’s cover’, लेकिन जहाँ तक मेरा मामला है मैं अक्सर ही किताबों के शीर्षक से आकर्षित, उत्सुक या दुखी होकर उन्हें पढ़ने का फ़ैसला करती हूँ या फिर छोड़ देती हूँ। इसी आदत के कारण, जो मालूम नहीं…
आज पढ़िए उज़्मा कलाम की कहानी ‘सिंगार’। उज़्मा के पास अपनी भाषा है, परिवेश पर पकड़ है और कहानी कहने की शैली है। जैसे यह कहानी- मॉडरेटर ======================= खेतो की पगडंडियों को पार करके, गाँव में घुसते ही बला की दहाड़ें मार-मार कर रोने की आवाज़ें सुनाई देने लगी। उफ़्फ़…!! एक दो नहीं झुन्ड का झुन्ड रोने में मशग़ूल था। किसी से पूछने की ज़रुरत ना थी। दूर से ही लुबान और अगरबत्ती की महक ने नाक पर हमला बोल दिया। यह मेरी नाक ने किसी भी तरह की मसनवी महक ना बर्दाश्त करने की क़सम खायी है। बस छींकना…
यतीश कुमार की किताब ‘बोरसी भर आँच – अतीत का सैरबीन’ के प्रकाशन का एक वर्ष पूरा हो चुका है। पूरे साल इसकी चर्चा बनी रही। अब भी हो रही है। पढ़िए इसके ऊपर नई टिप्पणी जो लिखी है डॉ सुशीला ओझा ने- मॉडरेटर ============================ संघर्ष माँजता है, परिष्कार करता है, निखारता है। साहित्य की बोरसी में आग का रहना आवश्यक है। बोरसी मिट्टी की बनी होती है, सहिष्णुता के भाव से सराबोर रहती है और एक मौन साधक की तरह दूसरों को ऊष्मा देने के लिए स्वयं जलती रहती है। बोरसी की एक छोटी सी चिंगारी, राख में दबी…
आज से हम एक नया स्तंभ शुरू कर रहे हैं- जन हित में जारी, सब पर भारी! स्तंभ की लेखिका हैं वाणी त्रिपाठी। वाणी ने थियेटर, फ़िल्मों, टीवी धारावाहिकों में अभिनय किया। साथ ही, अंग्रेज़ी में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में नियमित स्तंभ लिखा। वह संस्कृति के क्षेत्र की एक मुखर आवाज़ हैं। इस स्तंभ में वह संस्कृति, भाषा से जुड़े विषयों पर लिखेंगी। आज प्रस्तुत है स्तंभ की पहली कड़ी- मॉडरटेटर ============= आज के सोशल मीडिया के युग में, जहां हर ट्वीट, जोक या पोस्ट एक बवंडर का रूप ले सकता है, हास्य अब किसी भी खाली स्थान में नहीं…
आज पढ़िए पूनम सोनछात्रा की दुःख की नौ कविताएँ – अनुरंजनी ============== 1. लड़की मुस्कुराती है न सिर्फ़ तस्वीरों में बल्कि आमने-सामने भी लेकिन उसके मुस्कुराने से नहीं बजता जलतरंग कोई इंद्रधनुष आसमान पर नहीं सजता कहीं फूल नहीं खिलते पक्षी चहचहाते नहीं हैं और न ही हवा कोई गीत गुनगुनाती है मुस्कुराहट के साथ सुखी दिखने की चेष्टा लड़की का उद्यम है और दुःख… लड़की का भाग्य 2. दुःख छाती पर पड़ा वह बोझ है जिसके भार तले दबा हुआ है समूचा अस्तित्व दुःख तो यह भी है कि इस भार को उतारने के लिए न कोई कुंभ है…
रज़ा न्यास द्वारा आयोजित दो दिवसीय आयोजन ‘युवा’ की यह रपट लिखी है जानकी पुल की युवा संपादक अनुरंजनी ने- ================== 18 फरवरी को कृष्णा सोबती का जन्मशती पूरा हुआ। इस अवसर पर रज़ा न्यास द्वारा दिनांक 19-20 फरवरी को उन पर एकाग्र दो दिवसीय कार्यक्रम हुआ – ‘युवा-2025’, जिसमें विभिन्न विषयों पर कुल 9 सत्र हुए। यह ‘युवा’ का सातवाँ आयोजन था। जो इस आयोजन की रूपरेखा से परिचित हैं वे जानते हैं कि हर सत्र में युवा लेखकों के वक्तव्यों के बाद एक वरिष्ठ लेखक उन पर टिप्पणी करते हैं। ज़ाहिर है इस बार भी यह होना था।…