जेनेरेटिव एआइ ने समाज के सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रभाव डाला है। चिकित्सा विज्ञान, विधि, फाइनेंस, कला, चलचित्र, मैन्युफैक्चरिंग से लेकर तमाम क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की शाखा ‘जेनेरेटिव एआइ’ से कई नौकरियाँ गयी हैँ और उत्पादन क्षमता बढ़ी है। जेनेरेटिव एआइ डिजिटल सूचनाओं का पैटर्न और सम्बन्ध समझ कर मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग जैसी तकनीक से सृजनात्मकता पर मानव के एकाधिकार को चुनौती दी है। आज जीपीटी के सहायता से लेख सुधारे ही नहीं, बल्कि लिखे भी जा रहे हैं। सवाल यह उठता है कि जेनेरेटिव एआइ हिन्दी के पठन-पाठन और काव्य आलोचना किस तरह बदल देगा? क्या…
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वनमाली कथा पत्रिका के फ़रवरी अंक में युवा लेखिका प्रियंका दुबे की कहानी प्रकाशित हुई थी। वह कहानी आज आपके पढ़ने-विचारने के लिए प्रस्तुत है। इसके लिए विशेष रूप से भूमिका लिखी है हिन्दी-अंग्रेज़ी की जानी-मानी लेखिका अनुकृति उपाध्याय ने- मॉडरेटर ====================================== प्रियंका दुबे का लेखन मुझे तब से प्रिय रहा है जब से मैंने उनकी स्त्रियों पर हिंसा विषयक कथेतर पुस्तक ‘No Nation For Women’ पढ़ी। फिर उनकी नए भाव-संवेदनों से भरी बेहद सुंदर कविताएँ पढ़ कर मुग्ध हुई।प्रियंका की पहली प्रकाशित हिंदी कहानी को पढ़ कर बेहद उत्साहित हूँ। साहित्य के सत्य शिव सुंदर वाले सौंदर्यबोध को चुनौती…
आज प्रसिद्ध लेखक संजीव पालीवाल के स्तंभ ‘किताबी बात’ की शुरुआत कर रहे हैं। इस स्तंभ के माध्यम से हम हर बार आपको एक किसी नई लोकप्रिय किताब से रूबरू करवाने की कोशिश करेंगे। इस कड़ी में इस बात का ध्यान भी रखे जाने की कोशिश होगी कि इसे पढ़ने वाले को उस विधा की बारीकियों के बारे में भी जानकारी मिले अपने तरह के इस पहले स्तंभ की पहली कड़ी में आज का उपन्यास है ‘मार्क गिमेनेज’ का ‘द कलर ऑफ़ लॉ’। आप भी पढ़िए- मॉडरेटर ============================= मैं लेखक क्यूं बना। ये सवाल कई बार मेरे ज़ेहन में आता है।…
आज पढ़िए जानी-मानी लेखिका विनीता परमार की कहानी। यह नदियों से मनुष्य के आदिम रिश्ते की स्मृति कथा हो जैसे। आप भी पढ़िए- मॉडरेटर ========================= नदी कितना भटकती है; कभी सीधा तो कभी आड़े—टेढ़ा रास्ता लेती है,कभी—कभी सागर से दूर चली जाती है, फिर पास आ जाती है। लेकिन भटक—भटक कर भी सागर तक पहुंच ही जाती है। सागर तक पहुँचने में नदी को भी यह याद नहीं होता कि पत्थरों से गुजरती वो जाने कब पानी को चोट मारती है कि पत्थर की चोट नदी को लगती है। नदी ख़ुद से ही बहती है उसको ना धकियाने की जरूरत…
वरिष्ठ लेखिका मधु कांकरिया की किताब आई है ‘मेरी ढाका डायरी’। इस डायरी की एक ख़ासियत यह लगी कि इसमें बाग्लादेश की राजनीतिक परतों को उघाड़ने की कोशिश की गई है। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब का एक अंश पढ़िए- मॉडरेटर ======================================= मेरे ढाका प्रेम का आलम यह था कि हर जगह इतिहास दरिया के पानी की तरह मेरे सामने बहता रहता, कहीं भी ठहरकर मैं अंजलि भर लेती। सच है कि बीत कर भी इतिहास कभी नहीं बीतता, वरन वर्तमान के कानों में फुसफुसाने लगता है – देखो! देखो! हिन्दू आत्मा! मुझे देखो! कभी मैंने रसूल हमजातोव से…
मारियो वर्गास ल्योसा के उपन्यास ‘बैड गर्ल’ के एक सम्पादित अंश का अनुवाद.. ल्योसा का यह उपन्यास 2007 में प्रकाशित हुआ था। यह अंश एक तरह से कम्युनिस्ट आंदोलन पर उनकी टिप्पणी की तरह है- मॉडरेटर =============== पेरू से पेरिस में आकर मेरी और पॉल दोनों की जिंदगी बदल गई थी. वह अब भी मेरा सबसे अच्छा दोस्त था, लेकिन हमारा मिलना-जुलना कम हो गया था. कारण यह था कि मैंने यूनेस्को के लिए बतौर अनुवादक काम करना शुरु कर दिया था और मेरी जिम्मेदारियां बढ़ गई थीं. जबकि वह क्रान्तिकारी संगठन एमईआर से जुड़ गया था और वह उसके…
आज पढ़िए युवा लेखक निहाल पराशर की कहानी ‘कहानी फैक्ट्री’। यह कहानी भोपाल से निकलने वाली पत्रिका ‘वनमाली कथा’ में प्रकाशित हुई है। यह कहानी मुझे कई कारणों से अच्छी लगी इसलिए आप लोगों के लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ। कहानी में एक स्तर पर गंभीर और लोकप्रिय साहित्य का विमर्श भी है तो दूसरी तरफ़ आज का समय और लेखन पर उसके दबावों के संकेत भी हैं, लेकिन बिना लाउड हुए। साथ ही, कहानी बहुत रोचक शैली में लिखी गई है। समय निकालकर पढ़ियेगा- मॉडरेटर ============================= जब मैं पहली बार उससे मिला तब भी मैं जानता था मैं एक…
कुछ समय पहले अंग्रेज़ी के जाने माने लेखक शशि थरूर ने बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की जीवनी लिखी थी। जिसका हिन्दी अनुवाद लेखक-पत्रकार अमरेश द्विवेदी ने किया है। वाणी प्रकाशन से प्रकाशित ‘अंबेडकर एक जीवन’ नामक उस पुस्तक का एक अंश पढ़िए जो बाबसाहेब के जीवन के शुरुआती दिनों के बारे में है- मॉडरेटर ========================= एक नींव का निर्माण (1891 – 1923) नौ साल का एक बच्चा और उसके दो दोस्त बेहद प्रसन्न थे। एक बच्चे का सगा भाई था और दूसरा चचेरा। दूसरे शहर में नौकरी करने वाले लड़के के पिता ने उन्हें गर्मी की छुट्टियां साथ बिताने के…
कुबेरनाथ राय हिन्दी के प्रसिद्ध निबंधकार रहे हैं। उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों ‘रस आखेटक’ और ‘प्रिया नीलकंठी’ के बहाने या लेख लिखा है युवा लेखक प्रचण्ड प्रवीर ने। प्रचण्ड आईआईटी दिल्ली से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद बड़ी कंपनियों की नौकरी में आवाजाही करते रहते हैं और हिन्दी में विविध विधाओं में लिखते हैं। हाल में ही उनका उपन्यास आया है ‘मिटने का अधिकार- मॉडरेटर ================================== कल्पना कीजिए कि आप ‘आत्मा हशमतराय चैनानी’ के प्रशंसक हैँ और उनके स्मृति मेँ आयोजित सङ्गीत कार्यक्रम मेँ बड़े शौक से अपने एक मित्र के साथ जाते हैँ। मान लीजिए आप पाँच हज़ार…
प्रसिद्ध जासूसी उपन्यासकार इब्न-ए-सफ़ी के बारे में उनके पुराने पाठकों को पता होगा कि वे पहले असरार नारवी के नाम से शायरी करते थे और अच्छे शायर थे। कहते हैं कि एक बार उनके प्रकाशक दोस्त ने उनसे कहा कि उर्दू में ऐसी जासूसी उपन्यासों की बाढ़ आ गई है जो अश्लील होते हैं। ऐसे उपन्यास लिखे जाने चाहिये जो मनोरंजक भी हों और अश्लील भी न हों। शायर असरार नारवी ने यह चुनौती स्वीकार की और इब्न-ए-सफ़ी के नाम से उपन्यास लिखना शुरू किया। उसके बाद जो हुआ सब जानते हैं, आइये आज पढ़ते हैं उनकी कुछ ग़ज़लें- मॉडरेटर…