पेशे से फ्रेंच अध्यापक ऋचा बंगलौर में रहती हैं, लेखन के जरिये अपने को हासिल करना चाहती हैं. यह कहीं भी प्रकाशित होने वाली पहली रचनाएँ हैं- मॉडरेटर ======================= एक सुनो इस तरह जैसे सुनी जाती है सन्नाटे में पत्तियों की सरसराहट पूजाघर की घंटी जब सुनना मात्र क्रिया हो नीरसता निवास करती हो दो टूटी और बिखरी स्त्री का अस्तित्व मकड़ी के जाले के पहले रेशे की तरह है जो दिखाई नहीं देता अस्तित्व के जाल में जकड़ी हुई स्त्री अंतिम रेशे तक पहुंचने के लिए ना जाने कितने प्रहार सहती है प्रत्येक रेशे की रक्षा का भार लिए…
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आज पढ़िए प्रचण्ड प्रवीर की यह पोस्ट- =================== कल की बात – २५९ कल की बात है। जैसे ही मैँने रेस्तराँ मेँ कदम रखा, रिसेप्शन पर खड़े कर्मचारी ने मुझे टोका, “सर क्या आपकी कोई बुकिङ् है?” मैँने कहा, “नूर जहाँ के नाम से दो लोग के लिए टेबल रिजर्व होगी।“ कर्मचारी ने चुस्ती से कहा, “जी, वे आ गयीँ हैँ। आप उधर चले जाइए।“ मेरी नज़र जहाँ पड़ी वहाँ मैँ देखता रह गया नूर जहाँ के बेपनाह हुस्न को। मैँनै इससे पहली उसकी तस्वीर डेटिङ् ऐप पर देखी थी, लेकिन बेजान हुस्न में कहाँ रफ़्तार की अदा, इनकार की…
आज हिन्दी शायरी को बड़ा मुक़ाम देने वाले दुष्यंत कुमार की जयंती है। दुष्यंत कुमार ने ग़ज़लों के अलावा गद्य और पद्य में खूब लिखा और बेहतर लिखा। आज उनके काव्य-नाटक ‘एक कंठ विषपायी’ पर आज लिखा है वरिष्ठ लेखक डॉ भूपेन्द्र बिष्ट ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ======================== ये दरवाज़ा खोलो तो खुलता नहीं है, इसे तोड़ने का जतन कर रहा हूं. — दुष्यन्त कुमार ===================== दुष्यन्त कुमार का नाम सामने आते ही हमें उनके गज़ल संग्रह “साए में धूप” (1975) की पहली गज़ल का यह मिसरा याद आ जाता है : यहां दरख़्तों के साए में धूप …
हम आज भी स्त्री-पुरुष समानता की बात तो करते हैं लेकिन जैसे यह भूल चुके हैं कि इसके अलावा और भी ‘जेंडर’ हैं, वह हमारे ध्यान में ही नहीं होता। यह हमारी कल्पना से परे है कि बतौर ‘थर्ड जेंडर’ यह दुनिया उनके लिए कैसी है? सोनू यशराज की कहानी ‘चिल्लर’ इन्हीं बातों के इर्द-गिर्द बुनी हुई है। इसमें मार्मिक क्षण वह भी है जब एक थर्ड जेंडर का व्यक्ति, जिसे आमलोग इंसान का दर्ज़ा भी नहीं देते, उसकी सोच में स्त्रियों का भी संघर्ष शामिल है। यह कहानी आप भी पढ़ सकते हैं – अनुरंजनी …
आज पढ़िए युवा कवि देवेश पथ सारिया को। उन्होंने पेरिस यात्रा पर लिखा है- मॉडरेटर =============================== किसी शहर की कई परिभाषाएँ हो सकती हैं। जब शहर पेरिस हो तो उनकी संख्या सतही तौर पर ही बहुत हो जाती है। मसलन, दुनिया का सबसे खूबसूरत शहर, कला के दीवानों का तीर्थ, समृद्ध इतिहास और अद्भुत वास्तुकला का ख़ज़ाना। मुहब्बत का लुत्फ़ बेपर्दा लेने वालों का शहर। दुनिया की फैशन राजधानी। सदियों से कलाकारों को बरबस ही अपनी ओर खींचने वाला शहर। पेंटिंग की दुनिया से ताल्लुक़ रखने वाले किसने ऐतिहासिक पेरिस सलोन्स का नाम नहीं सुना होगा। 2017 में मुझे एक…
विषय: ‘माया: द सेंस ऑफ वेल्थ’ इवेंट का सफल आयोजन नई दिल्ली, 23 सितंबर 2024: WICCI दिल्ली YCEC की अध्यक्ष अकार्षिका शर्मा, LXME की सीईओ प्रीति राठी गुप्ता, और अनन्या फाउंडेशन की सीईओ डॉ. अर्चना सिंह की उपस्थिति में ‘माया: द सेंस ऑफ वेल्थ’ इवेंट का कल सफलतापूर्वक आयोजन हुआ। इस विशेष कार्यक्रम में 500 से अधिक कामकाजी महिलाओं ने भाग लिया, जिसका उद्देश्य महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता की दिशा में जागरूक करना और उन्हें सशक्त बनाना था। इस आयोजन में LXME की ओर से वित्तीय स्वतंत्रता पर केंद्रित एक पॉलिसी बूट कैंप का आयोजन किया गया, जहां विशेषज्ञों ने…
मध्यकालीन साहित्य के विद्वान माधव हाड़ा के संपादन में ‘कालजयी कवि और उनका काव्य’ सीरिज़ में अनेक पुस्तकें आई हैं। हाल में ही इस सीरिज़ में कश्मीर की मध्यकालीन कवयित्री ललद्यद के ऊपर उनकी किताब आई है जिसमें ललद्यद की कविताओं के हिन्दी अनुवादों को भी उन्होंने संकलित किया है। यह संकलन अनुवाद नहीं है। यह ललद्यद के कुछ चुने हुए वाखों का भाव रूपांतर है। भाव रूपांतर के लिए ललद्यद के उपलब्ध वाखों के हिंदी, अंग्रेज़ी और संस्कृत रूपांतरों के साथ देवनागरी लिप्यतंरित कश्मीरी मूल पाठों से सहयोग लिया गया है। जयालाल कौल के संचयन में हिंदी रूपांतर के…
लगभग पाँच दशक के बाद डॉ मलिक मोहम्मद द्वारा संपादित पुस्तक ‘अमीर ख़ुसरो: भावनात्मक एकता के अग्रदूत’ पुस्तक का प्रकाशन हुआ है। राजपाल एंड संज प्रकाशन से प्रकाशित इस पुस्तक से एक लेख पढ़िए ‘अमीर ख़ुसरो: इतिहासकार के रूप में’, जिसके लेखक हैं यूसुफ़ पठान- मॉडरेटर ================= अमीर ख़ुसरो की रचनाओं पर इतिहास का प्रभाव विशेष रूप से दिखाई देता है। उनके गद्य तथा काव्य साहित्य में इतिहासपरक रचनाओं का ही आधिक्य है। गद्य की अपेक्षा ख़ुसरो ने काव्य की रचना अधिक की है और इस काव्य-साहित्य का अधिष्ठान भी विशेषकर इतिहास ही है। उनके एक ‘दीवान’ (कविता-संग्रह) का नाम…
आज शंकरानंद की कुछ कविताएँ प्रस्तुत हैं – ============================================================== १.भागने वाले लोग दुनिया में सबसे ज्यादा खतरा ऐसे ही लोगों से है जिनके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता कोई भी समस्या होती है तो वे उसे सुलझाते नहीं और उलझाने के लिए भाग जाते हैं कभी भी कहीं भी भाग जाते हैं वे कहाँ जाते हैं इस बारे में किसी को खबर नहीं होती वे क्या खाते हैं इस बारे में कहा नहीं जा सकता कुछ रहते कैसे हैं कुछ कहा नहीं जा सकता उनके बारे में उनकी बस एक ही आदत होती है कि जरा भी मुश्किल…
आज पढ़िए गरिमा श्रीवास्तव से संजय श्रीवास्तव की बातचीत। गरिमा श्रीवास्तव जानी-मानी आलोचक, लेखक और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर हैं। आप बातचीत पढ़िए- मॉडरेटर =============================== प्रश्न. आलोचनात्मक लेखन में आपकी रूचि कब और कैसे पैदा हुई ? आप इधर क्या लिख रही हैं ? उत्तर : आलोचना में में मेरी रूचि आरंभ से ही रही है. मैं शुरू से हिन्दी साहित्य की अध्येता रही हूँ और संयोग से गत दो-ढ़ाई दशकों से बारी-बारी से भारत के तीन बड़े केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में हिन्दी साहित्य का अध्यापन भी करती रही हूँ. साल-दो साल यूरोप के एक बड़े विश्वविद्यालय में भी प्रोफ़ेसर…