हाल ही में बाबुषा कोहली का नया उपन्यास आया है ‘लौ’। इसकी बेहद गंभीर व बारीक समीक्षा कर रहे हैं…
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अम्बुज पाण्डेय अपनी आलोचना और टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं। गगन गिल की कविताओं पर उनका आलेख पाठकों के…
वागीश शुक्ल अपने अद्वितीय निबन्धों, टीकाओं और अपने लिखे जा रहे उपन्यास के लिए प्रसिद्ध हैं। वे सम्भवतः हिन्दी के…
कुछ कृतियों की प्रासंगिकता लंबे समय तक बनी रहती है। ऐसी ही एक कृति मंज़ूर एहतेशाम का उपन्यास ‘सूखा…
हाल में ही राजकमल प्रकाशन से नन्द चतुर्वेदी की रचनावली प्रकाशित हुई है। चार खंडों में प्रकाशित इस रचनावली का…
गरिमा श्रीवास्तव ने बहुत लिखा है। बहुत महत्वपूर्ण अकादमिक लेखन किया है। लेकिन उनकी किताब ‘देह ही देश’ का अलग…
मनोज रुपड़ा हमारे दौर के बड़े विजन वाले लेखक हैं। उनके उपन्यास ‘काले अध्याय’ के बारे में हाल में वरिष्ठ…
यह किसी भी रचना की महत्ता होती है कि वह पाठक को कितने समय तक और किस तरह से अपने…
मार्कस ऑरेलियस की प्रसिद्ध किताब मेडिटेशंस का हिन्दी अनुवाद आया है पेंगुइन स्वदेश से। पहली शताब्दी में वे रोम के…
वरिष्ठ कवि लाल्टू के कविता संग्रह ‘दिन भर क्या किया’ पर यह टिप्पणी लिखी है प्रवीण प्रणव ने। प्रवीण माइक्रोसॉफ़्ट…