बदलते हिंदुस्तान के ज़मीनी यथार्थ का चेहरा: कर्फ़्यू की रात
आज पढ़िए युवा लेखक शहादत के कहानी संग्रह ‘कर्फ़्यू की रात’ की समीक्षा। लिखा है वैभव शर्मा…
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गुलज़ार को संपूर्णता में सामने लाने वाली किताब
यतीन्द्र मिश्र की किताब ‘गुलज़ार सा’ब: हज़ार राहें मुड़ के देखीं’ पर यह टिप्पणी लिखी है कवि-लेखक…
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‘ईश्वर और बाज़ार’ पर अपूर्वा बनर्जी की टिप्पणी
आज पढ़िए कवयित्री जसिंता केरकेट्टा के कविता संग्रह ‘ईश्वर और बाज़ार’ पर अपूर्वा बनर्जी की टिप्पणी। यह…
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मलिक काफ़ूर और ‘अग्निकाल’
सल्तनतकालीन किरदार मलिक काफ़ूर पर युगल जोशी का उपन्यास आया है ‘अग्निकाल’। पेंगुइन से प्रकाशित इस उपन्यास…
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मृत्युंजय कुमार सिंह के खंड काव्य ‘द्रौपदी’ की समीक्षा
आज प्रस्तुत है वरिष्ठ कवि मृत्युंजय कुमार सिंह के खंड काव्य ‘द्रौपदी’ की डॉ. सुनील कुमार शर्मा द्वारा समीक्षा। …
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‘बोरसी भर आँच’ की उष्मा
आज पढ़िए यतीश कुमार की मार्मिक संस्मरण पुस्तक ‘बोरसी भर आँच’ की यह समीक्षा जिसे लिखा है…
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‘चित्तकोबरा’ की काव्यात्मक समीक्षा
वरिष्ठ लेखिका मृदुला गर्ग के प्रसिद्ध उपन्यास ‘चित्तकोबरा’ को पढ़कर कवि यतीश कुमार ने काव्यात्मक टिप्पणी…
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‘मुझे चाँद चाहिए’ पढ़ते हुए कुछ कविताएँ
मुझे याद है बीसवीं शताब्दी के आख़िरी वर्षों में सुरेन्द्र वर्मा का उपन्यास ‘मुझे चाँद चाहिए’…
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