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जानकीपुल के हर्ष का विषय है कि आज हम प्रख्यात शिक्षाविद, लेखक, अनुवादक और वैज्ञानिक पद्मश्री अरविन्द गुप्ता से बाल साहित्य को लेकर की गयी बातचीत को प्रकाशित कर रहे हैँ। यह बातचीत उनसे ई-पत्रोँ के माध्यम से हुई है। ********************* प्रश्न : आपने बच्चोँ मेँ वैज्ञानिक शिक्षा के अतिरिक्त दुनिया भर के बच्चोँ के साहित्य के अनुवाद करने का अभूतपूर्व काम किया है। आपका संकलन और अनुवाद हम सभी के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत है। आज से तीस साल पहले तक हिन्दी मेँ बाल पत्रिकाओं का अपना स्थान था, जिनमेँ प्रमुख थे – पराग, नन्दन, चम्पक, बालभारती, बालहंस, नन्हेँ…

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यह साल प्रेमचन्द के प्रसिद्ध उपन्यास रंगभूमि के ही सौ साल नहीं हो रहे बल्कि उनकी पत्नी शिवरानी देवी की पहली कहानी ‘साहस’ के भी सौ साल पूरे हो गए। उनकी यह कहानी 1924 में “चाँद” पत्रिका में छपी थी। शिवरानी जी ने करीब पचास कहानियां उस ज़माने में लिखीं। उनक़ा पहला संग्रह “नारी हृदय” खुद प्रेमचन्द ने सरस्वती प्रेस से छापा था। उनका दूसरा संग्रह 1937 में ‘कौमुदी’ नाम से आया था। ये दोनों संग्रह वर्षों से उपलब्ध नहीं थे। पिछले दिनों उनकी असंकलित कहानियों का संग्रह “पगली” आया। इन तीन संग्रहों के आधार पर कहा जा सकता है…

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नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला १ फरवरी से ९ फरवरी तक आयोजित किया जाने वाला है। पुस्तक मेले मेँ हिन्दी के छोटे-बड़े सभी साहित्यकार जुड़ते हैँ। ऐसी साहित्यिक गतिविधियोँ पर भी गम्भीरता से विचार करना चाहिए कि पुस्तक मेले से साहित्य पर कैसा प्रभाव पड़ा। प्रचण्ड प्रवीर की यह दो साल पुरानी कहानी पुस्तक मेले की संस्कृति और साहित्य समारोहोँ पर चिन्तन है। क्या हिन्दी प्रान्तोँ से इतर राज्योँ के साहित्यकर्म मेँ हिन्दी मेँ उचित स्थान मिल रहा है? क्या दार्जिलिङ् मेँ भी हिन्दी साहित्य समारोह हो सकते हैँ?   समकालीन साहित्यिक परिदृश्य से सम्बन्धित इस कहानी को पढ़ कर अपने…

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                     आज पढ़िए किन्फाम सिंग नांकिनरिह की कविताएँ। वे कविता, नाटक तथा कहानियाँ ख़ासी (मातृभाषा) तथा अँग्रेज़ी में लिखते हैं। उनकी कुछ रचनाएँ हैं- द इयर्निंग ऑफ सीड्स (2011), टाइम्स बार्टर: हाइकू एंड सेंरयु (2015) तथा अराउंड द हर्थ: ख़ासी लेजेंड्स (2011)। नेहू विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग में कार्यरत प्रोफेसर किन्फाम शिलांग में रहते हैं।   इन कविताओं का अनुवाद किया है कंचन वर्मा ने। वे नाटक, कहानी तथा कविता का अनुवाद अँग्रेजी तथा हिन्दी भाषाओं में करती हैं। अभी तक इनके आठ अनूदित संग्रह तथा कई शोधपत्र संपादित पुस्तकों तथा विभिन्न जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। फिलहाल वह लेडी…

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आज अमर कलाकार कुंदन लाल सहगल की पुण्यतिथि है। इस अवसर पर पढ़िए लेखक, संगीतविद प्रकाशचंद्र गिरि का यह सुदीर्घ आलेख- मॉडरेटर =========================================== वे बीसवीं शताब्दी में भारतीय संगीत जगत के सर्वाधिक लोकप्रिय व्यक्ति थे।अविभाजित भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी तक और बंगाल-असम से लेकर लाहौर-करांची-पेशावर-काबुल तक जैसी लोकप्रियता उन्हें प्राप्त थी,वैसा सौभाग्य किसी और को नहीं मिला।वे हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार अभिनेता,पहले यशस्वी और कालजयी प्लेबैक सिंगर तथा अद्भुत कम्पोजर और गीतकार थे।इन सबसे बढ़कर वे निहायत उम्दा इंसान थे।जैसे हिंदी के अनेक श्रेष्ठ कवियों के मध्य निराला जी अपनी मानवीयता,उदारता और दानशीलता के लिए विख्यात थे…

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जानकीपुल पर बाल साहित्य का पाठकोँ ने बहुत स्वागत किया है। इसी क्रम मेँ रवीन्द्र आरोही की कहानी पढ़ते हैँ – नए स्कूल का पहला दिन। पाठकोँ से अनुरोध है कि बाल-साहित्य से जुड़ी कहानियाँ, कविताएँ अधिक से अधिक बच्चोँ तक पहुँचाएँ। साथ ही किसी भी तरह के सार्थक रचनात्मक योगदान का स्वागत है। **************** नए स्कूल का पहला दिन नन्हे तथागत का नए स्कूल का पहला दिन था। वह सहारनपुर से आया था। यह स्कूल उसके सहारनपुर वाले स्कूल से बड़ा और सुंदर था। पर नन्हा तथागत अपने पुराने मित्रों को याद करके उदास था। इस नए स्कूल में…

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आज कवि-विचारक अशोक वाजपेयी का जन्मदिन है। इस अवसर पर प्रस्तुत है कवयित्री स्मिता सिन्हा का यह लेख जो अशोक जी की माँ विषयक कविताओं पर है- मॉडरेटर ======================== “यह पवित्रता जो मुझे बलात् झुका रही है… मैं इस सबको तुम्हारा नाम देता हूँ, दिदिया।” आमतौर पर माँ पर कविता लिखते समय किसी भी कवि के मन में गहरी संवेदनाएँ उमड़ आती हैं, क्योंकि माँ सिर्फ़ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि हमारी पहली अनुभूति होती है। उसकी गोदी का स्पर्श, उसकी आँखों की करुणा और उसकी आवाज़ का सुकून, ये सारी बातें कविता में साकार हो उठती हैं। कई बार माँ…

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अशोक वाजपेयी जी ने अनेक संस्थाओं की स्थापना में योगदान दिया। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय उनमें से एक है। वे इस विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति थे। कवि-संपादक पीयूष दईया से लंबी बातचीत में उन्होंने उसी विश्वविद्यालय को लेकर, अपने कार्यकाल को लेकर अनेक अनकही बातें कही हैं। कल यानी सोलह जनवरी को अशोक वाजपेयी का जन्मदिन है। वे 85 वें वर्ष में प्रवेश करेंगे। उनके जन्मदिन पर विशेष- मॉडरेटर ================================== प्रस्ताव जहाँ तक महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के जन्म की बात है, विश्व हिन्दी सम्मेलन का एक प्रस्ताव सम्भवतः आठवें दशक में आया था कि एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय…

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ध्यान सिंह जी डोगरी भाषा के प्रतिष्ठित कवि हैँ। कवि कमल जीत चौधरी लगातार डोगरी भाषा की कविताओँ को हिन्दी मेँ अनूदित कर के दोनोँ भाषाओँ को समृद्ध कर रहे हैँ। जानकीपुल पर कुछ कविताएँ पाठकोँ के लिए विशेष- **************************** | किताबें भी अंधी होती हैं | हवा का स्वभाव अंधा होता है अंधे का रुख हवा होता है लौ भी अंधी होती है यह अँधेरों में दौड़ती है प्यार भी अंधा होता है इसकी परछाई पकड़ी नहीं जाती सपना भी अंधा होता है अँधेरे में इसके डग तेज़ हो जाते हैं किताबें भी अंधी होती हैं यह खुद पढ़…

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“हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी/ आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी”!  मैथिलीशरण गुप्त की यह काव्य पंक्तियाँ हमें बार-बार सोचने को मजबूर करती हैं।‌ आज सरिता सैल की प्रस्तुत इन दस कविताएँ भी उन सारी स्थितियों, दुनिया की जटिलताओं की ओर ध्यान दिलाती हैं, जैसे हर क़दम पर खुद से सवाल करने को प्रेरित करती हैं- अनुरंजनी 1) ईश्वर इन दिनों बीहड़ में बैठकर पाषाण पर लिख रहा है दस्तावेज सृष्टि के पुनर्निर्माण का उसके पहले वो छूना चाहता है जंगली जानवर के हृदय में स्थित प्रेम जिसका वह भूखा है सदियों…

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