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बरसों बाद अशोक कुमार पांडेय का कविता संग्रह प्रकाशित हुआ है ‘आवाज़-बेआवाज़’। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस संग्रह को पढ़कर उस पर यह विस्तृत टिप्पणी लिखी है जाने-माने कवि पवन करण ने। आप भी पढ़ सकते हैं- मॉडरेटर  =========================== जहां से आवाज़ आनी थी वहां से चुप्पियों के फ़रमान जारी हो रहे हैं। अशोक कुमार पांडेय की कविता की गति बहुत तेज है। एकदम तूफान सी। जैसे आप प्लेटफार्म पर खड़े हैं और आपके सामने से सनसनाते हुए उस स्टेशन पर न रुकने वाली ट्रेन गुजरती है। आप उसकी गति से थरथराते प्लेटफार्म पर खुद को संभालते हुए बस उसका…

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अविनाश दास द्वारा निर्देशित फ़िल्म ‘इन गलियों में’ पर प्रसिद्ध लेखिका कविता ने यह विस्तृत टिप्पणी की है। उनकी लिखी यह सुंदर टिप्पणी आपसे साझा कर रहा। पढ़ियेगा- मॉडरेटर ===================== ‘इन गलियों में’ फिल्म पर बात करने से पहले कुछ अवांतर लेकिन जरूरी बातें – हम जब इलाहाबाद के पीवीआर में यह फिल्म देख रहे थे, पर्दे के समानांतर पिक्चरहॉल में हमने एक और फिल्म को भी चलते पाया। इलाहाबाद गंगा-जमुनी सभ्यता और तहज़ीब का शहर है। इस फिल्म की कहानी का नाभि-नाल इस शहर से जुड़ा और इसी में कहीं गड़ा हुआ भी है। इस फिल्म का आधारस्त्रोत दिवंगत…

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 प्रमोद द्विवेदी की कहानियाँ अपनी जीवंत भाषा और ज़बरदस्त नाटकीयता के कारण याद रह जाती है। अब यह कहानी ही पढ़िए- मॉडरेटर =========================== घर छोड़कर निकले सिंघल साहब ने ऐसी उम्मीद तो की ही नहीं थी। घर से इतनी दूर, चाय की टपरी पर राष्ट्रीय हिंदी अखबार के लापता कॉलम में अपनी तस्वीर देखकर घबरा गए।   साथ में सूचना थी- ‘सर्व साधारण को इत्तिला किया जाता है,   मेरे पिताजी घनश्याम दास सिंघल, उम्र 68 साल, रंग सांवला, कद पांच फीट आठ इंच, माथे पर कट का निशान, दिनांक 08-04-24 से लापता हैं। इधर कुछ अरसा से उनकी मानसिक दशा…

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तलईकूतल एक प्राचीन और अमानवीय प्रथा है, जो मुख्य रूप से दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु में प्रचलित रही है, जिसमें बुजुर्गों को उनकी ही इच्छा के विरुद्ध मार दिया जाता था। तमिलनाडु की इसी प्रथा के विचार पर आधारित ‘तलईकूतल’ शीर्षक से ही एक कहानी मैंने पिछले दिनों पढ़ी। अत्यंत ही सहज भाषा और रोचक शैली में लिखी इस मार्मिक कहानी को पढ़ते हुए आप इसकी मुख्य पात्र एलीकुट्टी के दर्द को साझा करने लग जाते हैं, उसके संघर्ष आपको अपने लगने लग जाते हैं। उसके जीवन में आने वाली मुश्किलों और उस पर होने वाले अत्याचारों में ख़ुद को देखने…

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हाल में युवा लेखिका दिव्या विजय का कहानी संग्रह आया है ‘तुम बारहबानी’। इस संग्रह की बहुत सारगर्भित भूमिका लिखी है जाने-माने कवि-लेखक यतीन्द्र मिश्र ने लिखी है। वाणी प्रकाशन से प्रकाशित इस संग्रह की भूमिका आज आपके लिए प्रस्तुत है- मॉडरेटर  ==================================== अपने सर्जनात्मक क्षणों को कथा में रूपान्तरित करने की पुरानी परम्परा है। भारतीय समाज हमेशा से कथाओं और आख्यानों का देश रहा है, जहाँ स्मृतियाँ वाचिक परम्परा में हमारी गाथाएँ आज तक सुनाती चली आ रही हैं। ऐसे में कथा कहने का ढंग बहुश्रुत और लोकप्रिय है। साहित्य के सन्दर्भ में कहानी लेखन को यदि हम मात्र…

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महान रोमांटिक कवि पी बी शेली की कविताओं पर यह लेख लिखा है युवा कवि अंचित ने। आप भी पढ़ सकते हैं- मॉडरेटर  ======================================================== कविता क्यों लिखी जाये या कविता का इस्तेमाल क्या है या कविता और समाज के बीच क्या संबंध है, ये कोई नए प्रश्न नहीं हैं बल्कि ये इतने पुराने प्रश्न हैं कि ग्रीक और रोमन दार्शनिकों एवं सौन्दर्यशास्त्रियों के बीच भी हमेशा गंभीर विमर्श का विषय बने रहे और वहाँ से एक ऐसी धारा की शुरुआत हुई जो फिर विभिन्न पश्चिमी भाषाओं में फैली और पुष्ट होती गई। अंग्रेज़ी साहित्य में भी कविता के उपयोग और…

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उड़िया भाषा के प्रसिद्ध कवि रमाकान्त रथ का कल भुबनेश्वर में निधन हो गया। उनको साहित्य अकादमी पुरस्कार समेत अनेक बड़े पुरस्कार-सम्मान मिले थे। भारत सरकार ने उनको पद्मभूषण से भी सम्मानित किया था। आइये आज उनकी कुछ कविताएँ पढ़ते हैं। अनुवाद दिनेश कुमार माली का है- मॉडरेटर  =============================== संबंध १ पिछले जन्म में सिर धोकर बाल सुखाते समय उसका हँसना रो धोकर उसका आँसू पोंछना मैंने देखा है. ऐसा हुआ उस दिन उसके भीगे बाल भीगे ही रह गए इससे वजन इतना बढ़ा कि उसकी गर्दन झुक गई उस झुकी गर्दन पर किसी ने प्रहार किया. ऐसा हुआ उस…

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मनीषा कुलश्रेष्ठ अपनी कृति में हमेशा ही किसी नये विचार और विषय को लेकर आने के कारण पाठकों को चौंकाती रहती हैं। हम उनकी लेखनी के विविधताओं और उसके विस्तार से परिचित हैं। केवल साहित्य ही नहीं बल्कि पर्यावरण और जीव-जंतुओं के प्रति सजग रहने वाली लोकप्रिय कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ का नया उपन्यास ‘त्रिमाया’ भारत के मातृवंशीय समाजों पर केंद्रित है जिसमें आपको पर्यावरण की बदलती स्थिति-परिस्थिति के बहाने जीव-जंतुओं के जीवन की भी झलक मिलेगी। फ़िलहाल आप इस उपन्यास का एक अंश पढ़िए। उपन्यास वाणी प्रकाशन से प्रकाशित है। – कुमारी रोहिणी ================= माया का पीढ़ियों से चलता आया…

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महिंद्रा समूह और टीमवर्क आर्ट्स द्वारा आयोजित ‘महिंद्रा एक्सीलेंस इन थिएटर अवार्ड्स’ एवं फेस्टिवल का 20वाँ संस्करण दिल्ली के सांस्कृतिक केंद्र, मंडी हाउस को जीवंत बना रहा है। इस सप्ताह भर चलने वाले उत्सव के दूसरे दिन, दो उत्कृष्ट नाटकों का मंचन किया गया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह उत्सव देश भर से चुने गए 10 सर्वश्रेष्ठ नाटकों की एक अनूठी प्रस्तुति है, जो रंगमंच के प्रति उत्साही लोगों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव लेकर आया है। आज के रंगमंच महोत्सव में दर्शकों को दो विविध और मनमोहक नाटकों का अनुभव हुआ। श्री राम सेंटर में, कन्नड़ भाषा में…

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भारतीय रंगमंच की जीवंत परंपरा को प्रोत्साहित करने और देश भर के प्रतिभाशाली कलाकारों को एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से, महिंद्रा समूह और टीम वर्कआर्ट्स  द्वारा आयोजित ‘महिंद्रा एक्सीलेंस इन थिएटर अवार्ड्स’ (मेटा) के 20वें संस्करण का भव्य शुभारंभ  नई दिल्ली के कमानी सभागार में हुआ। यह सप्ताह भर चलने वाला उत्सव, रंगमंच प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय अनुभव लेकर आया है, जिसमें देश भर से चयनित 10 सर्वश्रेष्ठ नाटकों का मंचन किया जाएगा। उद्घाटन समारोह में, रंगमंच जगत की कई प्रमुख हस्तियां उपस्थित थीं। समारोह के बाद, अलखनंदन द्वारा लिखित और अनिरुद्ध सरकार द्वारा निर्देशित ‘चंदा बेड़नी’ का मंचन किया गया। मेटा 2025 के उद्घाटन समारोह में एक प्रतिष्ठित निर्णायक…

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