‘संगत’ में काशीनाथ सिंह का इंटरव्यू सुन रहा था। अंजुम शर्मा से हुई इस बातचीत में उन्होंने बताया है कि एक बार उन्होंने नामवर सिंह से पूछा कि कोई ऐसा है जो आपसे भी ज़्यादा पढ़ता हो। जवाब में नामवर सिंह ने दो नाम लिए- राहुल सांकृत्यायन और अज्ञेय। उन्होंने कहा कि ये दोनों मुझसे भी ज़्यादा पढ़ते हैं। आज राहुल सांकृत्यायनन की जयंती है। उनकी जयंती से याद आया कि इतिहासकार अशोक कुमार पांडेय ने उनकी जीवनी लिखी थी- ‘अनात्म बेचैनी का यायावर।’ राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस जीवनी का एक अंश पढ़िए और राहुल ============================= वैसे तो राहुल…
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जयपुर के पास कनोता कैंप में ‘कथा कहन कार्यशाला’ का यह पाँचवा आयोजन था। देश के अलग अलग हिस्सों से अलग अलग पीढ़ी के लेखक आये। तीन दर्जन से अधिक प्रतिभागी आये और तीन दिन तक सुरम्य माहौल में कहानी और उसकी कला की बातें। प्रसिद्ध लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ के संयोजन में आयोजित इस आयोजन पर यह टिप्पणी लिखी है अंग्रेज़ी-हिन्दी के जाने-माने लेखक पंकज दुबे ने- मॉडरेटर ============================================ ‘कथा कहन कार्यशाला’ को लेकर पहली बार जिज्ञासा तब उठी थी जब कुछ साल पहले किसी लेखक मित्र की फ़ेसबुक पोस्ट पर नज़र पड़ी थी। ये तो बिलकुल साफ़ था कि…
युवा कवि आस्तीक वाजपेयी की कविताओं में जिस तरह से प्रेम, संवेदना और गहरी वेदना की उदासी है वह आजकल कम कवियों में दिखाई देता है। उनकी कुछ कविताएँ दे रहा हूँ जो क्रमशः तद्भव और समास में प्रकाशित हैं। दोनों पत्रिकाओं को आभार के साथ कविताएँ यहाँ दे रहा हूँ- प्रभात रंजन =============================== संभलना संभलने दे मुझे… ग़ालिब वह खोती जा रही है। मुझे अब उसकी आँखें याद नहीं आती मुझे बस यह पता है, उससे सुन्दर आँखें कभी नहीं देखी हैं। लेकिन उनका आकार और रंग खो रहा है। इस अकेलेपन और शराब से मेरी विस्मृति में वह…
संगीत की दुनिया में कैलाश खेर एक प्रतिष्ठित और लोकप्रिय नाम हैं। कौन होगा जिसे उनकी आवाज़ पसंद नहीं होगी। ‘अल्लाह के बंदे’ नाम से चर्चित हुए कैलाश खेर का गाया ‘तेरी दीवानी’ हर युवा की ज़बान पर था। मानो यह गीत अपने आप में यूथ एंथम बन गया हो, और आज भी इस गाने का अपना एक फैन बेस है। हालाँकि कैलाश भी इस गीत को ‘लव एंथम’ का नाम देते हैं। पढ़िए इस गीत के लिखने-तैयार होने की कहानी ख़ुद कैलाश खेर की ज़ुबानी। पेंग्विन स्वदेश से प्रकाशित तेरी दीवानी: शब्दों के पार किताब में कैलाश खेर ने…
नर्मदा प्रसाद उपाध्याय और मुहम्मद हारून रशीद ख़ान के सम्पादन में वाणी प्रकाशन ग्रुप से ‘कुबेरनाथ राय रचनावली’ (13 खण्डों में) प्रकाशित हुई है। कुबेरनाथ राय प्रसिद्ध ललित निबंधकार थे। उनकी रचनावली को पढ़ने से समकालीन पीढ़ी को परंपरा को समझने की एक नई दृष्टि मिलेगी- ======================== पुस्तक विवरण : यदि नश्वरता देह की अनिवार्यता है तो अमरता अक्षर की नियति। भौतिक देह के मिट जाने पर भी सृजन अमिट बना रहता है। रचना की जन्मदात्री देह, अक्षरदेह में रूपान्तरित हो जाती है। कुबेरनाथ राय के सृजनकर्म के ये तेरह खण्ड उनकी उसी अनश्वर और अमर अक्षरदेह के प्रतीक…
कल हम लोगों ने जानकी पुल पर लकी राजीव की एक कहानी पढ़ी ‘शर्बत’ जिसके केंद्र में मातृत्व था आज सिमोन के हवाले से मातृत्व को लेकर यह लेख पढ़िए जिसको लिखा है युवा शोधार्थी उर्मिला चौहान ने। उर्मिला चौहान असम विश्वविद्यालय के दीफू परिसर में पीएचडी कर रही हैं। स्त्री विमर्श में गहरी रूचि। यह उनका कहीं भी प्रकाशित होने वाला पहला लेख है। आप भी पढ़िए- मॉडरेटर ======================== उर्मिला चौहान फ्रेंच लेखिका सिमोन द बोउवार स्त्रीवादी विमर्श में सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। उनके स्त्री संबंधी विचारों पर व्यापक चर्चा हुई है, लेकिन यह चर्चा अधिकतर एक युवा…
आज से हम पत्रिकाओं में प्रकाशित कुछ कहानियों की व्यापक चर्चा के लिए जानकी पुल पर प्रस्तुत करेंगे। इसी क्रम में यह पहली कहानी है। वनमाली कथा के फ़रवरी अंक में कथाकार लकी राजीव की कहानी आई है ‘शरबत’। कहानी अपने कथानक भाषाई कंट्रास्ट के कारण रोचक लगी। लेखिका कहानी के कहानीपन को अंत तक निभा ले गई। आप लोग भी पढ़ें और राय दें- मॉडरेटर ============================================ बाथरूम से आती हुई वो आवाज़ सीधे उसकी नाभि तक पहुंची, फिर एक पलटी मारकर ऊपर उठी और सीने में कुछ भर गयी ..दोनों तरफ़! नहीं,ये वहम नहीं था..हलचल थी अभी भी, भीतर…
आज महान लेखक निर्मल वर्मा की जयंती है। उनकी जयंती पर युवा शायर और दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधार्थी अभिषेक कुमार अम्बर की इस लिखत की याद आई। उन्होंने बहुत दिलचस्प तरीक़े से लिखा है कि किस तरह से रानीखेत में उन्होंने निर्मल वर्मा की कहानी ‘परिंदे’ में वर्णित स्थलों की तलाश की। बहुत शोधपरक और आस्वादपरक लिखा है लेखक ने। आप भी पढ़ सकते हैं- मॉडरेटर ======================================= जाते दिसम्बर की सुबह, अल्मोड़े में सर्दी अपने शबाब पर थी फिर भी माल रोड पर लोगों की चहलक़दमी सर्दी को ठेंगा दिखा रही थी। बच्चे पीठ पर बस्ता टाँगे झुंड बनाए स्कूल…
पेशे से डॉक्टर और दिल से विशुद्ध लेखक अजय सोडानी को हम उनकी यात्रा वृतांतों और यात्रा रिपोर्ताजों के लिए जानते हैं। हाल ही में उनकी एक नई किताब आयी है ‘एक था जाँस्कर”। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित अपनी इस किताब में अजय सोडानी ने मंथर गति में एक समूचा जीवन जीने वाले जाँस्कर और उसके बहाने हिमालय की बर्फीली दुनिया से लोगों को रूबरू करवाया है। आप इस शानदार किताब का एक अंश पढ़िए जिसमें उन्होंने बताया है कि कैसे हिन्दी के महान लेखक अज्ञेय व्यास कुंड गये और वहाँ का पानी पीकर बेहोश पड़ गये। आगे क्या हुआ…
आज पढ़िए दीप्ति कुशवाह की कविताएँ। समकालीन संदर्भों से युक्त इन कविताओं का अलग ही आस्वाद है। आप भी पढ़िए- 1, ओ एल एक्स बेच दे उंगलियाँ गोंच-गोंच कर कहा जा रहा है हमसे, बेच दे यादों के धागे से बुने वस्त्र वह आईना जिसमें अब तक ठहरा है बचपन का अक्स सब कुछ बिकाऊ है रंगा सियार बाजार वह सामने, हम पीछे हैं काउंटर के हमारे विवेक को ट्रांजैक्शन में बदलना उसकी जीत है बाजार खरीद रहा है स्थायित्व बिकवा रहा है जड़ें जो टिक सकता था सालों तक, बेच दिया गया पुरखों के हाथों गढ़ीं चौखटें मय किवाड़ों…