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हाल में वेस्टलैंड बुक्स से प्रसिद्ध अभिनेता अमोल पालेकर की संस्मरण-पुस्तक आई है- अमानत- एक स्मृतिकोष। मनोहर श्याम जोशी भारतीय मध्यवर्ग के दुचित्तेपन की बात करते थे यानी ऊपर से कुछ अंदर से कुछ। ऐसे मध्यवर्गीय किरदारों को पर्दे पर अमोल पालेकर ने बखूबी निभाया है। उन्होंने निर्देशन भी किया, पेंटिंग भी की। कहने का मतलब यह है कि वे संपूर्ण कलाकार रहे हैं। आइये पढ़ते हैं उनके संस्मरण-पुस्तक की भूमिका- मॉडरेटर  ======================= सिगरेट के बिखरे ठूंठों के बीच…. अपनी ज़िंदगी को समेटकर उस पर लिखना एक बेहद थकाऊ और अनचाहा प्रयास लगता है। ऐसा लगता जैसे मेरे हाथ में…

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आज पढ़िए प्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी वाणी त्रिपाठी के स्तंभ ‘जनहित में जारी सब पर भारी’ की अगली किस्त- मॉडरेटर  ===================== हमारी दुनिया में हर किसी की अपनी कहानी होती है। लेकिन कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं, जो हम सबकी सामूहिक आवाज़ बन जाती हैं। पहलगाम के उस दर्दनाक दिन ने न केवल कश्मीर बल्कि पूरे देश को गहरे तक झंझोर दिया। यह एक ऐसी त्रासदी है, जो सिर्फ आँसुओं से नहीं, सवालों से भी भरी हुई है। यह डायरी उन सवालों का हिस्सा है, जिनका कोई आसान जवाब नहीं हो सकता। यह एक स्त्री की दृष्टि से एक आत्मीयता, गुस्से और…

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आज प्रस्तुत है मराठी भाषा के शीर्ष लेखक बल्कि कहना चाहिए कि भारत के शीर्ष लेखक विश्वास पाटिल से बातचीत। अपने ऐतिहासिक उपन्यासों से भारतीय साहित्य में उन्होंने अपना एक अलग मुक़ाम बनाया है। इस बातचीत के केंद्र में है शिवाजी पर लिखा जा रहा उनका उपन्यास त्रयी। जिसका पहला भाग ‘शिवाजी महासम्राट झंझावात’ हिन्दी अनुवाद में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है और अंग्रेज़ी में वेस्टलैंड से। दूसरा भाग मराठी से अनूदित होकर अंग्रेज़ी में वेस्टलैंड से प्रकाशित हुआ है जिसका नाम है ‘Shivaji Mahasamrat: The Wild Warfront’. आइये उनकी बातचीत पढ़ते हैं जो मैंने की है- प्रभात रंजन…

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हिन्दी लेखकों की वर्तमान दशा-दिशा पर यह टिप्पणी लिखी है संस्कृतिकर्मी-सामाजिक कार्यकर्ता शुभ्रास्था ने, जो अपना राजनीतिक परामर्श उद्यम चलाती हैं। आप भी पढ़िए- मॉडरेटर  ======================== यह लेख समकालीन हिन्दी साहित्य के उस प्रवाह की समीक्षा करता है जो वर्तमान में सर्वाधिक चर्चित, प्रशंसित, पुरस्कृत और विमर्शों में उपस्थित रहा है—वह साहित्य जो प्रतिष्ठानों, अकादमिक संवादों और प्रकाशनों में केंद्रीय स्थान पर है। यह आलोचना सम्पूर्ण हिन्दी साहित्य पर नहीं, बल्कि उस प्रभावशाली और उच्चगामी साहित्यिक वृत्त पर केंद्रित है जो आज साहित्यिक मानदंड और वैचारिक दिशा तय कर रहा है। आज का चर्चित हिन्दी साहित्य दोहरे संकट से जूझ रहा है। एक ओर वह वैचारिक पाखंड और संकीर्णता का शिकार हो गया है, और दूसरी ओर लोकतांत्रिक असंतुलन का वाहक बनता जा…

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आज पढ़ते हैं गौतम राजऋषि से बातचीत। गौतम सेना में कर्नल हैं, हम लोगों के लिए उम्दा शायर हैं, कथाकार हैं। लेकिन यह बातचीत उनके उपन्यास ‘हैशटैग’ को लेकर है। अनबाउंड स्क्रिप्ट प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास की पृष्ठभूमि पटना शहर की राजनीति, कैंपस से लेकर फ़ौज की अनुशासित दुनिया तक है। उनके यह बातचीत की है कुमारी रोहिणी ने। आप भी पढ़ सकते हैं- मॉडरेटर  ================================================ प्रश्न: आपके पहले उपन्यास के मुख्य किरदार ‘समर प्रताप सिंह’ को लेकर पाठकों के मन में यह जिज्ञासा है कि ‘समर प्रताप सिंह’ में एक फ़ौजी कर्नल गौतम राजऋषि, शायर गौतम राजऋषि और…

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वरिष्ठ लेखक संतोष दीक्षित का नया उपन्यास ‘ख़लल’ सेतु प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। समकालीन समय के सामाजिक-राजनीतिक बदलावों, सांप्रदायिकता को लेकर लिखे गये इस संवेदनशील उपन्यास पर बहुत अच्छी टिप्पणी लिखी है युवा कवि अंचित ने। आप भी पढ़ सकते हैं- मॉडरेटर  ======================================================= इधर के हालिया प्रकाशित उपन्यासों में संतोष दीक्षित की मुखरता और प्रतिबद्धता और खुली है और रेखांकित करने योग्य है। उनका ताज़ा प्रकाशित उपन्यास ‘ख़लल’ सबसे पहले तो इसलिए पढ़ा जाना चाहिए कि सरलताओं और सुविधाजनक चुप्पियों के समय में सीधी और खरी-खरी बात करना अब बहुत कम देखा जाने लगा है। अपने समय को तीक्ष्ण…

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पिछले दिनों प्रसिद्ध निबंधकार कुबेरनाथ राय के कुछ निबंधों पर प्रचण्ड प्रवीर ने जानकी पुल पर एक लेख लिखा था। उस लेख को पढ़कर प्रोफ़ेसर मनोज राय ने यह लेख लिखा है। मनोज राय महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी में पढ़ाते हैं और कुबेरनाथ राय के गहरे अध्येता हैं। आप उनका यह विद्वत्तापूर्ण लेख पढ़िए- मॉडरेटर  ============================ पिछले दिनों दिल्ली के एक उद्भट शोधार्थी ने एक लिंक भेजकर प्रचण्ड प्रवीर के आलेख ‘विस्मृत नायक : कुबेरनाथ राय’ को पढ़ने का आग्रह किया। कुबेरनाथ राय ( लेख में आगे कुबेरनाथ राय को ‘कुनारा’ नाम से संबोधित किया गया है।) के लेखन से…

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ब्यावर, राजस्थान में रहने वाली युवा लेखिका राजनंदिनी राजपूत की यह कहानी इनबॉक्स में आई तो पढ़कर लगा कि साझा करना चाहिए। लिखने में संभावना दिखाई दे रहीं है। आप भी पढ़कर बताइएगा- मॉडरेटर  ======================== उमा खरबूजे के फाँकों के बीच खड़ी थी। उसने चाकू उठाया, और फल की नरम, मीठी गंध हवा में फैल गई। फाँके काटते हुए उसकी उंगलियाँ चिपचिपी हो गईं, और उसका मन एक अजीब-सी बेचैनी से भर गया। उसने फाँके काटे, एक-एक करके उन्हें बाँट दिया—भाई के बच्चों को, माँ को, और जो बचा, उसे खुद खा लिया। आखिरी फाँका मुँह में डालते हुए उसने…

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इस साल हिन्दी में एक महत्वपूर्ण पुस्तक का अनुवाद आया। प्रसिद्ध राजनीतिक सिद्धांतकार पार्थ चटर्जी की किताब ‘The Politics Of Governed’ का अनुवाद ‘शासितों की राजनीति’ के नाम से। यह अपनी तरह की अनूठी किताब है जिसमें आम जन के नज़रिए से राजनीति को देखा गया है। पुस्तक का अनुवाद किया है दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में राजनीतिशास्त्र पढ़ाने वाले कुँवर प्रांजल सिंह ने। आइये वाणी प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब के अनुवादक की लिखी भूमिका पढ़ते हैं और जानते हैं कि इस किताब का हिन्दी में आने का क्या महत्व है- मॉडरेटर  =========================  अनुवादक की ओर से… भारत…

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पल्लवी त्रिवेदी ऑफ़बीट लिखती हैं। कभी विषय तो कभी विधा। अब गद्य-कविता के में लिखी उनकी यह सीरिज़ देखिए- मॉडरेटर ========================== 1- प्रेमिका का पति —————– हम अचानक ही मिल गए थे किसी समारोह में मैं जानता था कि वह मेरी प्रेमिका का पति है वह नहीं जानता था कि मैं उसकी पत्नी का प्रेमी हूँ अलबत्ता यह जानता था कि मैं उसकी पत्नी का सहकर्मी हूँ बड़े जोश से वह मिला हमने एक टेबल पर बैठकर खाना खाया आज वह पत्नी के बिना आया था लेकिन उसकी पत्नी उसकी बातों में इस कदर उपस्थित थी कि मुझे लगा नहीं…

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