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प्रसिद्ध जासूसी उपन्यासकार इब्न-ए-सफ़ी के बारे में उनके पुराने पाठकों को पता होगा कि वे पहले असरार नारवी के नाम से शायरी करते थे और अच्छे शायर थे। कहते हैं कि एक बार उनके प्रकाशक दोस्त ने उनसे कहा कि उर्दू में ऐसी जासूसी उपन्यासों की बाढ़ आ गई है जो अश्लील होते हैं। ऐसे उपन्यास लिखे जाने चाहिये जो मनोरंजक भी हों और अश्लील भी न हों। शायर असरार नारवी ने यह चुनौती स्वीकार की और इब्न-ए-सफ़ी के नाम से उपन्यास लिखना शुरू किया। उसके बाद जो हुआ सब जानते हैं, आइये आज पढ़ते हैं उनकी कुछ ग़ज़लें- मॉडरेटर…

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शिरीष कुमार मौर्य की कविताओं का अपना सम्मोहन है। इधर उन्होंने ग़ज़लें लिखी हैं और खूब लिखी हैं। अलग-अलग कैफ़ियत की कुछ ग़ज़लों का आनंद लीजिए- मॉडरेटर ============== 1. थे मगर हम दर-ब-दर ऐसे न थे हम पे राहों के असर ऐसे न थे तुम उधर ख़ुश-बाश थे हर हाल में और ग़मगीं हम इधर ऐसे न थे और भी किरदार थे ख़ुशहाल-से यार क़िस्से मुख़्तसर ऐसे न थे हमको मुस्तकबिल पे था पूरा यक़ीं लोग भी फिर बे-ख़बर ऐसे न थे दिल में सूरज-चाँद थे रौशन सदा गुमशुदा शाम-ओ-सहर ऐसे न थे 2. हर कोई चाहता है आज़ाद हो…

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स्त्रियों की लिखी प्रेम कहानियों को आधार बनाकर जाने माने आलोचक राकेश बिहारी ने यह लेख लिखा है। अपनी तरह के इस अनूठे लेख को आप भी पढ़ सकते हैं- मॉडरेटर ================== हिन्दी की कुछ अविस्मरणीय प्रेम कहानियों के बहाने समय के साथ प्रेम के बदलते स्वरूप पर विचार करने की मंशा से जब मैंने कुछ कहानियों की सूची बनाई तो बिना किसी कालक्रम के अनुशासन में बंधे अनायास ही सबसे पहले ध्यान में आने वाली कहानियाँ थीं- ‘तीसरी कसम’, ‘रसप्रिया’, ‘कोसी का घटवार’, ‘परिंदे’, ‘उसने कहा था’, ‘पुरस्कार’, ‘आकाशदीप’… आदि-आदि। इस सूची में शामिल किसी कहानी विशेष के…

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समकालीन कविता में ज्योति शोभा की कविताएँ किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। ऐसी प्रेम कविताएँ निस्संग उदासी जिसके पार्श्व संगीत की तरह है। आज पढ़िए उनकी दस कविताएँ- मॉडरेटर  ======================= 1) वह कोई जगह है वह कोई जगह है या कोई पुरानी याद जो हमें जकड़े रहती है निरंतर, साल दर साल हमारा इससे निकल कर छत तक जाना ढलते सूर्य में चेहरा गलाना और उसी पिघले‌ मोम से नया चेहरा बनाना सीढियाँ उतर कर बस स्टैण्ड तक जाना छाता बंद करना और रुकना और छटपटाकर नदी का पुल पार करना या फिर और दूर किसी दूसरे शहर किसी…

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हिन्दी में इंटरव्यू आमतौर पर सत्ताधीशों के लिए जाते हैं। यह मानकर कि वे बड़े लेखक होते हैं। लेकिन क्या सत्ता के आधार पर ही कोई बड़ा लेखक होता है? 1980 के दशक में ‘सपने में एक औरत से बातचीत’ कविता के लिए भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार प्राप्त कवि विमल कुमार सत्ताधीश नहीं हैं लेकिन हिन्दी की हर सत्ता को आईना दिखाने का काम करते रहे हैं। अपनी बेबाक़ टिप्पणियों के लिए जाते रहे हैं। वे हिन्दी साहित्य के चलते-फिरते इतिहास हैं। उनसे यह बातचीत कठिन ज़रूर थी लेकिन आख़िरकार हो गई। कठिन इसलिए क्योंकि उनको ट्रैक पर रखना आसान काम…

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‘संगत’ में काशीनाथ सिंह का इंटरव्यू सुन रहा था। अंजुम शर्मा से हुई इस बातचीत में उन्होंने बताया है कि एक बार उन्होंने नामवर सिंह से पूछा कि कोई ऐसा है जो आपसे भी ज़्यादा पढ़ता हो। जवाब में नामवर सिंह ने दो नाम लिए- राहुल सांकृत्यायन और अज्ञेय। उन्होंने कहा कि ये दोनों मुझसे भी ज़्यादा पढ़ते हैं। आज राहुल सांकृत्यायनन की जयंती है। उनकी जयंती से याद आया कि इतिहासकार अशोक कुमार पांडेय ने उनकी जीवनी लिखी थी- ‘अनात्म बेचैनी का यायावर।’ राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस जीवनी का एक अंश पढ़िए और राहुल  =============================  वैसे तो राहुल…

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जयपुर के पास कनोता कैंप में ‘कथा कहन कार्यशाला’ का यह पाँचवा आयोजन था। देश के अलग अलग हिस्सों से अलग अलग पीढ़ी के लेखक आये। तीन दर्जन से अधिक प्रतिभागी आये और तीन दिन तक सुरम्य माहौल में कहानी और उसकी कला की बातें। प्रसिद्ध लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ के संयोजन में आयोजित इस  आयोजन पर यह टिप्पणी लिखी है अंग्रेज़ी-हिन्दी के जाने-माने लेखक पंकज दुबे ने- मॉडरेटर  ============================================ ‘कथा कहन कार्यशाला’ को लेकर पहली बार जिज्ञासा तब उठी थी जब कुछ साल पहले किसी लेखक मित्र की फ़ेसबुक पोस्ट पर नज़र पड़ी थी। ये तो बिलकुल साफ़ था कि…

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युवा कवि आस्तीक वाजपेयी की कविताओं में जिस तरह से प्रेम, संवेदना और गहरी वेदना की उदासी है वह आजकल कम कवियों में दिखाई देता है। उनकी कुछ कविताएँ दे रहा हूँ जो क्रमशः तद्भव और समास में प्रकाशित हैं। दोनों पत्रिकाओं को आभार के साथ कविताएँ यहाँ दे रहा हूँ- प्रभात रंजन  =============================== संभलना संभलने दे मुझे… ग़ालिब वह खोती जा रही है। मुझे अब उसकी आँखें याद नहीं आती मुझे बस यह पता है, उससे सुन्दर आँखें कभी नहीं देखी हैं। लेकिन उनका आकार और रंग खो रहा है। इस अकेलेपन और शराब से मेरी विस्मृति में वह…

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संगीत की दुनिया में कैलाश खेर एक प्रतिष्ठित और लोकप्रिय नाम हैं। कौन होगा जिसे उनकी आवाज़ पसंद नहीं होगी। ‘अल्लाह के बंदे’ नाम से चर्चित हुए कैलाश खेर का गाया ‘तेरी दीवानी’ हर युवा की ज़बान पर था। मानो यह गीत अपने आप में यूथ एंथम बन गया हो, और आज भी इस गाने का अपना एक फैन बेस है। हालाँकि कैलाश भी इस गीत को ‘लव एंथम’ का नाम देते हैं। पढ़िए इस गीत के लिखने-तैयार होने की कहानी ख़ुद कैलाश खेर की ज़ुबानी। पेंग्विन स्वदेश से प्रकाशित तेरी दीवानी: शब्दों के पार किताब में कैलाश खेर ने…

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 नर्मदा प्रसाद उपाध्याय और मुहम्मद हारून रशीद ख़ान के सम्पादन में वाणी प्रकाशन ग्रुप से ‘कुबेरनाथ राय रचनावली’ (13 खण्डों में) प्रकाशित हुई है। कुबेरनाथ राय प्रसिद्ध ललित निबंधकार थे। उनकी रचनावली को पढ़ने से समकालीन पीढ़ी को परंपरा को समझने की एक नई दृष्टि मिलेगी- ======================== पुस्तक विवरण : यदि नश्वरता देह की अनिवार्यता है तो अमरता अक्षर की नियति। भौतिक देह के मिट जाने पर भी सृजन अमिट बना रहता है। रचना की जन्मदात्री देह, अक्षरदेह में रूपान्तरित हो जाती है। कुबेरनाथ राय के सृजनकर्म के ये तेरह खण्ड उनकी उसी अनश्वर और अमर अक्षरदेह के  प्रतीक…

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