
‘ऐन(एना) फ्रैंक की डायरी’ दुनिया भर में साहस और जिजीविषा के प्रतीक के रूप में पढ़ा जाता है. पिछले दिनों डॉइचे वेले पर उसकी अनुवादिका और प्रसिद्ध यहूदी लेखिका मिरियम प्रेज़लर का साक्षात्कार प्रसारित हुआ. इसमें ऐन(एना) फ्रैंक के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ हैं. उसका मूल जर्मन से अनुवाद किया है प्रतिभा उपाध्याय ने- मॉडरेटर.
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(एना फ्रेंक (12 जून 1929 – प्रारंभिक मार्च 1945) एक किशोर लेखिका थीं, जिनकी 15 वर्ष की छोटी आयु में मृत्यु हो गई. वह होलोकॉस्ट (यहूदियों का सत्यानाश) की सर्वाधिक चर्चित यहूदी पीड़ितों में से एक हैं, जिन्होंने होलोकॉस्ट के अपने अनुभवों को डायरीबद्ध किया है. एना फ्रैंक की कहानी आज के युवा लोगों के लिए विशेष रूप से सार्थक है. इसने विपरीत परिस्थितियों का सामना करने में साहस और आशा के अपने संदेश को लाखों लोगों तक पहुँचाया है. मूलत: डच भाषा में लिखी “एना फ्रैंक की डायरी” पहली बार 1947 में प्रकाशित हुई. यह होलोकॉस्ट (यहूदियों का सत्यानाश) के सबसे शक्तिशाली संस्मरणों में से एक है.
युद्ध के समय की उनकी डायरी कई नाटकों और फिल्मों का आधारग्रन्थ रही है. जर्मन राष्ट्रीय के रूप में जन्मी फ्रैंक ने 1941 में अपनी जर्मन नागरिकता खो दी थी. मरणोपरांत उनकी डायरी के प्रकाशित होने पर उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई. इस डायरी में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी के कब्जे वाले नीदरलैंड में उनके छिपने के अनुभवों को प्रमाण रूप में प्रस्तुत किया गया है. 30 लाख से अधिक प्रतियों के साथ 67 भाषाओं में इस डायरी का अनुवाद किया गया है.)
वर्ल्ड प्रीमियर: एना फ्रैंक की डायरी (“Das Tagebuch der Anne Frank”) का पहले एम्स्टर्डम में एक नाटक के रूप में प्रदर्शन किया गया था. यह एक साहसी प्रयास है. प्रसिद्ध यहूदी लेखिका मिरियम प्रेज़लर ने डॉइचे वेले को दिए गए एक साक्षात्कार में ये विचार व्यक्त किये. .
मल्टीमीडिया के रूप में तैयार विशेष रूप से निर्मित एक थिएटर में (2014/05/08) को दुनियाभर में विख्यात एना फ्रैंक की डायरी का प्रथम विमोचन हुआ. लेखक लियोन दे विन्टर एवं जेसिका दुर्लाचेर वहाँ उपस्थित थे, जो दोनों ही होलोकॉस्ट (यहूदियों का सत्यानाश) के उत्तरजीवी यहूदी परिवारों से आए लेखक हैं. लेखिका मिरियम प्रेज़लर ने अनुभव किया कि यह रचना एक उपयोगी साहसिक कार्य है, विशेषकर उन लोगों के लिए , जिन्होंने अन्यथा इस रचना को कभी नहीं पढ़ा है. डॉइचे वेले ने इस नाटक के प्रदर्शन से पहिले मिरियम प्रेज़लर से बातचीत की.
DW: सुश्री प्रेज़लर, 80 के दशक से ही आप एना फ्रैंक की डायरी (“Das Tagebuch der Anne Frank”) पर एक अनुवादक के रूप में काम कर रही हैं. क्या मीडिया सहित थिएटर-कार्यक्रम इसे एक इतनी बड़ी व्यक्तिगत, मार्मिक कहानी के रूप में आगे बढ़ाएंगे?
मिरियम प्रेज़लर:विशुद्ध भावनात्मक तौर पर मैं कहना चाहूंगी: नहीं. मेरे विचार से पहिले आपको इसे पढना चाहिए. दूसरी बात एना फ्रैंक एक बहुत प्रभावशाली और बहुआयामी व्यक्तित्व हैं और वे एक थिएटर का मुकाबला कर सकती हैं.
DW: आज शाम प्रथम प्रदर्शन पर इसका “बड़ा स्वागत“ होगा, जिसंमें फोटोग्राफर, टीवी कैमरे, 1,000 से अधिक आमंत्रित मेहमान उपस्थित होंगे. उसके बाद नाश्ता, लघु चर्चा एवं प्रोसेको (wine Party) होगा, जैसा कि एक सामान्य थिएटर प्रदर्शन के बाद आम तौर पर होता है. क्या आप इस विषय से सहमत हैं?
मिरियम प्रेज़लर:ऐसा इसलिए है कि ऐतिहासिक व्यक्ति एना फ्रैंक से दूरी बहुत अधिक है. निश्चित रूप से यह बहुत सी घटनाओं के कारण है. इसे पहले से ही नाटकीय सामग्री के रूप में देखा जा सकता है. बच्चे और युवा लोग निश्चित रूप से दूरी नहीं रखते हैं, लेकिन वयस्क इससे दूरी बनाए हुए हैं. जैसे उदाहरण के लिए शिंडलर की सूची की फिल्म के रूप में अभी तक सीधी प्रतिभागिता नहीं है. यह एक साधारण मामला है, जिस पर कार्यवाही की जा रही है .
DW: एना फ्रैंक फाउंडेशन की ओर से आदेश प्राप्त होने पर नाटक के लेखकों ने एक बड़ी जिम्मेदारी की बात कही थी. एक लेखक और अनुवादक के रूप में क्या आपको भी ऐसा लगता है?
मिरियम प्रेज़लर: बेशक हाँ. हर एक को ऐसा ही लगता है, जो इस पर काम करता है . दे विंटर एवं जेसिका दुर्लाचेर वास्तव में अच्छे लेखक हैं. मुझे लगता है कि नाटक का उद्देश्य इसे वर्तमान समय के अनुरूप ढालना है , उन लोगों के लिए इसे प्रस्तुत करना है , जो सामान्य रूप से पुस्तक तो नहीं पढेंगे , लेकिन शायद थिएटर जायेंगे.
DW: दुनिया भर में डायरी के 70 से अधिक अनुवाद हुए हैं, असंख्य सिने फिल्म बनी हैं. 1959 में हॉलीवुड फिल्म संस्करण में अपनी भूमिका के लिए शैली विंटर्स को ऑस्कर से सम्मानित किया गया. और कॉफी मग, स्टिकर, जूट बैग आदि पर इसे पाया जाता हैं. क्या व्यावसायीकरण की यह कला इस तरह हमेशा एक संतुलन बनाए रखेगी?
मिरियम प्रेज़लर: वास्तव में मुझे स्वाभाविक रूप से यह आडंबर लगता है. हास्य और अन्य कई चीज़ें भी इस तरह की हो सकती हैं. मैं थियेटर नाटक के रूप में इसे विवादास्पद मानती हूँ. लेकिन मुझे पता नहीं कि इसे कैसे रोका जा सकता है . एना फ्रेंक की डायरी के साथ मेरी भावना का इससे कुछ लेना देना नहीं है. एना फ्रेंक एक प्रतीक बन गई हैं और एम्स्टर्डम में एना फ्रेंक- भवन यूरोप में सबसे अधिक दर्शन किए जाने वाले संग्रहालयों में से एक है.
DW: क्या एना फ्रेंक वास्तव में लेखक बनना चाहती थीं? किस हद तक यह एक युवा लड़की की डायरी से अधिक है?
मिरियम प्रेज़लर:मैं आश्वस्त हूँ वह इससे भी बड़ा करने के लिए बनी थीं. एक लड़की जो 13, 14 साल की छोटी सी उम्र में थोड़े से इतना बड़ा बना सकती है. अपने परिवार के साथ उसे जिस मकान में छिपना पड़ा था , वहाँ कुछ भी नहीं था. वास्तव में यह बहुत उबाऊ था, वहाँ विविधता नहीं थी और ऎसी जगह पर वह इतना कुछ करने और पूरी दुनिया को बनाने में कामयाब रहीं.
DW: अनेक लोग जिन्होंने यह पुस्तक नहीं पढ़ी है, सोचते हैं कि यह एक दु:खद अंत है, यहूदी लड़की एना फ्रेंक के साथ विश्वासघात किया गया , उसे KZ Auschwitz में देश निकाला दिया गया और फिर मित्र राष्ट्रों द्वारा मुक्ति की घोषणा से कुछ सप्ताह पूर्व 1945 में बर्गन-बेल्सन शिविर में वह मर गई. लेकिन उसकी डायरी में हम उसे जीवन के प्रति सकारात्मक सोच रखने वाली एवं हंसमुख व्यक्तित्व वाली लड़की के रूप में देखते हैं. यह सब एक साथ कैसे होता है?
मिरियम प्रेज़लर:इसका उत्तर देना बहुत आसान है. डायरी इस वाक्य के साथ समाप्त होती है “यहाँ एना की डायरी खत्म होती है” (“Hier endet Annes Tagebuch.”). लेकिन वास्तव में तो यह तब शुरू होती है. जब वह एक बंदी शिविर में थी, एना डायरी आगे नहीं लिख सकी. वह एम्स्टर्डम में डूबी हुई थी, लेकिन यह उस समय तक अपेक्षाकृत सुरक्षित स्थान था, जब तक कि उनके साथ कोई विश्वासघात न हो. छिपे हुए अधिकाँश बच्चे अपने माता पिता से बिछुड गए और उन्हें अपने छिपने के स्थान को बदलना पड़ा. जबकि एना अपने माता पिता और सदृश लोगों के साथ दो वर्ष तक एक ही स्थान पर रहीं .
DW: इसका मतलब है कि अंतिम अध्याय की कमी दरअसल खल रही है. है न ?
मिरियम प्रेज़लर:स्वाभाविक रूप से खल रही है. एक ओर डायरी को इतना अधिक स्वागत सम्मान मिल रहा है ; आप इसे स्कूल में अच्छी तरह पढ़ सकते हैं , शिक्षक के रूप में आप इसे पढ़ सकते हैं और इस पर विचार कर सकते हैं और तीसरे जगत में भी आपने इसका प्रयोग किया है. लेकिन वास्तव में डायरी उस बिंदु तक पहुँचकर समाप्त हो जाती है , जहाँ इसमें बुराई दर्शाई गई है. मुझे आशा है कि दोनों नाटककार उस बिंदु पर आकार रुके नहीं हैं.
(मिरियम प्रेज़लर एक लेखिका और अनुवादक हैं और जर्मन बच्चों और युवाओं के लिए सबसे प्रतिष्ठित पुस्तक लेखक हैं . वह डर्मस्टड में 1940 में पैदा हुईं , वह धात्रेय माता पिता और उनके बच्चों के साथ एक यहूदी बच्चे के रूप में बड़ी हुई . बाद में ये कटु अनुभव उन्होंने अपनी किताबों में संकलित किये . 1980 में उनका पहला युवा वयस्क उपन्यास “कड़वी चॉकलेट” प्रकाशित हुआ, जिसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिसकी 400,000 नमूना प्रतियां संपादित की गईं . उनके द्वारा अनूदित “एना फ्रैंक की डायरी” (1985) के महत्वपूर्ण संस्करण से उन्हें बड़ी ख्याति प्राप्त हुई . अपने “उत्कृष्ट साहित्यिक कौशल और जीवन की उपलब्धि अनुवाद कार्य ” के लिए 2013 में उन्हें बुबेर-रोज़नस्वाइग -पदक से सम्मानित किया गया.)
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