मैत्रेयी देवी के उपन्यास ‘न हन्यते’ और मीरचा इल्याडे के उपन्यास ‘बंगाल नाइट्स’ के बारे में एक बार राजेंद्र…
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मुक्तिबोध का यह लेख भी आज पढ़ा जाना चाहिए। मुक्तिबोध ने यह लेख लिखा था जब नेहरू छुट्टी मनाने के…
ऐसा कुछ नहीं है कि जिसके संबंध में प्रेमचंद का निश्चित मत नहीं है. दर्शन, साहित्य, जीवन, राष्ट्र, सांप्रदायिक एकता, सभी विषयों पर उन्होंने विचार किया है और उनका एक मत और ऐसा कोई निश्चित मत नहीं है, जिसके अनुसार उन्होंने आचरण नहीं किया.
जिस पर उन्होंने विश्वास किया, जिस सत्य को उनके जीवन ने, आत्मा ने स्वीकार किया, उसके अनुसार उन्होंने निरंतर आचरण किया. इस प्रकार उनका जीवन, उनका साहित्य, दोनों खरे स्वर्ण भी हैं और स्वर्ण के खरेपन को जाँचने की कसौटी भी हैं.
हमारी कसौटी पर वही साहित्य खरा उतरेगा जिसमें उच्च चिंतन हो, स्वाधीनता का भाव हो, सौंदर्य का सार हो, सृजन की आत्मा हो, जीवन की सच्चाइयों का प्रकाश हो-जो हम में गति, संघर्ष और बेचैनी पैदा करे, सुलाए नहीं, क्योंकि अब और ज़्यादा सोना मृत्यु का लक्षण है.
अमृत रंजन की कवितायेँ हम जानकी पुल पर तब से पढ़ रहे हैं जब वह पांचवीं कक्षा में था. अब…
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आज महान लेखक प्रेमचंद की जयंती है. इस अवसर उनकी लिखी फिल्म ‘मजदूर’ के बारे में दिलनवाज का यह दिलचस्प…
प्रसिद्ध पत्रकार आशुतोष भारद्वाज ने 2012 में छत्तीसगढ़ के नक्सली इलाकों में रहते हुए वहां के अनुभवों को डायरी के…
कल हरदिल अज़ीज़ शायर शहरयार का इंतकाल हो गया. उनकी स्मृति को प्रणाम. प्रस्तुत है उनसे बातचीत पर आधारित यह लेख,…
आज आधुनिक कहानी के पिता माने जाने वाले लेखक मोपासां की पुण्यतिथि है. कहते हैं मोपासां ने कहानियों में जीवन की…
इस बात में कोई दो राय नहीं कि फणीश्वरनाथ रेणु हिंदी साहित्य के संत लेखक थे। लेकिन जब यही बात…