संस्कृत के जाने-माने विद्वान राधावल्लभ त्रिपाठी के संपादन में वात्स्यायन के ‘कामसूत्र’का नया संस्करण वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हो रहा है. इसकी भूमिका में राधावल्लभ जी ने विस्तार से उस पुस्तक की विषयवस्तु और महत्व पर प्रकाश डाला है. प्रस्तुत है उसका एक अंश- जानकी पुल.
यदि यह पूछा जाए कि संस्कृत की ऐसी पांच किताबों के नाम बताइए जिन्होंने दुनिया को बनाने और बचाये रखने का काम किया है तो ये किताबें हैं रामायण, महाभारत और गीता, कौटिल्य का अर्थशास्त्र, कालिदास का अभिज्ञानशाकुन्तलम और वात्स्यायन का कामसूत्र. कामसूत्र के बारे में यह आम धारणा है कि यह केवल सेक्स को लेकर लिखी गई किताब है. यह गलत धारणा है. कामसूत्र सिर्फ सेक्स की किताब नहीं है. इसमें सात अध्याय या अधिकरण हैं, इनमें से केवल दूसरे अधिकरण में चुम्बन, आलिंगन और सम्भोग की विधियों और प्रकारों का विवेचन है. मतलब कामसूत्र का महज चौथाई या उससे भी कम हिस्सा उस विषय के बारे में है जिसे हम सेक्स कहते हैं. इसके बाकि अधिकरणों या अध्यायों के विषय हैं- नागरिक या सुरुचिसम्पन्न व्यक्ति की जीवनशैली, उसका घर, घर की सजावट, घर के कमरों की बनावट, रसोई, किचेनगार्डन, गृहिणी, पत्नी के कर्त्तव्य, विवाह के तरीके, वैशिकशास्त्र या वेश्याओं का जीवन, इनका अर्थशास्त्र, रहन-सहन आदि. राजाओं का जीवन, रनिवास आदि. यह प्राचीन समाजशास्त्र की भी एक अनोखी किताब है, और उससे भी बढ़कर यह सौंदर्यशास्त्र की किताब है. वात्स्यायन का काम से आशय जीवन को सर्वांगीण रूप से सुन्दर बनानेवाले सारे तत्वों के समुच्चय से है. उनके अनुसार एक आधारसंहिता भी वात्स्यायन प्रतिपादित करते हैं. यह बात अलग है कि कामसूत्र चूँकि दो हज़ार से भी अधिक साल पहले लिखी गा किताब है, इसलिए इसकी बहुत सी बातें जो उस समय प्रासंगिक रही होंगी, अब काम की नहीं रह गईं. पर इससे इस किताब का महत्व कम नहीं होता.
वास्तव में, कामसूत्र प्रेम, सौंदर्य तथा जीवन के राग का एक विश्वकोश है. विश्वसाहित्य में यह अपने ढंग का निराला और इस विषय पर पहला ग्रन्थ है. कामसूत्र का मुख्य प्रयोजन जीवन में काम का सही विनियोग है. काम के विषय में अज्ञान भटका सकता है. अधकचरा ज्ञान विक्षिप्त बना सकता है.
कामशास्त्र को जानलेवा कुंठाओं से मुक्त होना है. कामसूत्र भोगवाद को बढ़ावा देनेवाली पुस्तक नहीं है, संयम का पाठ पढाने वाला शास्त्र है. उसका आधार ठोस वास्तविकता है, इसमें प्रेम को अनिर्वचनीय वायवीय तत्व के रूप में परिभाषित नहीं किया गया है, वह प्रेम भौतिक वास्तविकताओं के बीच ही जन्म लेता है और परिपक्व होता है. प्रेम बना रहे- इसके लिए वात्स्यायन ने कुछ उपचार या सलीके बताये हैं. कामसूत्र देह के माध्यम से जीवन की कविता का आविष्कार है. काम धर्म और अर्थ के द्वारा नियंत्रित होकर जीवन को परिपूर्ण बनाता है, काम सिर्फ सेक्स भी नहीं है, उसके साथ चौंसठ कलाएं जुड़ी हुई हैं- जिनमें कविता, साहित्यिक विमर्श, नाटक, पहेली, वास्तु, गणित आदि से लगाकर रंगोली और पाकशास्त्र आदि भी शामिल हैं.
हमारे समय में इस बात को लेकर विवाद किया जा रहा है कि स्कूलों में सेक्स की शिक्षा दी जाए या नहीं. वात्स्यायन आज से करीब सवा दो हज़ार साल यह बात कह चुके थे कि विवाह के पहले स्त्रियों और पुरुषों को कामशास्त्र की बाकायदा शिक्षा दिया जान ज़रूरी है. यह शिक्षा दोनों को युवा होने के पहले दे दी जाए, यह भी वे कहते हैं. कामसूत्र के आरम्भ में ही उन्होंने सलाह दी है कि पुरुषों को विवाह से पहले कामशास्त्र का अध्ययन करना ही चाहिए. युवती होने के पहले स्त्री को भी इस शास्त्र का अध्ययन करना चाहिए. पुरुष को चाहिए कि धर्म और अर्थ तथा जो विद्याएँ इन दोनों की अंग हैं, उनके अध्ययन में बाधा दिए बिना कामसूत्र और उसकी अंगविद्याओं का अध्ययन करे. यौवन से पहले स्त्री भी इन विद्याओं का अध्ययन करे. पति की रजामंदी से विवाहित स्त्री भी कामसूत्र और उसकी अंगविद्याओं का अध्ययन करे- यह भी वात्स्यायन कहते हैं.
वात्स्यायन संस्कृत की शास्त्र परंपरा में उन विचारकों में से हैं, जिनके लिए स्त्री केवल एक क्षेत्र नहीं है, जिसमें पुरुष बीज बोता है. वे स्त्री को विषय नहीं, विषयी की दृष्टि से ज्यादा देखते हैं. वे स्त्री और पुरुष के बीच मित्रता के संबंध की भी बात करते हैं. विवाह के बारे में उनका दृष्टिकोण धर्मशास्त्रकारों से अलग है. वे कहते हैं कि जो कन्या से अनुरक्त हो उसी वर को वरीयता दी जानी चाहिए. धर्मशास्त्रकारों से असहमति प्रकट करते हुए वात्स्यायन गान्धर्व विवाह या प्रेम विवाह को सुखकारक, क्लेशरहित और अनुरागात्मक होनेके कारण सारे विवाहों में प्रवर या श्रेष्ठ मानते हैं. वात्स्यायन विवाहित स्त्री को भी सलाह दे देते हैं कि पति से प्रेम न मिले तो जिससे प्रेम मिल सके उसके पास चली जाए. स्त्री विधवा या सधवा, प्रेम और घर बसाने के लिए दूसरा विवाह कर सकती है, इस मान्यता के साथ पुनर्भू या दूसरा विवाह करने वाली विधवा या सधवा स्त्री को वात्स्यायन ने बहुत उदार होकर एक पहचान दी है.
अपनी किताब के अंत में वात्स्यायन कहते हैं कि उन्होंने ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए परम समाधी की स्थिति में यह किताब लिखी है. भोग को बढ़ावा देना इसका किसी भी प्रकार से मकसद नहीं है. वे यह बात जोर देकर कहते हैं कि इस किताब में मैंने बहुत सारे नुस्खे बताये हैं, पर उनका आशय यह बिलकुल नहीं है कि हर आदमी और स्त्री उनका प्रयोग करे. शास्त्र या विज्ञान के ग्रन्थ में ढेर सारी बातें बताई जाती हैं, ये जानकारी के लिए होती हैं, उनमें से सबकी सब अमल में लाने के लिए नहीं होती हैं. वात्स्यायन राजाओं को भी चेतावनी देते हैं कि वे भी यदि भोग-विलास में लिप्त हो जायेंगे तो समाज का पतन होगा. यदि बहुत सारे विचित्र, बेढब और हास्यास्पद तक प्रयोगों की जानकारी वात्स्यायन देते हैं तो इसलिए भी कि वे समाजशास्त्रिय दृष्टि से अपने समय का एक दस्तावेज़ प्रस्तुत कर रहे हैं. पर वास्तविकता यह है कि काम वात्स्यायन के लिए समग्र जीवन साधना का अंग है. इसीलिए परंपरा वात्स्यायन को भी ऋषि मानती है.
16 Comments
कामसूत्र को काम की किताब समझना उसके मूल रूप को नकारना है.टीकाकरो ने बहुत सी किताबो की ऐसी तैसी कर दी है.उसे बाजार की बस्तु बनादिया है.मनमानी ब्याख्याये की गई है.ताकि वह बिक सके .इस तरह की मनोवृति बहुत घातक है .पुराने गृन्थो और मिथको का मूल्याकन आज के परिदृश्य में किया जाना चाहिये .
sudhir kakkar ke upanyas -karm -yogi ko bhi padha jana chahiye jo vatsyan ke jiwan par aadharit he.
Adbhut, ye jaan kar aascharya hua ki kaamsutra ka mahaj 1/4 hissa hi sex ke baarey mein hai baaki jivan ke darshan ke baarey mein hai. doosri baat yeh ki yeh kitaab brahmcharya ka paalan kartey huaey param samaadhi ki istithi mein likhi gayee hai. is pustak ko padhney ki ichcha honey lagi hai. JAANKARI DENE KE LIYE DHANYAWAAD.
Pingback: paid surveys
Pingback: where to buy psilocybin denver
Pingback: Buy Guns online
Pingback: โรงแรมสุนัขเข้าได้
Pingback: click home page
Pingback: 무료웹툰
Pingback: แทง ROV
Pingback: https://fremontvet.com/wp-content/uploads/2018/09/page-3.html
hello!,I like your writing so much! share we communicate more about your post on AOL? I need an expert on this area to solve my problem. May be that’s you! Looking forward to see you.
Hurrah! After all I got a weblog from where I be able to
actually take valuable facts concerning my study and knowledge.
When I originally commented I clicked the “Notify me when new comments are added” checkbox and now each time a comment is
added I get several emails with the same comment. Is there any way you can remove me from that service?
Thanks a lot!
It’s not my first time to go to see this site, i am browsing this web site dailly and obtain nice data from here every day.
Hey There. I found your blog using msn. This is an extremely well
written article. I will be sure to bookmark it and
come back to read more of your useful information. Thanks for the post.
I will definitely comeback.