विश्व पुस्तक मेले में इस साल प्रसिद्ध पत्रकार, कथाकार गीताश्री की पुस्तक ‘सपनों की मंडी’ की बड़ी चर्चा रही. प्रस्तुत है उसी पुस्तक का एक अंश- जानकी पुल.
कोई सुबह–सुबहअखवारबांटताहै।कोईघरोंकेबाहररखेकूड़ेकेथैलेकोउठाकरले जाता है।कोईसब्जीबेचताहैतोकोईकपड़ेप्रेसकरताहै।कोईकिरानेकीदुकानपरखड़ारहताहैऔरआर्डरपरआएसामानोंकोघरोंमेंपहुंचाताहैकोईरातभरकिसीअपार्टमेंटकेबाहरखड़ेहोकरचौकीदारीकरताहै।महानगरकेबहुमंजिलीसंस्कृतिमेंजीनेकेआदीहोचुकेलोगोंमेंशायदहीकिसीकोयेसोचनेकीफुरसतहोकिकौनहैंवेलोग,जोसुबहहोतेहीशुरुहोजातेहैंऔरदेररातकेबादकहांगायबहोजातेहैंकिसीकोनहींमालूम।कौनहैंवेलोग? क्याहमउनकेनामजानतेहैं? वेकहांसेआतेहैं? शहरमेंवेकिसतरहगुजर–बसरकरतेहैं? वेकहांरहतेहैं? क्याहमउनकीपरवाहकरतेहैं? शायदनहीं, लेकिनअगरकोईपरवाहकरनेनिकलेतो? तोफिरआपकासामनाहाहाकारभरेऐसे–ऐसेसचसेहोगा, जिसपरयकीनकरनामुश्किलहोजाएगा।
मुंबई केमशहूरलियोपोर्डकीसंगीतभरीरातोंकेसामने10 से12 सालकेबीसयोंबच्चेअक्सरखड़ेमिलतेहैं।शायदआपनेभीउन्हेंदेखाहो, लेकिनक्याआपकोपताहैकि वे उनशोषितबच्चोंकेसमूहसेहैंजोशहरकेफुटपाथोंपरजूतेयाकारचमकातेहैं, फूल, चाकलेटयाफिरकुछऔरबेचतेहैं।रातकोभीखमांगतेहैं।औरयहसबबड़ेहीसंगठितरूपसेहोताहै, क्योंकिफूलया चाकलेट बेचनेवालेबच्चेखुदबिकेहुएहोतेहैं।एकरिपोर्टबतातीहैकिसिर्फमुंबईमेंएकसालकेअंदर8 हजारबच्चेलापताहुएहैं।औरदूसरेमहानगरोंकेबारेमेंभीकुछइसीतरहकेgeetashree
5 Comments
गीता श्री से एक मुलाक़ात है. वह बेलौसी, वह साफगोई ह्रदय में अंकित है. जो लेखन में पढ़ा था वह जीवन में पाना अद्भुत है.
गीताश्री जी की संवेदनशीलता का मैं पुराना कायल पाठक हूं… इस पुस्तक में उन्होंने भारतीय समाज के सबसे घिनौने पक्ष पर बहुत बेबाकी से लिखा है और कई जगह तो बेहद काव्यात्मक संवेदना के साथ उनकी कलम पाठक को रुलाती चलती है। … पुस्तक के लिए गीताश्री को बधाई और आभार जानकीपुल का एक बेहतरीन अंश पढ़वाने के लिए।
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