हिंदी किताबों की दुनिया में पाठकों से जुड़ने की आकांक्षा पहले से बढ़ी है, इस दिशा में पहले भी प्रयास…
कवयित्री अंजू शर्मा ने फिल्म ‘पीके’ पर एक सम्यक टिप्पणी की है. फिल्म के बहाने उसके आगे-पीछे उठने वाले सवालों…
‘लोकमत समाचार’ की साहित्य वार्षिकी ‘दीप भव’ का इन्तजार बना रहता है. इसलिए नहीं कि उसमें मेरी रचना छपी थी.…
दिलीप कुमार के पेशावर को याद रखने का एक दूसरा दर्दनाक सिलसिला बन गया. दोनों मुल्कों के इतिहास का सबसे…
आज हिंदी के दुःख को उर्दू ने कम कर दिया- कल साहित्य अकादेमी पुरस्कार की घोषणा के बाद किसी मित्र…
पिछले इतवार को रांची में शैलप्रिया स्मृति सम्मान का आयोजन हुआ था. इस आयोजन पर कल बहुत अच्छी रपट हमने…
यह हम हिंदी वालों का लगता है स्वभाव बन गया है- जो अच्छा होता है उसकी ओर हमारा ध्यान कम…
मेरे प्रिय व्यंग्यकार-कवि अशोक चक्रधर ने रायपुर साहित्योत्सव से लौटकर अपने प्रसिद्ध स्तम्भ ‘चौं रे चम्पू’ में इस बार उसी…
हिंदी के एक वरिष्ठ लेखक, एक ज़माने में मैं जिनका दूत होता था, भूत होता था, ने एक बड़ी मार्के…
चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी ‘उसने कहा था’ पर विमल राय ने एक फिल्म का निर्माण किया था. हालाँकि निर्देशन…