जानकी पुल – A Bridge of World's Literature.

  • फीचर्ड
  • कथा-कहानी
  • कविताएं
  • समीक्षा
  • बाल साहित्य
  • बातचीत
  • संस्मरण
  • व्यंग्य
  • पुस्तक अंश
  • रपट

सिनेमा में करुण रस क्या होता है?

By November 28, 2014214

युवा लेखक प्रचण्ड प्रवीर इन दिनों रस सिद्धांत के आधार पर विश्व सिनेमा के अध्ययन में लगे हैं. उनका यह…

प्रताप सोमवंशी की चार कविताएं

By November 27, 201411

प्रताप सोमवंशी को हम सजग वरिष्ठ पत्रकार के रूप में अच्छी तरह जानते हैं. वे एक संवेदनशील कवि भी हैं.…

मुम्बई, 26/11 और एक किताब ‘हेडली और मैं’

By November 26, 20142

आज 26 नवम्बर है. 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद से 26/11 को स्याह दिन की तरह…

डीयू का बिहार कनेक्शन और अंग्रेजी उपन्यास

By November 24, 20144

लोकप्रिय अंग्रेजी उपन्यासों का यह साल दिल्ली विश्वविद्यालय के नाम रहा. दिल्ली विश्वविद्यालय का बिहार कनेक्शन इस साल अंग्रेजी के…

रणदीप और नंदना की अधिक रवि वर्मा की कम बनी ‘रंगरसिया’

By November 23, 20141

100 करोड़ के टारगेट की वजह से आजकल ऐसी फ़िल्में कम आ पाती हैं जिनमें कंटेंट के स्तर पर कुछ…

क्या है जर्मन-संस्कृत विवाद?

By November 22, 201432

केन्द्रीय सेवाओं में हिंदी के उचित महत्व के मुद्दे पर प्रेमपाल शर्मा के तर्कों के हम सब कायल रहे हैं.…

मनीषा पांडे की पांच कविताएं

By November 21, 201422

कहते हैं कविता अभिव्यक्ति का विशुद्ध रूप होता है- भावना और बुद्धि के सबसे करीब. मनीषा पांडे की कविताओं को…

कुमार विश्वास क्यों मेरे दिल के बहुत करीब है?

By November 18, 201424

मैं हिंदी का कैसा लेखक हूँ यह आप जानें. मुझे अपने लेखन को लेकर कोई मुगालता नहीं है. लेकिन ‘पाखी’…

राजकमल चौधरी का पत्र दूधनाथ सिंह के नाम

By November 17, 2014151

लेखकों के पत्रों से कई बार उनके व्यक्तित्व का, उनके लेखन-सूत्रों का पता चलता है. यह एक ऐतिहासिक पत्र है…

क्षितिज रॉय की कहानी ‘लड़का, लड़की और तीव्र मुद्रिका’

By November 16, 20144

इधर क्षितिज राय की कहानियों की शैली ने मुझे बहुत प्रभावित किया है. नीलेश मिश्रा की मंडली के लेखक रहे…

Previous 1 … 259 260 261 262 263 … 404 Next

Recent Posts

  • शहादत की कहानी ‘मुज़फ़्फ़रनगर में ईद’
  • ज्योति रीता की कविताएँ
  • ‘आन्ना कारेनिना’ उपन्यास पर मनीषा कुलश्रेष्ठ
  • अम्बर पाण्डेय से प्रभात रंजन की बातचीत
  • लोक और शास्त्र का लालित्यपूर्ण वैभव- प्रिया नीलकण्ठी

Recent Comments

  1. Aarti mishra on संजीव पालीवाल की ‘किताबी बात’- 1
  2. विश्वमोहन on क्या अब व्यंग्य का मतलब सिर्फ लोगों को चौंकाना और उनसे प्रतिक्रिया लेना रह गया है?
  3. मधु सक्सेना on प्रेम में एक-दूसरे के ‘स्व’ को बचाने की सीख – ‘अमृता इमरोज़’
  4. किरण on गरिमा जोशी पंत की कहानी ‘अनसुनी अनुसुइया’
  5. siraj saxena on सीरज सक्सेना से प्रभात रंजन की बातचीत
Editors Picks
Top Reviews
Advertisement
जानकी पुल – A Bridge of World's Literature.
© 2025 jankipul. Designed by RK Tech.

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.