शाहरुख़ खान की फिल्म ‘हैप्पी न्यू ईयर’ सैकड़ों करोड़ कमाकर सुपर डुपर हिट हो चुकी है. ऐसे में उस फिल्म…
लोकसभा चुनावों से पहले काला धन वापस लाने का ऐसा शोर था कि कई लोग तो सपने देखने लगे कि…
सविता सिंह की कविताओं का हिंदी में अपना अलग मुकाम है. उनकी कविताओं में गहरी बौद्धिकता को अलग से लक्षित…
‘हैदर’ के आये दो हफ्ते हो गए. अभी भी मल्टीप्लेक्स में उसे देखने के लिए लोग जुट रहे हैं. अभी…
इधर महाभूत चन्दन राय की कवितायेँ पढ़ी. पेशे से इंजीनियर चन्दन की कविताओं में समकालीनता का दबाव तो बहुत दिखता…
युवा लेखकों की एक बात मुझे प्रभावित करती है- वे बड़े फोकस्ड हैं. अपने धुन में काम करते रहते हैं.…
महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव में ड्रामा से अधिक मेलोड्रामा का तत्त्व हावी रहा, मेलोड्रामा बढ़ते ही मनमोहन देसाई की…
सदफ नाज़ के व्यंग्य की अपनी ख़ास शैली है. व्यंग्य चाहे सियासी हो, चाहे इस तरह का सामाजिक- उनकी भाषा,…
जिस अखबार, जिस मैगजीन को उठाइए उसमें कुछ चुनिन्दा प्रकाशकों की किताबों के बारे में ही चर्चा होती है। एक…
कभी कभी सोचता हूँ हिंदी की मुख्यधारा से सार्थक लेखन करने वाले बहुत सारे लेखक कैसे काट दिए जाते हैं.…