“इमरान वर्सेस इमरान’ इमरान के जीवन से जुड़े सभी पहलुओं को उनकी जुबानी सामने लाती है जो इस पुस्तक को उनकी आधिकारिक जीवनी बनाती है. पुस्तक में फ्रैंक ने इमरान के सार्वजनिक के निजी सन्दर्भों के सहारे समझने का प्रयास किया है और अधिकांश मुद्दों पर पर इमरान ने अपनी राय साफगोई से रखी है. उस इमरान खान की जिसने कभी पाकिस्तान के क्रिकेट का मिजाज़ बदल कर रख दिया था, आज वह पाकिस्तान की राजनीति की सबसे बड़ी उम्मीद है. यह अलग बात है कि १५ सालों के राजनीतिक कैरियर के आधार पर इस कथन का समर्थन नहीं किया जा सकता. कम से कम एक नेता तो है पाकिस्तान में जो ईमानदार है, जिसका ‘आउटलुक’ आधुनिक है और जिसमें बदलाओं को लेकर संजीदगी दिखाई देती है. फ्रैंक हुज़ूर की यह किताब निस्संदेह एक नए इमरान को सामने लेकर आती है, जो महज एक स्टार या प्लेबॉय नहीं है, एक ‘स्टेट्समैन’ भी है जो गहरी और बेबाक राजनीतिक समझ रखता है.
अंग्रेजी के युवा लेखक-नाटककार-पत्रकार फ्रैंक हुज़ूर एक ज़माने में ‘हिटलर इन लव विद मडोना’ नाटक के कारण विवादों में आये थे, आजकल उनकी किताब ‘इमरान वर्सेस इमरान: द अनटोल्ड स्टोरी’ के कारण चर्चा में हैं. आइये उनकी इस किताब से परिचय प्राप्त करते हैं- जानकी पुल.
इमरान खान का नाम जब भी ध्यान में आता है १९८०-९० के दशक का वह क्रिकेटर याद आता है जिसके हरफनमौला खेल ने केवल पाकिस्तान ही नहीं भारतीय उप-महाद्वीप के क्रिकेट का लोहा मनवाया था, जिसने लगभग अपने कंधे पर १९९२ में पाकिस्तान को विश्व कप का चैम्पियन बनवाया था. निस्संदेह भारतीय उपमहाद्वीप के दो सर्वकालिक महान ऑलराउंडर्स में एक नाम इमरान खान का है, दूसरा नाम है कपिल देव.
लेकिन इमरान को याद करने का एकमात्र कारण क्रिकेट ही नहीं है. मुझे याद है जिन दिनों इमरान के खेल की तूती बोलती थी उन दिनों मैं स्कूल-कॉलेज का स्टूडेंट हुआ करता था, और साथ पढ़ने वाली लड़कियां अपने कमरे में इमरान के पोस्टर्स लगाया करती थीं, किताबों पर उसके कवर लगाया करती थीं, न जाने कितनी लड़कियां इमरान को देखने के लिए क्रिकेट का खेल देखा करती थीं. यह इमरान के जीवन का दूसरा पहलू है, उनको बहुत बड़े ‘प्लेबॉय’ के रूप में भी जाना जाता है, ऐसे प्लेबॉय के रूप में जिसकी दीवानगी ने संसार की सारी भौगोलिक सीमाओं को तोड़ दिया. आज इमरान पाकिस्तान में ‘तहरीके-इन्साफ’ पार्टी के प्रमुख के रूप में जाने जाते हैं, पाकिस्तानी राजनीति में बदलाव की बहुत बड़ी उम्मीद के तौर पर. यह इमरान के ४० साल के सार्वजनिक और बहुवर्णी जीवन का एक और पहलू है. ये सारी बातें ध्यान इसलिए आ रही हैं क्योंकि इन दिनों उनके ऊपर युवा लेखक फ्रैंक हुज़ूर की किताब आई है ‘इमरान वर्सेस इमरान: द अनटोल्ड स्टोरी’, जो बेहद चर्चा में है. फ्रैंक ने अपने बचपन के हीरो इमरान खान के कई सेशंस में में बातचीत की, इसके लिए आठ बार पाकिस्तान की यात्रा की, और सामने आई यह किताब. जिसमें इमरान के जीवन के अनेक अनछुए पहलू पहली बार उद्घाटित हुए हैं. मीडिया में किताब में आये एक हवाले की इन दिनों बेहद चर्चा है. दशकों से इस बात को लगभग स्थापित तथ्य की तरह मान लिया गया था कि जिन दिनों इमरान ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी में पढते थे उन्हीं दिनों बेनजीर भुट्टो भी वहां पढ़ती थी, और उस दौरान उन दोनों में नजदीकियां आई थीं. जब तक बेनजीर कुंवारी थी कई बार यह अफवाह उड़ी कि इमरान और बेनजीर शादी करने वाले हैं. बहरहाल, भारतीय उप-महाद्वीप के दो बेहद खूबसूरत और शक्तिशाली जोड़े की इस दशकों पुरानी रूमानी कथा को लेकर पहली बार इस किताब में इमरान ने कहा है कि असल में बेनजीर के साथ उनका संबंध नहीं था बल्कि उनके रिश्ते के एक भाई का संबंध था, और दोनों विवाह भी करने वाले थे. यह मिथक-भंग की तरह है.
लेकिन फ्रैंक हुज़ूर की इस किताब में केवल यही नहीं है. इसमें इमरान की जुबानी उनके व्यक्तित्व को समझने की कोशिश की गई है, जो लाखों-करोड़ों के लिए महानायक है, कट्टरपंथियों के लिए खलनायक, जिसने एक गोरी चमड़ी वाली जेमिमा गोल्डस्मिथ से शादी की, जिसका नाम न जाने कितनी विदेशी महिलाओं के साथ जुड़ा, सीता व्हाइट के साथ उसके अवैध बच्चे होने की बात भी मीडिया में आई, कहते हैं लंदन के ‘डिस्कोज़’ में इमरान के आते ही उजाला फ़ैल जाता था, उसके मर्दाना लुक का उजाला, उसकी अदाओं का उजाला. आज भी दिल्ली या मुंबई के नाइट क्लबों में जब वह कभी-कभी आता है तो अगले दिन के पेज थ्री पर उसकी खबर प्रमुखता से होती है. उसकी उम्र ढल रही है लेकिन सुंदरता, अदाओं का जलवा अब भी बना हुआ है. लेकिन वही इमरान पाकिस्तान में कैंसर अस्पताल बनवाने के लिए अपने जलवे के इस्तेमाल से धन इकठ्ठा करता है, पाकिस्तान में बदलाव की कम से कम आवाज़ तो बुलंद करता ही है.
9 Comments
इमरान पाकिस्तान की ही उम्मीद नहीं हैं ,हर सुकून और तरक्की – पसंद की उम्मीद हैं ! शुक्रिया जानकी पुल !
पठनीय सामग्री… बधाई…
rochak hai …
इमरान हमेशा ही एक विवादित व्यक्तित्त्व रहे हैं चाहे वह क्रिकेट में या अपने निजी, सार्वजनिक जीवन में उनकी इतनी कहानियां प्रचलित है जो सहज ही लिखने को प्रेरित कर सकता है….परिचय बता रहा है कि कुछ अजाना और महत्त्व्पूर्ण सामने आएगा…
बहुत बहुत शुक्रिया इसे पढ़वाने के लिए… आभार..
जानकी पुल का शुक्रिया कि उसने फ्रैंक हुजूर की किताब का इतना सटीक परिचय साझा किया. सचमुच इस नए इमरान को सामने लाने में फ्रैंक ने महत्त्वपूर्ण भूमिक निभाई है.
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