हाल में वी.एस. नायपॉल के कई उपन्यासों के हिंदी अनुवाद पेंगुइन से छपकर आये, जिनमें उनका एक महत्वपूर्ण उपन्यास ‘गुरिल्लाज’…
हिंदी प्रकाशन जगत की समस्त घटनाएं दिल्ली में ही नहीं होती हैं. कुछ अच्छी पुस्तकें केंद्र से दूर परिधि से…
तादेऊष रुज़ेविच के निधन पर याद याद आया कि उनकी कविताओं का मूल पोलिश से अनुवाद अशोक वाजपेयी जी ने…
हिंदी में बेहतरीन प्रतिभाओं की उपेक्षा कितनी होती है शैलेश मटियानी इसके उदहारण हैं. 24 अप्रैल को उनकी पुण्यतिथि थी.…
युवा लेखक श्रीकांत दुबे पिछले दिनों मेक्सिको में थे. मार्केस के शहर मेक्सिको सिटी में. तब मार्केस जिन्दा थे. उनका…
समाजवादी जन परिषद् के महामंत्री सुनील का महज 54 साल की आयु में निधन हो गया. जेएनयू से अर्थशास्त्र की…
इस बार आम चुनावों में जमीन से जुड़े मुद्दे गायब हैं. खेती, किसान, अकाल, दुर्भिक्ष, पलायन- कुछ नहीं. जमीन से…
लेखक काशीनाथ सिंह को सारा हिंदी समाज जानता है. लेकिन उनके यशस्वी पुत्र प्रोफेसर सिद्धार्थ सिंह उनके बारे में क्या…
वर्धा कोश पर ‘जनसत्ता’ में एक लम्बी बहस चली. कुछ हद तक सार्थक भी रही. वैसे मेरा विचार यह है…
वरिष्ठ शिक्षाविद प्रेमपाल शर्मा ने शिक्षा को लेकर राजनीतिक पार्टियों, ख़ासकर ‘आप’ से अपील की है. उनका यह सवाल महत्वपूर्ण…