हिंदी के वरिष्ठ कवि, ‘समास’ जैसी गहन विचार-पत्रिका के संपादक, भारतीयता के विचारक उदयन वाजपेयी का यह लेख आज ‘जनसत्ता’ में…
महाराष्ट्र में नेरुर पार के एक तटवर्ती गांव में 1946 में जन्मे श्री प्रभाकार कोलते स्वातन्त्र्योत्तर भारत में आधुनिक अमूर्त-कला…
मार्केज़ के अनुवादों को लेकर किसी से खूब चर्चा हुई तो मुझे याद आया कि उनकी एक कहानी का सुन्दर अनुवाद…
आज ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में वरिष्ठ पत्रकार, कवि कार्टूनिस्ट राजेन्द्र धोड़पकर का यह लेख प्रकाशित हुआ है. जिन्होंने न पढ़ा हो उनके…
‘वागर्थ’ पत्रिका के मई अंक में एक परिचर्चा प्रकाशित हुई है ‘समकालीन कथा साहित्य और बाजार’ विषय पर. इसमें मैंने…
महीनों से चल रहे चुनावी चक्र से बोर हो गए हों, राजनीतिक महाभारत से ध्यान हटाना चाहते हों तो कुछ…
लोकसभा चुनाव संपन्न हुए, हार-जीत तय हो गई. आज कई अखबारों में चुनाव परिणामों का विश्लेषण देखा-पढ़ा. ‘जनसत्ता’ संपादक ओम…
अपने पहले उपन्यास ग्लोबल गांव के देवता के चर्चित और बहुप्रशंसित होने के बाद रणेन्द्र अपने दूसरे उपन्यास गायब होता…
आज हमारे लोकतंत्र के महासमर का आखिरी मतदान चल रहा है. आइये रवि भूषण पाठक की कुछ राजनीतिक कवितायेँ पढ़ते…
भरत तिवारी की जादुई तस्वीरों के हम सब प्रशंसक रहे हैं. उनकी गज़लों की रवानी से भी आप प्रभावित हुए…