पिछले बरसों में हिंदी के प्रकाशन-जगत में तेजी से बदलाव हुए हैं. हाल के दो उदाहरणों का ध्यान इस सन्दर्भ…
पिछले बरसों में हिंदी के प्रकाशन-जगत में तेजी से बदलाव हुए हैं. हाल के दो उदाहरणों का ध्यान इस सन्दर्भ…
यह खबर पढ़ी कि स्मृतियों से देश-महादेश रचनेवाले लेखक मार्केस को भूलने की बीमारी हो गई है तो मन को…
बिना कुछ अधिक बताए, किसी दावे के ‘कविता के साथ’ अपने नियमित आयोजन के पहली वर्षगांठ के करीब पहुँच गई…
असद जैदी का नाम हिंदी कविता में किसी परिचय का मोहताज नहीं है. अपनी स्पष्ट राजनीति, गहरी संवेदना और तेवर…
असद जैदी का नाम हिंदी कविता में किसी परिचय का मोहताज नहीं है. अपनी स्पष्ट राजनीति, गहरी संवेदना और तेवर…
गिरिराज किराडू की कविताएँ बगैर किसी हो-हल्ले के, बगैर कोई चीख-पुकार मचाये बहुत कुछ कह जाती हैं. ८ जुलाई की…
अनुराग कश्यप ने सिनेमा की जैसी बौद्धिक संभावनाएं जगाई थीं उनकी फ़िल्में उन संभावनाओं पर वैसी खरी नहीं उतर पाती…
स्वयंप्रकाश का नाम हिंदी कहानी में किसी परिचय का मोहताज नहीं है. उनसे यह बातचीत वरिष्ठ कवि नन्द भारद्वाजने की…
गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु सुधीश पचौरी की याद आई तो युवा विमर्शकार विनीत कुमार के इस लेख की भी…