अभी इतवार को प्रियदर्शन का लेख आया था, जिसमें गौरव-ज्ञानपीठ प्रकरण को अधिक व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखने का आग्रह किया…

ज्ञानपीठ-गौरव प्रकरण ने हिंदी के कुछ बुनियादी संकटों की ओर इशारा किया है. लेखक-प्रकाशक संबंध, लेखकों की गरिमा, पुरस्कार की…