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प्रेम भी बला है और प्रेम के बारे में बोलना भी बला

By May 30, 20117

राजकिशोर इस बार सुनंदा की डायरी के साथ उपस्थित हैं- यह मेरी रचना नहीं, सुनंदा की डायरी है । पिछले…

बिकने के समय को मानना चाहिए जन्म का समय

By May 29, 201110

हाल में जिन कवियों की कविताओं ने विशेष ध्यान खींचा है उनमें फरीद खां का नाम ज़रूर लिया जान चाहिए.…

हवाओं को मनाता हूं परिंदे रूठ जाते हैं

By adminMay 28, 20110

आज दुष्यंत की कुछ गज़लें-कुछ शेर. जीना, खोना-पाना- उनके शेरों में इनके बिम्ब अक्सर आते हैं. शायद दुष्यंत कुमार की…

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हवाओं को मनाता हूं परिंदे रूठ जाते हैं

By May 28, 201118

आज दुष्यंत की कुछ गज़लें-कुछ शेर. जीना, खोना-पाना- उनके शेरों में इनके बिम्ब अक्सर आते हैं. शायद दुष्यंत कुमार की…

संगीत के गांधी : भातखंडे

By adminMay 27, 20110
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संगीत के गांधी : भातखंडे

By May 27, 2011385

जयपुर से प्रेमचंद गाँधी के संपादन में ‘कुरजां’ नामक पत्रिका का प्रवेशांक आया है. ये शताब्दी स्मरण अंक है और…

फ़िल्मी गीतों को साहित्य की ऊंचाई देने वाले मजरूह सुल्तानपुरी

By May 25, 201118

कल मशहूर शायर और गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी की पुण्यतिथि थी. उनके फ़िल्मी गीतों को लेकर प्रस्तुत है एक दिलचस्प लेख,…

एक महाशय जो फिल्म-निर्देशक बन गया.

By adminMay 24, 20110

आज मिलते हैं हाल में ही कांस फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई विवादस्पद फिल्म ‘माई फ्रेंड हिटलर’ के डायरेक्टर राकेश…

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एक महाशय जो फिल्म-निर्देशक बन गया.

By May 24, 20119

आज मिलते हैं हाल में ही कांस फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई विवादस्पद फिल्म ‘माई फ्रेंड हिटलर’ के डायरेक्टर राकेश…

यह भरोसा दरअसल वर्जिनिया पर था

By adminMay 21, 20110
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  2. विश्वमोहन on क्या अब व्यंग्य का मतलब सिर्फ लोगों को चौंकाना और उनसे प्रतिक्रिया लेना रह गया है?
  3. मधु सक्सेना on प्रेम में एक-दूसरे के ‘स्व’ को बचाने की सीख – ‘अमृता इमरोज़’
  4. किरण on गरिमा जोशी पंत की कहानी ‘अनसुनी अनुसुइया’
  5. siraj saxena on सीरज सक्सेना से प्रभात रंजन की बातचीत
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