प्रसिद्ध कवयित्री-चित्रकार वाजदा ख़ान के चित्रों की प्रदर्शनी दिल्ली के त्रिवेणी सभागार में चल रही है। उसी पर लिखा है कवयित्री स्मिता सिन्हा ने-
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त्रिवेणी कला संगम, नई दिल्ली में इन दिनों वाजदा खान की दूसरी एकल प्रदर्शनी “At A Memory Square” ने कला जगत में नई लहर पैदा कर दी है। यह केवल एक कला प्रदर्शन नहीं, बल्कि विचार, स्मृति और अमूर्तता के मेल का अनोखा अनुभव है। वाजदा खान, जो अपने अमूर्त चित्रों और कविताओं के लिए जानी जाती हैं, इस प्रदर्शनी के माध्यम से दर्शकों को अपने आंतरिक और बाहरी संसार की गहराइयों का अनुभव कराती हैं।
वाजदा खान की कला स्मृतियों और मौन की भाषा बोलती है। उनके चित्र केवल रंगों का संयोजन नहीं, बल्कि समय और भावनाओं का दस्तावेज़ हैं। उनके शब्दों में, “मुझे वे चीज़ें आकर्षित करती हैं जो मायावी हैं, रहस्यमयी हैं। वे, जो अदृश्य होते हुए भी अपनी उपस्थिति का एहसास कराती हैं।” उनकी पेंटिंग्स दृश्य और अदृश्य के बीच के पुल के रूप में खड़ी हैं, जहां हर स्ट्रोक एक छिपी हुई कहानी कहता है।
वाजदा खान की कृतियां अमूर्तता को नई परिभाषा देती हैं। उनके चित्र स्मृतियों को एक नई दृष्टि से देखने का अवसर देते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि उनकी पेंटिंग्स समय के ठहरे हुए क्षणों को जीवंत कर देती हैं। हर पेंटिंग एक व्यक्तिगत और सामूहिक स्मृति को जागृत करने का प्रयास करती है, जहां रंगों और बनावट के माध्यम से कहानियां बुनी जाती हैं।
वाजदा के चित्रों में गहरे और मिट्टी से जुड़े हुए रंग प्रमुखता से दिखाई देते हैं—काला, नीला, भूरा, और धूसर। ये रंग केवल दृश्य नहीं, बल्कि मौन का प्रतीक हैं। उनके चित्र हमें यह महसूस कराते हैं कि कला का अनुभव आंखों से अधिक आत्मा के स्तर पर होता है। उनकी कला में मौन का विस्तार और गहराई स्पष्ट रूप से झलकती है।
एक कवयित्री के रूप में वाजदा खान की कविताएं उनके चित्रों का ही विस्तार हैं। उनके अनुसार, “मेरे चित्र मेरी कविताओं का ही एक रूप हैं। शब्द और रंग, दोनों ही मेरी अभिव्यक्तियों के माध्यम हैं।” जहां उनके चित्र विचारों को रंगों में ढालते हैं, वहीं उनकी कविताएं भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करती हैं। यह शब्द और रंग का संगम उनकी कला को अनोखा बनाता है।
वाजदा खान की कला प्रकृति के रहस्यों से गहराई से प्रेरित है। उनकी कृतियों में सागर की गहराई, आकाश का विस्तार और मिट्टी की महक स्पष्ट रूप से झलकती है। यह केवल बाहरी प्रकृति तक सीमित नहीं है; उनकी कला आंतरिक भावनाओं और विचारों की गहराइयों को भी छूती है। यह बाहरी और आंतरिक अनुभवों का संगम उनकी कृतियों को अद्वितीय बनाता है।
वाजदा खान की कला को “दृश्य कविता” कहना बिल्कुल उचित है। उनके चित्रों में ऐसा ठहराव है, जो समय को रोकने और उसे महसूस करने का अवसर देता है। यह कला दर्शकों को वर्तमान की सीमाओं से परे ले जाकर एक शाश्वत अनुभव का हिस्सा बनाती है।
1 दिसंबर, 2024 को त्रिवेणी कला संगम में आयोजित “At A Memory Square” का उद्घाटन कला जगत की प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति में हुआ। अशोक वाजपेयी, उमा जैन, प्रयाग शुक्ल, रामेश्वर ब्रूटा, अमिताभ दास, प्रतुल दास, हेमराज, श्रीधर, मनीष पुष्कले ,सीरज ,उमा जैन, उदय जैन, विनोद भारद्वाज और अशोक भौमिक जैसी प्रसिद्ध हस्तियों ने इस प्रदर्शनी में शिरकत की। इस प्रदर्शनी में 23 अमूर्त पेंटिंग्स प्रदर्शित की गई हैं, जो 11 दिसंबर तक दर्शकों के लिए खुली रहेंगी। इसका संयोजन और प्रबंधन प्रसिद्ध चित्रकार गोकरण सिंह ने किया है।
वरिष्ठ साहित्यकार और कला प्रेमी अशोक वाजपेयी के शब्दों में, “अमूर्तता, स्मृति और मासूमियत एक तिपाई है जिस पर वाजदा की वर्तमान कला मजबूती से, खूबसूरती से और सार्थक रूप से खड़ी है। उनकी तस्वीरों के रंग शांत हैं – शांत जैसे कि वे अस्तित्व की सहज चुप्पी की खोज कर रहे हों। जैसे कि अस्तित्व को देखा जा रहा हो और मौन के विस्तार पर रखा जा रहा हो। ये काम मौन अन्वेषण हैं: वे जोर नहीं देते हैं, न ही बोलने की कोई ज़रूरत महसूस करते हैं। वे संवाद करने के किसी भी प्रयास को रोकने के बजाय, एक हद तक संवाद की अनुमति देते हैं। ये ऐसे दृश्य हैं जो गहरे चिंतन से उभरते हैं। कला वह वापस लाती है जो खोने वाला है। “
वाजदा खान की कला की यात्रा मानव आकृतियों से शुरू होकर अमूर्तता की गहराई तक पहुंची है। अपने शुरुआती दिनों में उन्होंने स्त्री आकृतियों के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। धीरे-धीरे उनकी कला ने अमूर्तन का रूप ले लिया, जहां हर पेंटिंग अपनी अलग पहचान और गहराई रखती है।
“At A Memory Square” केवल कला प्रदर्शन नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण और संवेदनशीलता का एक उत्सव है। यह प्रदर्शनी दर्शकों को न केवल सुंदरता का अनुभव कराती है, बल्कि उन्हें अपनी आंतरिक गहराइयों में झांकने का अवसर भी देती है। यह उन सभी के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव है, जो कला को केवल दृश्य माध्यम से परे आत्मा की गहराइयों तक पहुंचने का साधन मानते हैं।
वाजदा खान की यह प्रदर्शनी कला प्रेमियों को एक नई दृष्टि और अनुभव प्रदान करती है। यह कला के साथ-साथ जीवन के उन पहलुओं का उत्सव है, जो अदृश्य होते हुए भी हमें अपनी गहराई से जोड़ते हैं।
-स्मिता सिन्हा