खंडवा की संस्था ‘अनवरत’ की ओर से दिया जाने वाला शमशेर सम्मान श्री ओम थानवी की पुस्तक ‘मुअनजोदडो’ और नरेश सक्सेना के कविता संकलन ‘सुनो चारुशीला’ को दिए जाने की घोषणा की गई है. दोनों सम्मानित रचनाकारों को जानकी पुल की ओर से बधाई.
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वर्ष 2012 का प्रतिष्ठित ‘शमशेर सम्मान’ कविता के लिए कवि नरेश सक्सेना व सृजनात्मक गद्य के लिये लेखक सम्पादक ओम थानवी को समर्पित किया गया है। संयोजक डा0 प्रतापराव कदम ने बताया कि कवि शमशेर बहादुरसिंह की पुण्यतिथि 12 मई 2013 को लखनऊ उ.प्र. में यह सम्मान समारोह पूर्वक प्रदान किया जायेगा । सम्मान हेतु रचनाकार का चयन वरिष्ठ रचनाकारों की एक समिति करती है, इस वर्ष इस समिति के सदस्य सर्वश्री ज्ञानरंजन, श्री विष्णु नागर, श्री लीलाधर मण्डलोई, श्री मदन कश्यप, श्री अनिल मिश्र व श्री राजेन्द्र शर्मा थे। सम्मान के अंतर्गत प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह, सम्मान निधि वरिष्ठ रचनाकार के हाथों प्रदान की जाती है व सम्मानित रचनाकार के अवदान पर भी चर्चा होती है।
हमारे समय के सर्वाधिक महत्वपूर्ण कवि श्री नरेश सक्सेना का जन्म 16 जनवरी 1939 को ग्वालियर में हुआ। इंजीनियरिंग की प्रारंभिक शिक्षा जबलपुर में व उच्च शिक्षा, प्रशिक्षण कोलकाता से प्राप्त श्री नरेश सक्सेना के अब तक दो कविता संग्रह- समुद्र पर हो रही है बारिश, सुनो चारूशीला व प्रेत, हर क्षण विदा है, दौड़, एक हती मनू, आदमी का आ (नाटक) मित्रों की जिद्द से प्रकाशित हुए हैं। महत्वपूर्ण कला फिल्मों का सम्पादन, निर्देशन, महत्वपूर्ण कला संस्कृति साहित्य केन्द्रित पत्रिकाओं का सम्पादन भी आपने किया है। फिल्म निर्देशन का राष्ट्रीय पुरस्कार आपको अपनी ही कविता आधरित फिल्म पर निर्देशन हेतु सन 1991 में प्राप्त हुआ। अनेक राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं में जल विशेषज्ञ, पर्यावरण विशेषज्ञ के रूप में जुडे़ श्री नरेश सक्सेना मुक्तिबोध सृजनपीठ सागर व कानपुर आई.आई.टी. द्वारा भी विशेष रूप से आमंत्रित रचनाकार रहे हैं।
लेखक सम्पादक ओम थानवी का जन्म राजस्थान के रेगिस्तानी कस्बे फलोदी जिला जोधपुर में 01 अगस्त 1957 में एक शिक्षक परिवार में हुआ । शिक्षा – दीक्षा बीकानेर में हुई और रंगमंच से भी गहरा जुड़ाव रहा है, खासतौर पर लेखन, अभिनय और निर्देशन के क्षेत्र में। पत्रकारिता की शुरआत जयपुर से की। साप्ताहिक ‘इतवारी’ पत्रिका फिर राजस्थान पत्रिका के संपादन से जुड़े। देश में आतंकवाद जब चरम पर था तब आपने बिना समझौता किये चण्डीगढ जनसत्ता का 10 वर्षो तक सम्पादन किया। पिछले 12 वर्षो से आप जनसत्ता दिल्ली के सम्पादक हैं। साहित्य, संस्कृति, कला, सिनेमा, नाटक, संगीत, पर्यावरण, वास्तुकला, पुरातत्व और भ्रमण में विशेष रूचि रखने वाले ओम थानवी अपनी यात्रा संस्मरण केन्द्रित पुस्तक ‘मुअनजौदड़ो’ और दो खण्डों में संपादित संस्मरण संकलन ‘अपने अपने अज्ञेय’ व सिंधुघाटी की सभ्यता, इतावली विद्धान एल.पी.तैस्सीतौरी, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अंर्तविरोध पर लिखी लेखमाला के कारण विशेष चर्चा में रहे हैं। अपने देश के व्यापक भ्रमण के अलावा आपने अनेक देशों की यात्रा साहित्य संस्कृति, कला को केन्द्र में रख की है ।
6 Comments
ऐसे निर्णयों से पुरस्कार की प्रामाणिकता और निष्पक्षता पर विश्वास कायम होता है। मेरे दोनो ही प्रिय रचनाकारों को बधाई और निर्णायक मण्डल को आभार
अर्चना वर्मा
हमारे ही समय में अतीत में जाकर ‘मोहनजोदड़ो’ के समय को शब्दों में पिरो लाने वाले ओम थानवी जी और ‘सुनो चारुशीला’ के बहाने हमारे समय और जीवन की मार्मिक व्याख्या करने वाले नरेश सक्सेना जी को हार्दिक बधाई।
देवेंद्र मेवाड़ी
किताबें शानदार हैं। ऐसे निर्णय उत्साह बढ़ाते हैं।
दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई!
Pingback: hizeed
very informative articles or reviews at this time.