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प्रकाशन के साल भर के भीतर जिसकी तीन करोड़ से अधिक प्रतियाँ बिक गई, तकरीबन चालीस देशों में जिसके प्रकाशन-अधिकार देखते-देखते बिक गए, कुछ ही समय में यह अब तक की सबसे तेजी से बिकने वाली पेपरबैक किताब बन गई, इ. एल. जेम्स लेखिका से दुनिया की मशहूर सेलिब्रिटी बन गई- ‘टाइम’ पत्रिका ने उनको 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची का हिस्सा बना लिया- आखिर ऐसा क्या है ‘फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे’ शीर्षक उपन्यास-त्रयी में? यह एक ऐसा सवाल है जिसको लेकर दुनिया भर के अंग्रेजी भाषी पाठक-लेखक-आलोचक समुदाय में बहस छिड़ी हुई है. बहस चाहे जिस किनारे पहुंचे…

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अर्शिया सत्तार भारत और अंतरराष्ट्रीय लेखकों के लिए स्थापित संगम हाउस रेजीडेंसी के संस्थापकों में से एक हैं। यूनिवर्सिटी आव शिकागो से इंडियन क्लासिकल लिट्रेचर में पीएच.डी. अर्शिया का संस्कृत की कथासरित्सागर और वाल्मिकी रामायण का अनुवाद पेंग्विन बुक्स से प्रकाशित हो चुका है। बच्चों के लिए दो किताबें लिखने के अलावा वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर की एक नामचीन लेखिका हैं। उनसे नबीना दास की खास बातचीत- prairieschooner.unl.eduमें छपे इस इंटरव्यू का अनुवाद किया है -अर्पिता शर्मा ने====================================================================संगम हाउस के बारे में कुछ बताएं।वर्ष 2007 में डी डब्ल्यू गिब्सन के साथ ‘लेडिंग हाउस (आजकल राइटर्स ओमी)’ में काम करते हुए मुझे महसूस हुआ कि भारत में भी ल ेखकों के लिए…

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मनीषा कुलश्रेष्ठ किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. हमारे दौर की इस प्रमुख लेखिका का हाल में ही कथा-संग्रह आया है- ‘गन्धर्व-गाथा’. प्रस्तुत है उसी संग्रह से एक कहानी लेखिका के वक्तव्य के साथ- जानकी पुल.x==============x==================x==============x==============xभूमिकाकॉलेज के दिनों में मेरे पास एक टी – शर्ट हुआ करती थी, उस पर लिखा हुआ था ‘फ्रीक’! मेरे चचेरे बड़े भाई, जो कि चर्चित पक्षी वैज्ञानिक हैं, उन्होंने बहुत चाव से ‘गिफ्ट’ की थी और मुस्कुरा कर ‘फ्रीक’ का शाब्दिक अर्थ बताया था, “नेचर’स फ्रीक वो होते हैं जो प्रकृति के नियमों से कुछ अलग – से, विचित्र होते हैं, म्यूटेट जीन्स की वजह से या…

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आज 21 जुलाई को जन्मदिन है अर्नेस्ट हेमिंग्वे का. नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकी लेखक अर्नेस्ट हेमिंग्वे ने दुनिया भर की भाषाओं के लेखकों को प्रभावित किया. न कहकर कहने की उनकी शैली में कहानियों के रहस्य दो पंक्तियों के बीच छिपे होते थे जिसे आलोचकों ने ‘हिडेन फैक्ट’ की तकनीक के नाम से जाना. वह मितकथन का लेखक था. मानीखेज़ चुप्पियों के इस अप्रतिम लेखक की एक छोटी सी कहानी यहाँ प्रस्तुत है जिसमें उनकी यह तकनीक देखी-पहचानी जा सकती है- जानकी पुल.==============================================================एक लेखिका लिखती हैअपने शयन कक्ष में मेज़ पर अखबार खोले बैठी वह खिडकी से बाहर बर्फबारी देख…

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राजेश खन्ना को \’प्रभात खबर\’ के पत्रकार पुष्य मित्र की यह श्रद्धांजलि पसंद आई तो आपसे साझा कर रहा हूं- जानकी पुल. ====================================================================== एबीपी न्यूज पर फिल्म सफर का गाना बज रहा है.. हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना की अंतिम यात्र चल रही है और ..जिंदगी का सफर, है ये कैसा सफर.. गाने की खून जमा देने वाली धुन को सुनते हुए मैं यह आलेख लिख रहा हूं. आज सुबह उनकी फिल्म रोटी देखी है जो जी सिनेमा पर दिखायी जा रही थी और कल रात अराधना के कुछ टुकड़े सैट मैक्स पर देखने का मौका मिला. कल दोपहर…

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युवा कवि त्रिपुरारि कुमार शर्मा की कविता. इसके बारे में अलग से कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है, कविता अपने आप में सब बयान कर देती है- जानकी पुल.=========================================================गुवाहाटी के गले से चीख निकली है चीख, जिसमें दर्द है, घुटन भी है चीख, जिसमें रेंगती चुभन भी है चीख, जिसमें सर्द-सी जलन भी है चीख, जिसमें लड़की का बदन भी हैउस चीख के सन्नाटे में महसूस करता हूँ कि मोहल्ले की सभी लड़कियाँ असुरक्षित हैं बोझ से झुक रहा है मेरा माथा माथे से काले धुएँ का एक ‘सोता’ फूट पड़ा हैमैं शर्मिंदा हूँ अपने कानों पर मुझे झूठे लगते हैं उस मुँह…

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हेमंत शेष हिंदी कविता की प्रमुख आवाजों में एक हैं. उनकी तीन कविताएँ आपके लिए- जानकी पुल.==============================================================(ओम निश्चल को समर्पित)१.-अकेला होना हिल गया हूँ दृश्य मेंलौट कर पीछे छूटती सड़क पर फिर अचानक- पेड़…. घिरती आ रही है शाम -तोता है वहां कोई ?हरेपन में डूबती कोई अनखुली सी गाँठ.सोचता हूँ मैं अकेला-इस समूचे खेल में यह दृश्य है क्या शह या फिर हमारी मात.००० २.-इतना पास अपनेइतना पास अपने कि बस धुंध में हूँ गिर गए सारे पराजित-पत्रवृक्ष-साधु और चीलें कुछ हतप्रभहो कहाँ अब लौट आओ- लौट आओ…..सुन रहा अपनी पुकारें ही मैं निरंतरआवाज़ एक अंधा कुआं है, जल नहीं- जिसमें बरस…

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पिछले बरसों में हिंदी के प्रकाशन-जगत में तेजी से बदलाव हुए हैं. हाल के दो उदाहरणों का ध्यान इस सन्दर्भ में आता है- एक, स्टीव जॉब्स की जीवनी, जिसके हिंदी अनुवाद को हिंद पॉकेट बुक्स ने प्रकाशित किया. दूसरे, ‘सदा समय के साथ’ रहने वाले वाणी प्रकाशन ने एनिमेशन के पर्याय बन चुके वाल्ट डिज्नी की जीवन-यात्रा को लेकर २८४ पृष्ठों की एक पुस्तक का प्रकाशन किया, जिसे विजय शर्मा ने मूल रूप से हिंदी में लिखा है. मुझे नहीं लगता कि पहले इस तरह की पुस्तकों के पाठक हिंदी में मिलते. हिंदी के पाठक-वर्ग का विस्तार हो रहा है.…

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असद जैदी का नाम हिंदी कविता में किसी परिचय का मोहताज नहीं है. अपनी स्पष्ट राजनीति, गहरी संवेदना और तेवर के लिए अलग से पहचाने वाले इस कवि को पढ़ना अनुभव की एक अलग दुनिया से गुजरना होता है. आज इण्डिया हैबिटेट सेंटर में शाम सात बजे ‘कवि के साथ’ के आयोजन में उनको सुनना आह्लादकारी रहेगा. फिलहाल मैं अपनी पसंद की कुछ ‘असद कविताएँ’ आपको पढ़वाता हूं- जानकी पुल.=====================1.अनुवाद की भाषा अनुवाद की भाषा से अच्छी क्या भाषा हो सकती है वही है एक सफ़ेद परदा जिस पर मैल की तरह दिखती है हम सबकी कारगुजारी सारे अपराध मातृभाषाओं में किए जाते…

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अरुण प्रकाश एक सशक्त कथाकार ही नहीं थे बल्कि एक संवेदनशील कवि भी थे. आज उनकी दो गजलें और एक कविता प्रस्तुत है. जिन्हें उपलब्ध करवाने के लिए हम युवा कवि-संपादक सत्यानन्द निरुपम के आभारी हैं- जानकी पुल. ===========1. सिले होंठों से वही बात कही जाती है ख़ामोशी चुपचाप कोई जाल बुने जाती है वे सो गए पाबंदियां दिलों पे लगाकर कि देखें दीवारों से रूह कैसे निकल आती है गुमां है उनको कि जीत लिया हमने वतन उनकी नादानी पे मीरों को हंसी आती है वक्त लंबा भी खींचे, मायूस न हो मेरे दोस्त एक दन साँपों पे मोरों की भी बन आती है २.सारी हकीकतें आपके जब सामने…

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