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आज राजेंद्र यादव ८४ साल के हो गए. राजेंद्र यादव मूलतः कथाकार हैं, \’नई कहानी\’ आंदोलन के तीन सिग्नेचर कथाकारों में एक. जन्मदिन के मौके पर \’नई कहानी\’ आंदोलन के इस पुरोधा की एक पुरानी कहानी पढते हैं, जो संयोग से वर्षगाँठ के प्रसंग से ही शुरु होती है, और अपने इस प्रिय लेखक के शतायु होने की कामना करते हैं- जानकी पुल.====================I shall depart. Steamer with swaying masts, raise anchor for exotic landscapes.- Sea Breeze, Mallarmeतुम्हें पता है, आज मेरी वर्षगाँठ है और आज मैं आत्महत्या करने गया था? मालूम है, आज मैं आत्महत्या करके लौटा हूँ?अब मेरे पास…

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तस्लीमा नसरीन मूलतः कवयित्री हैं. कल जब उनकी कविताओं का प्रयाग शुक्ल पाठ कर रहे थे तब बीच-बीच में वे भी यही कह रहे थे, अशोक वाजपेयी ने भी उनकी कविताओं पर बहुत प्रशंसात्मक ढंग से बोला. उनकी कविताओं का संग्रह \’मुझे देना और प्रेम\’ पढते हुए भी लगा कि उनकी कविताओं में एक खास तरह का आकर्षण है. प्रेम की कुछ बेजोड़ कविताएँ हैं इस संग्रह में, जो प्रयाग शुक्ल के अनुवाद में और भी सुंदर बन पड़ी हैं. कुछ प्रेम कविताएँ उसी संग्रह से- जानकी पुल.=================================== अभिशाप प्रेम मुझे तोड़कर बुरी तरह टुकड़े-टुकड़े किए दे रहा है,मैं अब…

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प्रसिद्ध आलोचक विजेंद्र नारायण सिंह को याद कर रही हैं वरिष्ठ कवयित्री रश्मिरेखा- जानकी पुल.================================================================ हिंदी के जाने-माने आलोचक, प्रखर चिन्तक और विद्वान वक्ता विजेंद्र नारायण सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे. १३ अगस्त को देर रात पटना के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया. उनकी उम्र ७६ साल थी. वे ह्रदय और सांस संबंधी रोगों से ग्रस्त थे और पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. पर इस तरह से अचानक हमारे बीच से वे चले जायेंगे यह हम लोगों ने नहीं सोचा था. महज चार वर्ष पूर्व उन्होंने मुजफ्फरपुर को अपना स्थायी निवास बनाया था. हैदराबाद के…

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14 अगस्‍त की रात संविधान परिषद, नई दिल्‍ली में दिया गया जवाहरलाल नेहरू का भाषण: —————————————————————————————————– बहुत वर्ष हुए, हमने भाग्य से एक सौदा किया था, और अब अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का समय आ गया है। पूरी तौर पर या जितनी चाहिए उतनी तो नहीं, फिर भी काफी हद तक। जब आधी रात के घंटे बजेंगे, जबकि सारी दुनिया सोती होगी, उस समय भारत जागकर जीवन और स्वतंत्रता प्राप्त करेगा। एक ऐसा क्षण होता है, जो कि इतिहास में कम ही आता है, जबकि हम पुराने को छोड़कर नए जीवन में पग धरते हैं, जबकि एक युग का अंत होता है, जबकि राष्ट्र की चिर दलित आत्मा उद्धार प्राप्त करती…

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प्रेस विज्ञप्तिजनवादी लेखक संघ हिंदी के जाने माने आलोचक प्रो. विजेंद्रनारायण सिंह के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता है। कल रात 11.35बजे पटना में अचानक दिल का दौरा पड़ जाने से उनकी मृत्यु हो गयी। वे 76 वर्ष के थे।विजेंद्रनारायण सिंह का जन्म 6जनवरी 1936को हुआ था। उनकी शिक्षा दीक्षा बिहार में ही हुई थी, पटना यूनिवर्सिटी से हिंदी में एम.ए. व पी एच डी की थी, वे भागलपुर विश्वविद्यालय के अनेक कालेजों में अध्यापन करने के बाद हैदराबाद के केंद्रीय विश्वविद्यालय में विभागाध्यक्ष रह कर सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने अनेक आलोचना कृतियों का सृजन किया जिनमें दिनकर…

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आज वंदना शुक्ल की कविताएँ- जानकी पुल. (१)भ्रम बहुत ऊँचाइ पे बैठी कोई खिड़की बुहार देती हैं उन सपनों को जो बिखरते हैं हमारे भीतर झरते हुए पत्तों की तरह बाँहों में ले बहलाती हैं विविध दृश्यों से उन खिलौनों की तरह जो सच से लगते हैं पर होते नहीं जानते हुए हम खिड़कियों के ये खेल भ्रमों को पोसते रहते हैं उम्मीदों की तरह (२)आशंका (१)होगा किसी दिन ऐसा नहीं उगेगा सूरज सुबह भटकेगी पहनकर अँधेरे ढूंढते रह जायेंगे पक्षी अपनी उड़ाने उतारकर रख देंगे सिरहाने पंख पहनकर थकान, सो जायेंगे गहरी नींद ………….(२)होगा कभी ऐसा कि मौसम अलसाकर कह उठें…

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\’प्रगतिशील वसुधा\’ के नए अंक में पुरुषोत्तम अग्रवाल की कहानी प्रकाशित हुई है. मूलतः आलोचक पुरुषोत्तम जी ने कविताएँ भी लिखी हैं. भाषा के धनी इस लेखक की यह कहानी मुझे इतनी पसंद आई कि पढते ही आपसे साझा करने का मन हो आया- प्रभात रंजन  ============================== ‘यह मकबरा सा क्यों बना दिया है भई’ ‘सर, इसे मकबरा मत कहिए’ सागरकन्या ने प्रवीण की कम-अक्ली पर तरस खाते हुए कहा, ‘यह चेंग-चुई आर्किटेक्चर है…’ चेंग-चुई? प्रवीणजी बहुत बड़े अफसर बनने  के बाद एलाट हुआ बंगला देखने आए थे। देश के बड़े सेवकों का जैसा होना चाहिए वैसा ही बंगला था।…

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ये मेरी कविताएँ नहीं हैं, बल्कि ६०-७० के दशक के प्रसिद्ध कवि प्रभात रंजन की कविताएँ हैं. मेरे जन्म के समय ये इतने प्रसिद्ध थे कि कहते मेरे दादाजी ने उनके नाम पर ही मेरा नाम रखा था. हालांकि परिवार में इस बात को लेकर मतभेद है, क्योंकि मेरे पापा का कहना है कि मेरे दादा ने मेरा नाम आनंद मार्ग के प्रवर्तक प्रभात रंजन सरकार के नाम पर रखा था. खैर, अपने हमनाम पूर्वज कवि की कविताएँ. उनकी कोई तस्वीर नहीं मिली. पुरानी पत्रिकाओं में बहुत ढूंढने पर भी- जानकी पुल.======================================================= १.जीवन की प्यास हत आस्थालहू में लथपथपराजित सैनिक…

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आज महान लेखक प्रेमचंद की जयंती है. इस अवसर उनकी लिखी फिल्म \’मजदूर\’ के बारे में दिलनवाज का यह दिलचस्प लेख- जानकी पुल. ===================     कम ही लोग जानते हैं कि फिल्मों में किस्मत आजमाने प्रेमचंद कभी बंबई आए थे। बंबई पहुंचकर,जो कहानी उन्होने सबसे पहले लिखी वह ‘मजदूर’ थी। सिनेमा के लिए लिखी गई कथाकार की पहली कहानी यही थी । बंबई रूख करने का प्रश्न आर्थिक एवं रचनात्मक आश्रय से जुडा था । महानगर आने के समय प्रेमचंद की वित्तीय स्थिति डामाडोल थी,कर्ज अदाएगी के लिए पर्याप्त पूंजी पास में नहीं थी। राशि का समय पर भुगतान न…

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