===============================
1.
धड़का था दिल कि प्यार का मौसम गुज़र गया
हम डूबने चले थे कि दरिया उतर गया।
तुझसे भी जब निशात का एक पल न मिल सका
मैं कासा-ए-सवाल(1) लिए दरबदर गया
भूले से कल जो आईना देखा तो जेहन में
इक मुन्दहिम(2) मकान का नक्शा उभर गया
तेज़ आंधियों में पांव जमीं पर न टिक सके
आखिर को मैं गुबार की सूरत बिखर गया
गहरा सुकूत(3) रात की तन्हाइयां, खंडर
ऐसे में अपने आपको देखा तो डर गया
कहता किसी से क्या कि कहां घूमता फिरा
सब लोग सो गए तो मैं चुपके से घर गया।
1. सवाल का प्याला 2. ढहा हुआ, गिरा हुआ 3. खामोशी
2.
अपने ही खेत की मिट्टी से जुदा हूं मैं तो
इक शरारा हूं कि पत्थर से उगा हूं मैं तो
मेरा क्या है कोई देखे या न देखे मुझको
सुब्ह के डूबते तारों की ज़िया(1) हूं मैं तो
अब ये सूरज मुझे सोने नहीं देगा शायद
सिर्फ इक रात की लज्जत का सिला हूं मैं तो
वो जो शोलों से जले उनका मदावा(2) है यहां
मेरा क्या जिक्र कि पानी से जला हूं मैं तो
कौन रोकगा तुझे दिन की दहकती हुई धूप
बर्फ के ढेर पे चुपचाप खड़ा हूं मैं तो
लाख मुहमल(3) सही पर कैसे मिटाएगी मुझे
जिन्दगी तेरे मुकद्दर का लिखा हूं मैं तो।
1. रोशनी 2. इलाज या दवा 3. अर्थहीन
3.
न मिल सका कहीं ढूंढे से भी निशान मेरा
तमाम रात भटकता रहा गुमान मेरा
मैं घर बसा के समंदर के बीच सोया था
उठा तो आग की लपटों में था मकान मेरा
जुनूं(1) न कहिए उसे खुद अज़ीयती(2) कहिए
बदन तमाम हुआ है लहूलुहान मेरा
हवाएं गर्द की सूरत उड़ा रही हैं मुझे
न अब ज़मीं ही मेरि है न आसमान मेरा
धमक कहीं हो लरज़ती हैं खिड़कियां मेरी
घटा कहीं हो टपकता है सायबान मेरा
मुसीबतों के भंवर में पुकारते हैं मुझे
अजीब लोग हैं लेते हैं इम्तेहान मेरा
किसे खुतूत लिखूं हाले दिल सुनाऊँ किसे
न कोई हर्फ शनासा(3) न हमजु़बान मेरा।
1.दीवानगी 2. स्वयं को दुख देना 3. लिपि पहचानने वाला
4.
एक पल तअल्लुक का वो भी सानेहा(1) जैसा
हर खुशी थी गम जैसी हर करम सज़ा जैसा
आज मेरे सीने में दर्द बनके जागा है
वह जो उसके होंठों पर लफ्ज़ था दुआ जैसा
आग मैं हूं पानी वो फिर भी हममें रिश्ता है
मैं कि सख्त काफिर हूं वह कि है खुदा जैसा
तैशुदा हिसो(2) के लोग उम्र भर न समझेंगे
रंग है महक जैसा नक्श है सदा(3) जैसा
जगमगाते शहरों की रौनकों के दीवाने
सांय-सांय करता है मुझमें इक खला जैसा।
1. घटना, दुर्घटना 2. इंद्रियों 3. आवाज़
6 Comments
क्या बात है ..
आभार ..
behatarin prabhat ji.
नश्तर ख़ानकाही की ये चार बेहतरीन गज़लें पढ़वाने का आभार.
Pingback: briansclub
Pingback: daftar togel resmi
Pingback: address