मगहिवि के वेबसाईट हिंदी समय को देख रहा था तो अचानक मुक्तिबोध की १९३५ में प्रकाशित इस कहानी पर ध्यान…
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अभी हाल में ‘लमही’ पत्रिका का कहानी विशेषांक आया है. उसमें कई कहानियां अच्छी हैं, लेकिन ‘लोकल’ में ‘ग्लोबल’ की छौंक…
आज उर्दू के मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी का जन्मदिन है. उनके गज़लों, नज्मों, कतओं से तो हम सब बखूबी परिचित रहे…
आज आशुतोष भारद्वाज की कहानी. उनकी कहानी का अलग मिजाज़ है. जीवन की तत्वमीमांसा के रचनाकार हैं वे. वे शब्दों…
मेरी एक पुरानी कहानी- प्रभात रंजन ========================= चंद्रचूड़जी की दशा मिथिला के उस गरीब ब्राह्मण की तरह हो गई…