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भालचंद्र नेमाड़े को सुनते हुए ‘नाकोहस’ कहानी की याद

By March 2, 2015760

परसों की ही तो बात है. राजकमल प्रकाशन का स्थापना दिवस समारोह था, उसमें भालचंद्र नेमाड़े को हिंदी में भारतीय…

क्या हिंदी प्रकाशन जगत में नए दौर की शुरुआत हो गई है?

By March 1, 20156

कल की दोपहर बड़ी ख़ास थी. वसंत की दोपहरें आम तौर पर उदास करने वाली होती हैं. धूप की गर्मी,…

अमेजन क्रांति के दौर में हिदी किताबें और पाठक

By February 27, 20157

परसों बिहार के कटिहार से संजय जी का फोन आया था. फोन उठाते ही उन्होंने कहा कि वे करीब एक…

प्रेम खाप के लिए है अभिशाप तो व्यक्ति के लिए अमर फल!

By February 25, 20156

ऐसा नहीं है कि 2015 के पुस्तक मेले में मुझे सिर्फ रवीश कुमार का ‘इश्क में शहर होना’ ही पसंद…

हिंदी में ईबुक क्रांति आने वाली है?

By February 24, 2015123

विश्वपुस्तक मेले में हिंदी प्रकाशकों के हॉल में सबसे अधिक चर्चा थी ईबुक की. इस चर्चा के दो कारण थे.…

विश्व पुस्तक में क्या रहे ट्रेंड?

By February 23, 201514

इस बार पुस्तक मेले में चार दिन जाना हुआ. पहले सोचा था नहीं जाऊँगा. लेकिन एक बार जाइए तो बार-बार…

क्या शादी प्रेम की ट्रॉफी होती है?

By February 22, 201512

आज विश्व पुस्तक मेला का अंतिम दिन है. इस बार बड़ी अजीब बात है कि हिंदी का बाजार बढ़ रहा…

प्रियदर्शन की कहानी ‘बारिश, धुआँ और दोस्त’

By February 21, 2015188

बरसों बाद प्रियदर्शन का दूसरा कहानी संग्रह आया है ‘बारिश, धुआँ और दोस्त’. कल उसका लोकार्पण था. उस संग्रह की शीर्षक…

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अमृत रंजन की नई कविताएं

By February 19, 201517

अमृत रंजन की कविताएं तब से पढ़ रहा हूँ जब वह कक्षा 6 में था. अब वह कक्षा 7 में…

क्या ‘नरक मसीहा’ साल का सबसे प्रासंगिक उपन्यास है?

By February 18, 201510

हिंदी में यह अच्छी बात है कि आज भी किसी लेखक का कद, पद, प्रचार प्रसार किसी पुस्तक की व्याप्ति…

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  • अम्बर पाण्डेय से प्रभात रंजन की बातचीत

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  4. किरण on गरिमा जोशी पंत की कहानी ‘अनसुनी अनुसुइया’
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