इस समय वह हिंदी की एक बड़ी परिघटना है- नीला स्कार्फ. प्री-लांच यानी किताब छपने से पहले इस किताब की…
हृषीकेश सुलभ बिहार की धरती के सम्भवतः सबसे मौलिक इस रचनाकार ने अपने नाटकों में लोक के रंग को जीवित किया…
ऐसे सुहाने मौसम में और नहीं कुछ तो पीयूष मिश्रा के गीतों को ही पढ़ा जाए. 90 के दशक में…
रेडियोसखी ममता सिंह खूबसूरत कहानियां भी लिखती हैं. अभी हाल में ही एक पत्रिका में उनकी कहानी पढ़ी- ‘धुंध’. आज…
यूपीएससी की परीक्षाओं में भारतीय भाषाओं के साथ भेदभाव को लेकर चल रहे आन्दोलन पर सरकारी आश्वासन एक बाद फिलहाल…
मैं आरा को नहीं धरहरा, आरा को जानता था, क्योंकि वहां मधुकर सिंह रहते थे. अपने गाँव में रहते हुए…
इस साल युवा कविता का भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार आस्तीक वाजपेयी को उनकी कविता ‘विध्वंस की शताब्दी’ के लिए देने की घोषणा…
आजकल सिनेमा पर गंभीर लेख कम ही पढने को मिलते हैं. फ़िल्में आती हैं, कुछ दिन उनकी चर्चा होती है…
सिनेमा अन्ततः दृश्यों के माध्यम से कहानी कहने की कला है. अपनी पसंद के कुछ सिने-दृश्यों के माध्यम से युवा…
कुछ कविताएं अपनी कला से प्रभावित करती हैं, कुछ विचारों से, कुछ अपनी सहज भावनाओं से. कलावंती की ‘बेटी’ श्रृंखला…