लड़का शादी मेँ दहेज नहीँ चाहता! ठीक से पता करो, खानदान मेँ जरुर कोई ऎब है. #kahani140
काका ने कहा- देख रहे हो, महतो की बिटिया साइकिल दौड़ाती स्कूल भाग रही है और अपने बबुआ चादर तान कर सो रहे हैँ! #kahani140
दीना सिँह चीख रहे हैँ- बेटा मेरा बिगड़ रहा है, मैँ संभालूँ या नहीँ, गाँव वालोँ को क्या मतलब! बुधनी रो रही है.
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पत्नी- काम के समय भागनारायण, खाने के समय नमोनारायण! पति- तुमने क्या बात कही है, वाह, वाह! सब्जी जरा और देना.
#kahani14
घर के पीछे वाले कुएँ को मिट्टी से पाट दिया गया! क्योँ, जरुरत क्या थी?…तो रखकर ही क्या करना था कुएँ का, भैया? आप पानी पीते?
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तुम मेरी कमर मेँ हाथ डाल कर नहीँ चलते! हाँ. क्योँ? क्या प्यार मेँ इजहार की नौटंकी जरुरी है? लेकिन वर्जित भी तो नहीँ!
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बेटा, रोज फोन पर कहते हो- माँ, अपना खयाल रखना.कभी बता भी दो कि बुढ़ापे मेँ अकेला आदमी अपना खयाल कैसे रखता है. मैँ अनपढ़ हूँ न!
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गाँव में नौजवान लोग इतना जोरशोर से चंदा वसूल रहा है, अष्टयाम के लिए! जेबखर्च की जरुरत भी तो धार्मिक बना देती है भाई.
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बाबूजी सुबक सुबक कर मां से कह रहे थे- पढ़ाना तो उलटा महंगा पड़ गया बेटी को. लायक वर का तो दहेज बहुते ज्यादा है! मैं चुप खड़ी थी. #kahani140
तुम राह चलते बच्चों से खेलना छोड़ दो. क्यों, बच्चों से खेलने में बुरा क्या है? कुछ नहीं, लेकिन उनके मां-बाप सहम जाते हैं.
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उसने हाथ पर हाथ रखा, नजर में नजर रख दी. आँखों से बूंदे गिरने लगीं, दिल उफनने लगा. दुख का पहाड़ नमक की तरह गलता रहा देर तक. #kahani140
पापा कलम भेंट करते, हर जन्मदिन पर. बेटे ने जब लिखना शुरू किया, पापा नहीं बचे पढ़ने के लिए. बेटे की कलम में दिलचस्पी नहीं रही. #kahani140
तुमको पता चला रे, मेरी बीवी जींस पहनने लगी है. ठीक तो है, नार्मल लो न! गाँव वाले न यहाँ बहुत रहते हैं रे, लछमियेनगर में. #kahani140
झोर का पुल अंग्रेजोँ ने बनवाया था, टनाटन खड़ा है. पटना वाले गांधी सेतु का हाल देखो जरा, सुराज मेँ बना है!
#kahani140
कभी मिलते हैँ. हाँ हाँ, मिलते हैँ न. हम कहते सुनते रहे एक दूसरे से, मिलना अभी बाकी है. कहते हैँ, दिल्ली ऎसे ही मिलवाती है.
8 Comments
दिल्ली वाली कहानी बहुत बढ़िया लगी।
अद्भुद। साधु-साधु।ये स्टाईल तो गजब है। लेखक को आज कुछ और जान गया…!
ise kahaniyan 140 kahna chahiye ya nahi, yah tay karna hoga. jo rachnayen aai hain kya unhen kahaniyan kah sakten hain? yadi han to kahani ki nai paribhasha kya hogi? jankipul nai paribhasha bataye
लच्छमिएनगर वाली कहानी मुझे लंबे समय तक याद रहेगी जैसे रेणु की लाल पान की बेगम अब भी पंक्ति-दर-पंक्ति याद है. प्रतियोगिता खत्म हो गई है लेकिन इसे लगातार लिखकर विकसित करने की जरुरत है.
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very informative articles or reviews at this time.