महिंद्रा समूह और टीमवर्क आर्ट्स द्वारा आयोजित ‘महिंद्रा एक्सीलेंस इन थिएटर अवार्ड्स’ एवं फेस्टिवल का 20वाँ संस्करण दिल्ली के सांस्कृतिक केंद्र, मंडी हाउस को जीवंत बना रहा है। इस सप्ताह भर चलने वाले उत्सव के दूसरे दिन, दो उत्कृष्ट नाटकों का मंचन किया गया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह उत्सव देश भर से चुने गए 10 सर्वश्रेष्ठ नाटकों की एक अनूठी प्रस्तुति है, जो रंगमंच के प्रति उत्साही लोगों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव लेकर आया है।
आज के रंगमंच महोत्सव में दर्शकों को दो विविध और मनमोहक नाटकों का अनुभव हुआ। श्री राम सेंटर में, कन्नड़ भाषा में मंचित नाटक ‘दशानन स्वप्नसिद्धि’ ने दर्शकों को रावण के आंतरिक जगत में ले जाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। मंजू कोडागु के कुशल निर्देशन में, यह नाटक रावण के चरित्र के उन पहलुओं को दर्शाता है जो उसके आंतरिक संघर्ष, पश्चाताप और अंततः मोक्ष की ओर उसकी यात्रा को चित्रित करते हैं। यह प्रस्तुति दर्शकों के दिलों को छू गई।
वहीं, कमानी सभागार में, हिंदी और बुंदेली भाषा में ‘स्वांग – जस की तस’ का मंचन हुआ। अक्षय सिंह ठाकुर द्वारा निर्देशित यह नाटक भारतीय लोक रंगमंच की लुप्त होती विधा ‘स्वांग’ की सुंदरता को जीवंत करता है। संगीत, नृत्य और जीवंत संवाद के माध्यम से, इस नाटक ने दर्शकों को न केवल मनोरंजन प्रदान किया, बल्कि उन्हें सांस्कृतिक धरोहर से भी जोड़ा।
दशानन स्वप्नसिद्धि
कुवेम्पु द्वारा रचित ‘श्री रामायण दर्शनम’ एक अद्वितीय महाकाव्य है, जो रामायण की पारंपरिक कथा को एक नया और गहरा दृष्टिकोण प्रदान करता है। मंजू कोडागु द्वारा निर्देशित ‘दशानन स्वप्नसिद्धि’ विशेष रूप से रावण के आंतरिक संघर्ष और परिवर्तन को दर्शाता है, जिसमें उसके स्वप्न और दर्शन उसकी मनोदशा को चित्रित करते हैं।
कुवेम्पु ने रावण को मात्र एक खलनायक के रूप में नहीं, बल्कि एक जटिल चरित्र के रूप में प्रस्तुत किया है, जो अपनी दुर्बलताओं और महत्वाकांक्षाओं के साथ संघर्ष करता है। इस अध्याय में, लंका के विनाश और अपनी सेना की हार के बाद, रावण गहरी निराशा में डूब जाता है। वह राम को पराजित करने के लिए दिव्य शक्ति की खोज में देवी कालिकादेवी की उपासना करता है। जब देवी उसे तुरंत आशीर्वाद देने में असमर्थ होती हैं, तो रावण अपनी हार को स्वीकार करते हुए, अपना सिर बलिदान करने के लिए तत्पर हो जाता है।
इस असाधारण प्रयास के दौरान, रावण को एक समाधि जैसी अवस्था का अनुभव होता है, जिसमें वह ध्यानमालिनी और लंकालक्ष्मी से मिलता है। ये दोनों लंका के विनाश पर विलाप करती हैं, जिससे रावण के हृदय में गहरी वेदना उत्पन्न होती है। यह स्वप्न रावण के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होता है, जो उसे अपने कर्मों पर पुनर्विचार करने और पश्चाताप करने के लिए प्रेरित करता है। वह समझता है कि उसे अपने राज्य को बचाने और अपने सम्मान की रक्षा के लिए राम के साथ अंतिम युद्ध लड़ना होगा।
स्वांग –जस की तस
स्वांग, भारतीय लोक रंगमंच की एक समृद्ध, किंतु लुप्त होती विधा है। यह केवल एक नाटक नहीं, बल्कि संगीत, नृत्य और जीवंत संवादों का मनोरम संगम है, जो लोक कथाओं और जनमानस की कहानियों को मंच पर जीवंत करता है। अपने हास्य, व्यंग्य और तीक्ष्ण सामाजिक टिप्पणियों के लिए प्रसिद्ध, स्वांग मुख्य रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के ग्रामीण अंचलों में ‘सांग’ के नाम से भी जाना जाता है।
मेलों, त्योहारों और विशेष सांस्कृतिक अवसरों पर आयोजित होने वाला स्वांग, दर्शकों को ग्रामीण जीवन के सार, पौराणिक गाथाओं और ऐतिहासिक प्रसंगों की गहराई में ले जाता है। पारंपरिक परिधानों और विशिष्ट श्रृंगार से सजे कलाकार, अपने कुशल अभिनय और प्रभावशाली संवादों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
स्वांग न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वासों पर भी करारा प्रहार करता है, जो सामाजिक जागरूकता के लिए एक सशक्त माध्यम के रूप में कार्य करता है। यह लोक कला, पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न अंग है, जिसे संरक्षित और संवर्धित करने की आवश्यकता है।