हिन्दी के सबसे प्रयोगशील लेखकों में प्रचण्ड प्रवीर का नाम प्रमुखता से आएगा। कभी भूतनाथ के नाम से लिखने वाले प्रचण्ड ने आईआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उपन्यास, कहानियों में तो अपने प्रयोग के लिए जाने ही गये, रस सिद्धांत और विश्व सिनेमा पर उनकी किताब अपने ढंग की इकलौती किताब है। संस्कृत-परंपरा हो या विश्व साहित्य की परंपराएँ प्रचण्ड उन सबके ऊपर पूरे अधिकार के साथ बोल और लिख सकते हैं। जिस दौर में सब कैरियर के पीछे भागते हैं प्रचण्ड ने साहित्य के लिए अपने कैरियर को लगातार दांव पर लगाया है। उनसे यह बातचीत कई लंबी…
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किसी भी लड़की के लिए एक छोटे शहर से चलकर देश की राजधानी तक पहुँचना, सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय में नामांकन पाना बेहद संघर्षपूर्ण होता है। मुझे ‘वर्षा वशिष्ठ’ बार-बार याद आती है, बहुत याद आती है। उसका संघर्ष सभी लड़कियों के संघर्ष का प्रतीक बन कर आता है।वह भी अपने छोटे से शहर शाहजहाँपुर से निकल कर, दिल्ली पहुँचती है और धीरे-धीरे अपनी पहचान हासिल करती है। कुछ इसी तरह के अनुभव से हमें रूबरू करा रही हैं प्रीति कुमारी। यह अनुभव गया से निकल कर जेएनयू तक पहुँचने और वहाँ अब तक की सीख-समझ के बारे में है। प्रीति गया…
आज पढ़िए शिक्षाविद, मोटिवेटर द्वारिका प्रसाद उनियाल की कविताएँ। इसी साल पुस्तक मेले में द्वारिका का कविता संग्रह आया है \’मेरे आसान झूठ\’। उनकी कुछ चुनिंदा कविताएँ पढ़िए- =============================== 1 अम्मा का पल्लू हम अपना बचपन दो बार जीते हैंपहले खेल-खेल मेंऔर फिर उनकी स्मृतियों में बार-बारविस्मृतियों के किसी कोनें मेंअम्मा का पल्लू छुपा होता हैजिस से लिपट कर हम रोते थेहंसते थेछुपते थेछुपाते थे पल्लू जिसकी ओट में हमअपनी एक अलग दुनिया बनाते थेपहले हमारी ढालफिर हमारी हक़ीक़तअंत में एक स्मृति भर रह जाती है फिर धीरे-धीरेवक्त के साथ वे साड़ियाँ भी संदूक़ों में क़ैद हो गयींअवचेतन में विस्मृत…
बहुत लंबे समय बाद कथाकार प्रभात रंजन ने एक कहानी लिखी है। विषय प्रेम, विरह, डिजिटल दुनिया है। प्रसंगवश, जानकीपुल के लिए उन्होंने पहली बार कोई कहानी लिखी है। आज आप सबके सामने प्रस्तुत है। पढ़कर राय दीजियेगा- अनुरंजनी ==================================== तुझ से जुदा होने के बाद का पहला हफ़्ता एक तरफ़ मेरे नाना बहुत बड़े ज़मींदार थे। मेरे ननिहाल में पुरुषों में एक शौक़ आम था। शाम होते ही अक्सर सब शिकार पर चले जाते। चिड़िया, जंगली जानवर जो मिल जाता उसी का शिकार हो जाता। मैं सबसे बड़ा नाती था नाना का इसलिए यह ज़रूरी समझा गया कि शिकार…
प्रसिद्ध कवि-मनोचिकित्सक विनय कुमार का काव्य नाटक हाल में आया है \’आत्मज\’। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित यह नाटक वैशाली की प्रसिद्ध नर्तकी आम्रपाली और मगध सम्राट बिंबिसार के कथा सूत्रों के सहारे मानव जीवन के अनेक शाश्वत सवालों से टकराता है, उनको प्रश्नित करता है। इसी नाटक पर उनसे मैंने बातचीत की। आप भी पढ़ सकते हैं- प्रभात रंजन ============================= प्रश्न- 1 आपको काव्य नाटक लिखने का विचार कैसे आया? और आप ने आम्रपाली और मगध सम्राट बिम्बिसार की कथा क्यों चुनी? मैंने “आत्मज” की भूमिका में इसका ज़िक्र किया है। क़िस्सा ये है कि मेरी तीसरी काव्य पुस्तक “यक्षिणी”…
यूरी बोत्वींकिन के नाटक \’अंतिम लीला\’ का पहला खंड हम पढ़ चुके हैं। आज पढ़िए दूसरा खंड- ====================================== अंतिम लीला – 2 भूमिका इस नाटक के पात्रों में हिंदू देवी-देवताओं के साथ कुछ स्लाविक पौराणिक ईसाईपूर्व देव-देवता भी हैं, जिनका ऐतिहासिक आधार हिंदू चरित्रों की तुलना में कहीं कम प्रमाणित किया गया है, यहाँ तक कि कुछ वैज्ञानिक इन चरित्रों को नवरचित भी मानते हैं। कारण यह है कि ईसाई धर्म आने के बाद पुराने रूस (जो कि अधिकतर आधुनिक युक्रैन का ही नाम हुआ करता था) में पुराने धर्म-सिद्धांतों का नामोनिशान मिटाने का पूरा प्रयास किया गया था। फिर…
आज पढ़िए देवेश पथ सारिया की कुछ कविताएँ। देवेश को पिछले वर्ष ही उनके काव्य संग्रह ‘नूह की नाव’ के लिए भारत भूषण अग्रवाल सम्मान मिला है। इनकी कविताओं का अनुवाद विभिन्न भाषाओं में हो चुका है। काव्य के अलावा ‘ छोटी आँखों की पुतलियों में’ शीर्षक से इनकी एक ताइवान डायरी भी प्रकाशित है – अनुरंजनी ============================== 1. गुलबहार (1) मात्र एक तर्जनी तुम्हारी का हिलनादर्शाता था कि वह दृश्य स्थिर नहीं थातीन बार की थाप के बाद फैले होंठबिना चहके खुली एक चिड़िया की चोंचझुककर उठी आँखेंहुज़ूर में बजने लगते साज़हिलती रहती तर्जनीएक बार बल खाई ग्रीवावहीं थिर…
मशहूर गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी को पियूष प्रिय याद कर रहे हैं।पीयूष ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज, सांध्य में स्नातक तृतीय वर्ष के छात्र हैं। पीयूष जिन गीतों की चर्चा के रहे हैं वे विभिन्न समयों में विभिन्न मिज़ाज के हैं जो बहुत कुछ कहते हैं। उनमें सत्ता का विरोध भी है, निराशाओं के दौर का अंकन भी है और प्रेम तो है ही। आप भी पढ़ सकते हैं – अनुरंजनी ================================ लेखन, क्रांति, जेल, सिनेमा, सहगल से सलमान तक : मजरूह सुल्तानपुरी एक समय जब हमारे घर…
आज पढ़िए युवा कवि मनीष यादव की कविताएँ।इससे पूर्व मनीष की कविताएँ हिन्दवी पर भी प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रस्तुत कविताओं में अधिकांश कविताएँ स्त्री-संघर्ष की सूक्ष्म से सूक्ष्म स्थिति की ओर संकेत करती हैं- अनुरंजनी ============================== १) जो व्यस्त है आजकल धान के ओसौनी से भरे जिस माथे में ललक थी कभी अफसर बनने कीवह व्यस्त है आजकलभात और मन दोनों को सीझाने में! उसने तो नहीं कहा था — बावन बीघा वाले से ब्याह दिया जाए उसे.जहाँ उसका महारानी बनना तय हो सकपका जाती हैनहीं पूछती हैकिंतु एक सवाल जो आत्मा की तह से उठ रही – जो…
यूक्रेन के लेखक यूरी बोत्वींकिन के नाटक \’अंतिम लीला\’ का आज अंतिम हिस्सा पढ़िए- ====================================== इस नाटक के पात्रों में हिंदू देवी-देवताओं के साथ कुछ स्लाविक पौराणिक ईसाईपूर्व देव-देवता भी हैं, जिनका ऐतिहासिक आधार हिंदू चरित्रों की तुलना में कहीं कम प्रमाणित किया गया है, यहाँ तक कि कुछ वैज्ञानिक इन चरित्रों को नवरचित भी मानते हैं। कारण यह है कि ईसाई धर्म आने के बाद पुराने रूस (जो कि अधिकतर आधुनिक युक्रैन का ही नाम हुआ करता था) में पुराने धर्म-सिद्धांतों का नामोनिशान मिटाने का पूरा प्रयास किया गया था। फिर भी स्लाविक सनातनी परंपराओं की कुछ बची हुई…