Author: admin

आज वंदना शुक्ल की कविताएँ- जानकी पुल. (१)भ्रम बहुत ऊँचाइ पे बैठी कोई खिड़की बुहार देती हैं उन सपनों को जो बिखरते हैं हमारे भीतर झरते हुए पत्तों की तरह बाँहों में ले बहलाती हैं विविध दृश्यों से उन खिलौनों की तरह जो सच से लगते हैं पर होते नहीं जानते हुए हम खिड़कियों के ये खेल भ्रमों को पोसते रहते हैं उम्मीदों की तरह (२)आशंका (१)होगा किसी दिन ऐसा नहीं उगेगा सूरज सुबह भटकेगी पहनकर अँधेरे ढूंढते रह जायेंगे पक्षी अपनी उड़ाने उतारकर रख देंगे सिरहाने पंख पहनकर थकान, सो जायेंगे गहरी नींद ………….(२)होगा कभी ऐसा कि मौसम अलसाकर कह उठें…

Read More

\’प्रगतिशील वसुधा\’ के नए अंक में पुरुषोत्तम अग्रवाल की कहानी प्रकाशित हुई है. मूलतः आलोचक पुरुषोत्तम जी ने कविताएँ भी लिखी हैं. भाषा के धनी इस लेखक की यह कहानी मुझे इतनी पसंद आई कि पढते ही आपसे साझा करने का मन हो आया- प्रभात रंजन  ============================== ‘यह मकबरा सा क्यों बना दिया है भई’ ‘सर, इसे मकबरा मत कहिए’ सागरकन्या ने प्रवीण की कम-अक्ली पर तरस खाते हुए कहा, ‘यह चेंग-चुई आर्किटेक्चर है…’ चेंग-चुई? प्रवीणजी बहुत बड़े अफसर बनने  के बाद एलाट हुआ बंगला देखने आए थे। देश के बड़े सेवकों का जैसा होना चाहिए वैसा ही बंगला था।…

Read More

ये मेरी कविताएँ नहीं हैं, बल्कि ६०-७० के दशक के प्रसिद्ध कवि प्रभात रंजन की कविताएँ हैं. मेरे जन्म के समय ये इतने प्रसिद्ध थे कि कहते मेरे दादाजी ने उनके नाम पर ही मेरा नाम रखा था. हालांकि परिवार में इस बात को लेकर मतभेद है, क्योंकि मेरे पापा का कहना है कि मेरे दादा ने मेरा नाम आनंद मार्ग के प्रवर्तक प्रभात रंजन सरकार के नाम पर रखा था. खैर, अपने हमनाम पूर्वज कवि की कविताएँ. उनकी कोई तस्वीर नहीं मिली. पुरानी पत्रिकाओं में बहुत ढूंढने पर भी- जानकी पुल.======================================================= १.जीवन की प्यास हत आस्थालहू में लथपथपराजित सैनिक…

Read More

आज महान लेखक प्रेमचंद की जयंती है. इस अवसर उनकी लिखी फिल्म \’मजदूर\’ के बारे में दिलनवाज का यह दिलचस्प लेख- जानकी पुल. ===================     कम ही लोग जानते हैं कि फिल्मों में किस्मत आजमाने प्रेमचंद कभी बंबई आए थे। बंबई पहुंचकर,जो कहानी उन्होने सबसे पहले लिखी वह ‘मजदूर’ थी। सिनेमा के लिए लिखी गई कथाकार की पहली कहानी यही थी । बंबई रूख करने का प्रश्न आर्थिक एवं रचनात्मक आश्रय से जुडा था । महानगर आने के समय प्रेमचंद की वित्तीय स्थिति डामाडोल थी,कर्ज अदाएगी के लिए पर्याप्त पूंजी पास में नहीं थी। राशि का समय पर भुगतान न…

Read More

प्रकाशन के साल भर के भीतर जिसकी तीन करोड़ से अधिक प्रतियाँ बिक गई, तकरीबन चालीस देशों में जिसके प्रकाशन-अधिकार देखते-देखते बिक गए, कुछ ही समय में यह अब तक की सबसे तेजी से बिकने वाली पेपरबैक किताब बन गई, इ. एल. जेम्स लेखिका से दुनिया की मशहूर सेलिब्रिटी बन गई- ‘टाइम’ पत्रिका ने उनको 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची का हिस्सा बना लिया- आखिर ऐसा क्या है ‘फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे’ शीर्षक उपन्यास-त्रयी में? यह एक ऐसा सवाल है जिसको लेकर दुनिया भर के अंग्रेजी भाषी पाठक-लेखक-आलोचक समुदाय में बहस छिड़ी हुई है. बहस चाहे जिस किनारे पहुंचे…

Read More

अर्शिया सत्तार भारत और अंतरराष्ट्रीय लेखकों के लिए स्थापित संगम हाउस रेजीडेंसी के संस्थापकों में से एक हैं। यूनिवर्सिटी आव शिकागो से इंडियन क्लासिकल लिट्रेचर में पीएच.डी. अर्शिया का संस्कृत की कथासरित्सागर और वाल्मिकी रामायण का अनुवाद पेंग्विन बुक्स से प्रकाशित हो चुका है। बच्चों के लिए दो किताबें लिखने के अलावा वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर की एक नामचीन लेखिका हैं। उनसे नबीना दास की खास बातचीत- prairieschooner.unl.eduमें छपे इस इंटरव्यू का अनुवाद किया है -अर्पिता शर्मा ने====================================================================संगम हाउस के बारे में कुछ बताएं।वर्ष 2007 में डी डब्ल्यू गिब्सन के साथ ‘लेडिंग हाउस (आजकल राइटर्स ओमी)’ में काम करते हुए मुझे महसूस हुआ कि भारत में भी ल ेखकों के लिए…

Read More

मनीषा कुलश्रेष्ठ किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. हमारे दौर की इस प्रमुख लेखिका का हाल में ही कथा-संग्रह आया है- ‘गन्धर्व-गाथा’. प्रस्तुत है उसी संग्रह से एक कहानी लेखिका के वक्तव्य के साथ- जानकी पुल.x==============x==================x==============x==============xभूमिकाकॉलेज के दिनों में मेरे पास एक टी – शर्ट हुआ करती थी, उस पर लिखा हुआ था ‘फ्रीक’! मेरे चचेरे बड़े भाई, जो कि चर्चित पक्षी वैज्ञानिक हैं, उन्होंने बहुत चाव से ‘गिफ्ट’ की थी और मुस्कुरा कर ‘फ्रीक’ का शाब्दिक अर्थ बताया था, “नेचर’स फ्रीक वो होते हैं जो प्रकृति के नियमों से कुछ अलग – से, विचित्र होते हैं, म्यूटेट जीन्स की वजह से या…

Read More

आज 21 जुलाई को जन्मदिन है अर्नेस्ट हेमिंग्वे का. नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकी लेखक अर्नेस्ट हेमिंग्वे ने दुनिया भर की भाषाओं के लेखकों को प्रभावित किया. न कहकर कहने की उनकी शैली में कहानियों के रहस्य दो पंक्तियों के बीच छिपे होते थे जिसे आलोचकों ने ‘हिडेन फैक्ट’ की तकनीक के नाम से जाना. वह मितकथन का लेखक था. मानीखेज़ चुप्पियों के इस अप्रतिम लेखक की एक छोटी सी कहानी यहाँ प्रस्तुत है जिसमें उनकी यह तकनीक देखी-पहचानी जा सकती है- जानकी पुल.==============================================================एक लेखिका लिखती हैअपने शयन कक्ष में मेज़ पर अखबार खोले बैठी वह खिडकी से बाहर बर्फबारी देख…

Read More

राजेश खन्ना को \’प्रभात खबर\’ के पत्रकार पुष्य मित्र की यह श्रद्धांजलि पसंद आई तो आपसे साझा कर रहा हूं- जानकी पुल. ====================================================================== एबीपी न्यूज पर फिल्म सफर का गाना बज रहा है.. हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना की अंतिम यात्र चल रही है और ..जिंदगी का सफर, है ये कैसा सफर.. गाने की खून जमा देने वाली धुन को सुनते हुए मैं यह आलेख लिख रहा हूं. आज सुबह उनकी फिल्म रोटी देखी है जो जी सिनेमा पर दिखायी जा रही थी और कल रात अराधना के कुछ टुकड़े सैट मैक्स पर देखने का मौका मिला. कल दोपहर…

Read More