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हमारे समाज, खासकर हिंदी समाज में लेखक नाम की संज्ञा अब भी कोई खास प्रभाव नहीं पैदा कर पाती, उसे फालतू आदमी समझा जाता है. मनोहर श्याम जोशी ने एक प्रसंग का उल्लेख किया है कि एक बार उनके घर में अज्ञेय बैठे हुए थे कि तभी उनके एक रिश्तेदार उनसे मिलने आए. उन्होंने अपने रिश्तेदार को अज्ञेय से मिलवाते हुए कहा कि ये अज्ञेय हैं- बहुत बड़े लेखक. रिश्तेदार ने छूटते ही पूछा, लेखक तो हैं लेकिन करते क्या हैं! वरिष्ठ लेखक, शिक्षाविद प्रेमपाल शर्मा के इस लेख को पढते हुए मुझे यह प्रसंग याद आया गया. प्रेमपाल शर्मा…

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प्रसिद्ध आलोचक नंदकिशोर नवल जब 75 साल के हुए थे तब उनसे यह बातचीत की थी योगेश प्रताप शेखर ने, जो समकालीन पीढ़ी के प्रखर आलोचक और प्राध्यापक हैं। नवल की स्मृति में यह बातचीत पढ़िए- मॉडरेटर  ==================================== १. इन दिनों आप क्या लिख रहे हैं ?  कुछ उसके बारे में बताइये. इन दिनों अस्वस्थ हूँ , फिर भी दिनकर जी की कविता पर एक पुस्तक का  \’ डिक्टेशन \’  दे रहा हूँ. मैंने आधुनिक हिन्दी कविता के प्रत्येक दौर के सर्वश्रेष्ठ कवि पर पुस्तकें लिखी हैं, यथा मैथिलीशरण, निराला  और मुक्तिबोध.  इस लिहाज से मुझे नव-स्वच्छंदतावादी दौर के सर्वश्रेष्ठ कवि…

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  ‘चाणक्य मंत्र’- पुस्तक हाथ में आई तो लगा ही नहीं यह उपन्यास है. शीर्षक से से लगा शायद चाणक्य की नीतियों-सूत्रों न की कोई किताब होगी. कवर पर प्राचीनकाल की मुद्राओं को देखकर शायद कुछ अधिक लगा. लेकिन जब पलटना शुरु किया तो पढ़ता चला गया. यात्रा बुक्स तथा वेस्टलैंड लिमिटेड द्वारा प्रकाशित ‘चाणक्य मंत्र’ करीब पांच सौ पेज का उपन्यास है जो बेहद रोचक शैली में लिखा गया है. साल २०१० में लेखक अश्विन सांघी का अंग्रेजी में उपन्यास प्रकाशित हुआ था ‘चाणक्याज चैन्ट’. पुस्तक काफी लोकप्रिय रही और उसने अश्विन सांघी को एक लेखक ब्रांड के रूप…

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कान्हा में प्रकृति के \’सान्निध्य\’ में कवियों के मिलन की चर्चा ने कुछ दूसरा ही रंग पकड़ लिया है. लेकिन वहां केवल दक्षिण-वाम का मिलन ही नहीं हो रहा था, कविता को लेकर कुछ गंभीर चर्चाएँ भी हुईं. कवि गिरिराज किराड़ू का यह लेख पढ़ लीजिए, जो कवियों के \’सान्निध्य\’ पर ही है- जानकी पुल. =========================== (कान्हा नेशनल पार्क के पास, जबलपुर से कोई डेढ़ सौ किलोमीटर दूर एक रिसॉर्ट में \’शिल्पायन\’ ने मुख्यतः कवितापाठ का एक अनूठा आयोजन किया जो लगा था सुखद ढंग से याद रहेगा, लेकिन अंततः उसका एक अप्रिय पहलू निकल आया. और वह इतना महत्वपूर्ण पहलू…

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आज राजेंद्र यादव ८४ साल के हो गए. राजेंद्र यादव मूलतः कथाकार हैं, \’नई कहानी\’ आंदोलन के तीन सिग्नेचर कथाकारों में एक. जन्मदिन के मौके पर \’नई कहानी\’ आंदोलन के इस पुरोधा की एक पुरानी कहानी पढते हैं, जो संयोग से वर्षगाँठ के प्रसंग से ही शुरु होती है, और अपने इस प्रिय लेखक के शतायु होने की कामना करते हैं- जानकी पुल.====================I shall depart. Steamer with swaying masts, raise anchor for exotic landscapes.- Sea Breeze, Mallarmeतुम्हें पता है, आज मेरी वर्षगाँठ है और आज मैं आत्महत्या करने गया था? मालूम है, आज मैं आत्महत्या करके लौटा हूँ?अब मेरे पास…

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तस्लीमा नसरीन मूलतः कवयित्री हैं. कल जब उनकी कविताओं का प्रयाग शुक्ल पाठ कर रहे थे तब बीच-बीच में वे भी यही कह रहे थे, अशोक वाजपेयी ने भी उनकी कविताओं पर बहुत प्रशंसात्मक ढंग से बोला. उनकी कविताओं का संग्रह \’मुझे देना और प्रेम\’ पढते हुए भी लगा कि उनकी कविताओं में एक खास तरह का आकर्षण है. प्रेम की कुछ बेजोड़ कविताएँ हैं इस संग्रह में, जो प्रयाग शुक्ल के अनुवाद में और भी सुंदर बन पड़ी हैं. कुछ प्रेम कविताएँ उसी संग्रह से- जानकी पुल.=================================== अभिशाप प्रेम मुझे तोड़कर बुरी तरह टुकड़े-टुकड़े किए दे रहा है,मैं अब…

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प्रसिद्ध आलोचक विजेंद्र नारायण सिंह को याद कर रही हैं वरिष्ठ कवयित्री रश्मिरेखा- जानकी पुल.================================================================ हिंदी के जाने-माने आलोचक, प्रखर चिन्तक और विद्वान वक्ता विजेंद्र नारायण सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे. १३ अगस्त को देर रात पटना के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया. उनकी उम्र ७६ साल थी. वे ह्रदय और सांस संबंधी रोगों से ग्रस्त थे और पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. पर इस तरह से अचानक हमारे बीच से वे चले जायेंगे यह हम लोगों ने नहीं सोचा था. महज चार वर्ष पूर्व उन्होंने मुजफ्फरपुर को अपना स्थायी निवास बनाया था. हैदराबाद के…

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14 अगस्‍त की रात संविधान परिषद, नई दिल्‍ली में दिया गया जवाहरलाल नेहरू का भाषण: —————————————————————————————————– बहुत वर्ष हुए, हमने भाग्य से एक सौदा किया था, और अब अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का समय आ गया है। पूरी तौर पर या जितनी चाहिए उतनी तो नहीं, फिर भी काफी हद तक। जब आधी रात के घंटे बजेंगे, जबकि सारी दुनिया सोती होगी, उस समय भारत जागकर जीवन और स्वतंत्रता प्राप्त करेगा। एक ऐसा क्षण होता है, जो कि इतिहास में कम ही आता है, जबकि हम पुराने को छोड़कर नए जीवन में पग धरते हैं, जबकि एक युग का अंत होता है, जबकि राष्ट्र की चिर दलित आत्मा उद्धार प्राप्त करती…

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प्रेस विज्ञप्तिजनवादी लेखक संघ हिंदी के जाने माने आलोचक प्रो. विजेंद्रनारायण सिंह के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता है। कल रात 11.35बजे पटना में अचानक दिल का दौरा पड़ जाने से उनकी मृत्यु हो गयी। वे 76 वर्ष के थे।विजेंद्रनारायण सिंह का जन्म 6जनवरी 1936को हुआ था। उनकी शिक्षा दीक्षा बिहार में ही हुई थी, पटना यूनिवर्सिटी से हिंदी में एम.ए. व पी एच डी की थी, वे भागलपुर विश्वविद्यालय के अनेक कालेजों में अध्यापन करने के बाद हैदराबाद के केंद्रीय विश्वविद्यालय में विभागाध्यक्ष रह कर सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने अनेक आलोचना कृतियों का सृजन किया जिनमें दिनकर…

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