नामवर सिंह की हस्तलिपि में मैंने पहली बार कुछ पढ़ा. रोमांच हो आया. इसका शीर्षक भले \’एक स्पष्टीकरण\’ है, लेकिन ऐसा लगता नहीं है कई यह किसी के लिखे विशेष के सन्दर्भ में दिया गया स्पष्टीकरण है. आप सब पढ़िए और निर्णय कीजिये- प्रभात रंजन.(नोट- साथ में, मूल पत्र की स्कैन प्रति भी है) \’दस्तखत\’ पर मेरे ही दस्तखत एक स्पष्टीकरण —————-सुश्री ज्योति कुमारी के कहानी संग्रह ‘दस्तखत और अन्य कहानियां’ में भूमिका की तरह प्रकाशित ‘अनदेखा करना मुमकिन नहीं’ शीर्षक आलेख मेरा ही है. फर्क सिर्फ इतना है कि वह बोलकर लिखवाया हुआ है. उस समय मेरा हाथ कुछ काँप-सा रहा…
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Yaad Sheher with Neelesh Misra … यह हिंदुस्तान के हिंदी भाषी युवा लोगों का पसंदीदा रेडियो शो है। यह शो हिन्दुस्तान के लाखों-करोड़ों विस्थापितों की यादों का शहर है, वह शहर जहां से एक दिन वे झोला उठाकर निकल पड़े थे. उसकी छोटी-छोटी बातें, छोटी-छोटी यादें बहुत खूबसूरती से सुनाते हैं नीलेश मिश्रा. खुशखबरी यह है किYatra Books और Westland Books ने उन कहानियों को दो हिस्सों में छाप दिया है। उसी किताब का एक छोटा सा अंश आज आपसे साझा कर रहा हूँ- जानकी पुल.======================================== मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं कि अगर फेसबुक ना होता तो क्या होता?है ना ये मज़ेदार?…
पेंटर वेद नायर की कला और उनकी कला-प्रेरणाओं पर यह लेख लिखा है कवयित्री विपिन चौधरी ने. उनकी कला को समझने के लिहाज से इस लेख का अपना महत्व है- जानकी पुल.================================================किसी कला-दीर्घा में प्रदर्शित आधुनिकता की आबोहवा से लस्त-पस्त लम्बोतरे चेहरे उस वयोवृद्ध भारतीय कलाकार की कलाकृतियों का अटूट हिस्सा हैं, जिन्होंने अपने जीवन के कई साल कला के सेवा करते हुए बखूबी गुज़ारे। चित्रकार वेद नायर की कला रचना का संसार छः दशक तक फैला हुआ है। दिल्ली कला विश्वविद्यालय के विद्यार्थी ‘वेद नायर’ ने अपनी रचनात्मकता के माध्यम के तौर न केवल चित्रकला को चुना बल्कि मूर्तिकला, स्थापना, ग्राफिक, प्रिंट फोटोग्राफी, कंप्यूटर- पुस्तकों के सीमित संस्करणों पर खूब जम कर काम किया। अधिकतर कुर्ता-पज़ामा पहने, लम्बी-सफ़ेद दाढ़ी वाले दार्शनिक-चित्रकार की…
गीत हिंदी की पारंपरिक विधा है. रूमानी गीतों को नवगीत बनाकर जीवन के करीब लाने में जिन गीतकारों का योगदान रहा, राजेंद्र गौतम का नाम उनमें अग्रणी है. आज उनके कुछ गीत पढते हैं- जानकी पुल.===============================================================हम दीप जलाते हैंयह रोड़े-कंकड़-सा जो कुछ अटपटा सुनाते हैंगीतों की इससे नई एक हम सड़क बनाते हैं।फिर सुविधाओं के रथ पर चढ़कर आएँ आप मजे सेफिर जयजयकारों के मुखड़े हों दोनों ओर सजे सेहम टायर के जूतों-से छीजे संवेदन पहने हैंआक्रोशी मुद्रा-तारकोल भी हमीं बिछाते हैं।हम हैं कविता के राजपथिक कब? हम तो अंत्यज हैंस्वागत में रोज बिछा करते हैं हम केवल रज हैंलेकिन…
नेहरु की पुण्यतिथि है. नेहरु ने इतिहास की कई किताबें लिखीं लेकिन नेहरु के इतिहास-दृष्टि की चर्चा कम होती है. युवा इतिहासकार सदन झा का यह संक्षिप्त लेकिन सारगर्भित लेख नेहरु के इतिहास दृष्टि अच्छी झलक देता है. आपके लिए- जानकी पुल. =========================================== यदि चंद जीवनीकारों के अपवाद को कुछ देर के लिये दरकिनार कर दें तो यह विडंबना ही लगती है कि जवाहरलाल नेहरू जिन्होने इतिहास सम्बंधित तीन महत्वपूर्ण किताबें लिखीं– आत्मकथा [आटोबायोग्राफी,1941 जो जून 1934 में शुरू कर फरवरी 1935 में उन्होने पूरी कर दी थी], विश्व इतिहास की झलक और भारत की खोज उनके इतिहास दर्शन पर…
पहला जानकी पुल सम्मान युवा कवि आस्तीक वाजपेयी को दिया गया है. निर्णायकों संजीव कुमार, बोधिसत्त्व और गिरिराज किराडू ने यह निर्णय सर्वसम्मति से देने का निर्णय लिया. आज बिना किसी भूमिका के उनकी कुछ नई कविताएँ- जानकी पुल.================================= इतिहास हरे आइने के पीछे खड़े लोगों मुझे क्षमा कर दो। कोई भाग गया था शायद मैं, कोई भाग गया था। इतिहास की कोठरी से मुझे निकाल दो। कहीं यह सर्वगत परिष्कार मुझे खा न ले। तुम कहते तो रूक जाता मेरी याद भाग गयी। काली सड़क पर, मन्दिर के भीतर फूलों में पानी में डूबे पाईप पर खिलौनों के जीवन में…
मेरा मन था कि बाबुषा पर कुछ अलग से लिखूं . उसे पढ़ना एक ऐसे कीमियागर के पास बैठना है,जो दुःख की मिट्टी उठाता है तो टीस के सारे मुहाने खुल जाते हैं और सुख यहाँ इस तरह आता है जैसे अप्रत्याशित घटना -कि आप चकित हैं और चकित हैं . प्रेम इन कविताओं में संवेदनाओं की परत दर परत खुलता जाता है। मुझे आकर्षित करता है प्रेम का यह स्वरुप -इंद्रजाल में दम साधे का इंतज़ार …बाबुषा की कविताओं को मैं चुपचाप अपने पास संजो रही थी . पहले वह बरिस्ता जो उनका अपना ब्लॉग था में पोस्ट डालती…