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यह कवि आरसी प्रसाद सिंह की जन्मशताब्दी का भी साल है. इस अवसर पर उनकी कुछ मैथिली कविताओं का हिंदी अनुवाद किया है युवा कवि त्रिपुरारि कुमार शर्मा ने- जानकी पुल.1. ऋतुराज-दर्शन बसंत ऋतु का आगमन हो चुका है अमलतास के डाली-डाली पर पत्ती-पत्ती पर जैसे कोई लाल-हरा-पीले रंग का महकता हुआ बाल्टी उढ़ेल गया है मंद-मंद दक्खिनी हवा से फूले हुए सरसों के खेत में जैसे कोई भरा हुआ पीला ‘पोखर’ लहरा रहा हो आम के मंजर से चू रहा है रस किसी पागल की तरह भिनभिनाती है मधुमक्खियाँ हजारों-हजार बाग-बगीचे में खिले हुए हैं फूल अधरों को गोल-गोल…

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संस्कृत के जाने-माने विद्वान राधावल्लभ त्रिपाठी के संपादन में वात्स्यायन के ‘कामसूत्र’का नया संस्करण वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हो रहा है. इसकी भूमिका में राधावल्लभ जी ने विस्तार से उस पुस्तक की विषयवस्तु और महत्व पर प्रकाश डाला है. प्रस्तुत है उसका एक अंश- जानकी पुल.यदि यह पूछा जाए कि संस्कृत की ऐसी पांच किताबों के नाम बताइए जिन्होंने दुनिया को बनाने और बचाये रखने का काम किया है तो ये किताबें हैं रामायण, महाभारत और गीता, कौटिल्य का अर्थशास्त्र, कालिदास का अभिज्ञानशाकुन्तलम और वात्स्यायन का कामसूत्र. कामसूत्र के बारे में यह आम धारणा है कि यह केवल सेक्स को…

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युवा-कवि उमाशंकर चौधरी की कविताओं का एक अपना राजनीतिक मुहावरा है, जो उन्हें समकालीन कवियों में सबसे अलगाता है. वे विचारधारा के दवाब से बनी कविताएँ नहीं हैं, उनमें आम जन के सोच की अभिव्यक्ति है. इस कवि की कुछ कविताएँ, आज के राजनीतिक माहौल में जिनकी प्रासंगिकता समझ में आती है- जानकी पुल.१.प्रधानमंत्री पर अविश्वासआजकल मैं जितनी भी बातों को देखता और सुनता हूं उनमें सबसे अधिक मैं प्रधानमंत्री की बातों पर अविश्वास करता हूं। जानने को तो मैं यूं यह जानता ही हूं कि यह जितना आश्चर्य और कौतूहल का समय है उससे अधिक स्वीकार कर लेने का…

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आज उर्दू के मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी का जन्मदिन है.  उनके गज़लों, नज्मों, कतओं से तो हम सब बखूबी परिचित रहे हैं लेकिन उनकी कहानियों के बारे में हमारी मालूमात ज़रा कम रही है. उनकी नौ कहानियों का एक संकलन भी उनके मरने के बाद प्रकाशित हुआ था. वे कैसी कहानियां लिखते थे इस पर कुछ कहने का अधिकारी मैं खुद को नहीं समझता, लेकिन मेरा प्रिय शायर कहानियां भी लिखता था मुझे यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ. पेश है उनकी एक कहानी ‘दही का बर्तन’- जानकी पुल.    गोपाल एक लड़का था. उसकी माँ अत्यंत भली और सहृदय स्त्री थी.…

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गोरख पांडे क्रांति के कवि थे. आज जनांदोलन के इस दौर में उनकी कुछ कविताएँ ध्यान आईं. आप भी पढ़िए- जानकी पुल.समय का पहिया समय का पहिया चले रे साथी समय का पहिया चले फ़ौलादी घोड़ों की गति से आग बरफ़ में जले रे साथीसमय का पहिया चलेरात और दिन पल पल छिन आगे बढ़ता जायतोड़ पुराना नये सिरे से सब कुछ गढ़ता जायपर्वत पर्वत धारा फूटे लोहा मोम सा गले रे साथीसमय का पहिया चलेउठा आदमी जब जंगल से अपना सीना तानेरफ़्तारों को मुट्ठी में कर पहिया लगा घुमानेमेहनत के हाथों से आज़ादी की सड़के ढले रे साथीसमय का पहिया चले आशा का गीत आएँगे, अच्छे दिन…

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आज हिंदी के मूर्धन्य लेखक मनोहर श्याम जोशी जीवित होते तो ७८ साल के हुए होते. आज उनके जन्मदिन पर उनके प्रेम-उपन्यास ‘कसप’ की रचना-प्रक्रिया पर उनका यह लेख प्रस्तुत है, जो उन्होंने मेरे कहने पर लिखा था और जो जनसत्ता में सबसे पहले प्रकाशित हुआ था. उनकी अमर स्मृति के नाम- जानकी पुल. ======================================     हिंदी साहित्य से जुड़े लोग रचना-प्रक्रिया की बात अक्सर करते हैं. मैं आज तक ठीक-ठीक नहीं समझ पाया हूँ कि रचना-प्रक्रिया का मतलब क्या होता है. बिलकुल ही स्थूल स्तर पर रचना-प्रक्रिया मात्र इतनी होती है कि लेखक कलम उठाता है और कागज़…

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दिलनवाज़ आज बिमल रॉय की फिल्म \’उसने कहा था\’ के बारे में बता रहे हैं. चंद्रधर शर्मा गुलेरी की अमर कहानी पर बनी इस फिल्म पर एक दिलचस्प आलेख- जानकी पुल. कथाकार चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कथा ‘उसने कहा था’ पर जाने-माने फ़िल्मकार बिमल राय ने इसी नाम से एक फ़िल्म बनाई थी। निर्माता बिमल दा की फ़िल्म को मोनी भट्टाचार्य ने निर्देशित किया था । फ़िल्म मे सुनील दत्त, नंदा, इंद्रानी मुखर्जी, दुर्गा खोटे, राजेन्द्र नाथ, तरूण बोस, रशीद खान व असित सेन ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं ।कहानी के सिनेमाई रूपांतरण की कथा कुछ इस तरह है: –पंजाब के एक…

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फिल्म “गाँधी टू हिटलर\’’ का कांसेप्ट प्रभावित करता है. द्यितीय विश्वयुद्ध के सबसे बड़े खलनायक हिटलर को लेकर, उसके अर्श से फर्श या कहें कि ‘बंकर’ तक का सफर फिल्म की कहानी का मुख्य हिस्सा है. इस कहानी से भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दो महानायक जुड़ जाते हैं, दो विचारधाराएँ जुड़ जाती हैं. गाँधी ने हिटलर को १९३९ में एक चिट्ठी लिखी थी इस महाविनाश को रोकने के लिए. दूसरी तरफ नेताजी सुभाष चंद्र बोस हैं जिनका मानना था कि आखिर जर्मन भी तो अंग्रेजों के खिलाफ लड़ रहे हैं, दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है, इसलिए जर्मनी का साथ…

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आज आशुतोष भारद्वाज की कहानी. उनकी कहानी का अलग मिजाज़ है. जीवन की तत्वमीमांसा के रचनाकार हैं वे. वे शब्दों को लिखते नहीं हैं उसे जीते हैं, उनकी कहनियों में जीवन की धड़कनों को सुना जा सकता है. कश्मीर के परिवेश को लेकर एक अलग तरह की कहानी है \’मिथ्या\’, होने न होने का भ्रम लिए. ========================================= मृत्यु से पहले मृत्यु की आंखें आती होंगी। तुम्हें घूरेंगी, तुम्हारी बाह झकझोरने लगेंगी। तुम भीगा चेहरा, नामालूम भय या पसीने से, तीन रजाई की तहों से बाहर निकालोगे — हरी लकड़ी का हिलता दरवाजा, रात भर सुलगते रहने के बाद बुझी…

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वरिष्ठ कवि नंदकिशोर आचार्य का नया कविता संग्रह आया है ‘केवल एक पत्ती ने’, ‘वाग्देवी प्रकाशन, बीकानेर से. उसी संग्रह से कुछ कविताएँ आज प्रस्तुत हैं- जानकी पुल.    अभिधा में नहीं जो कुछ कहना हो उसे –खुद से भी चाहे— व्यंजना में कहती है वह कभी लक्षणा में अभिधा में नहीं लेकिन कभी कोई अदालत है प्रेम जैसे कबूल अभिधा में जो कर लिया –सजा से बचेगी कैसे! हर कोई चाहता है साधू ने भरथरी को दिया वह फल— अमर होने का भरथरी ने रानी को दे दिया रानी ने प्रेमी को अपने प्रेमी ने गणिका को और गणिका…

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