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गाब्रियल गार्सिया मार्केज़ के साथ पीटर एच. स्टोन की बातचीत का सम्पादित अंश   जिसका अनुवाद मैंने किया है- प्रभात रंजन. प्रश्न- टेपरिकार्डर के उपयोग के बारे में आप क्या सोचते हैं? मार्केज़- मुश्किल यह है कि जैसे ही आपको इस बात का पता चलता है कि इंटरव्यू को टेप किया जा रहा है, आपका रवैया बदल जाता है. जहाँ तक मेरा सवाल है मैं तो तुरंत रक्षात्मक रुख अख्तियार कर लेता हूँ. एक पत्रकार के रूप में मुझे लगता है कि हमने अभी यह नहीं सीखा है कि इंटरव्यू के दौरान टेपरिकार्डर किस तरह से उपयोग किया जाना चाहिए.…

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चीन में लाओत्से के के विचारों की बड़ी मान्यता थी. कहते हैं वह कन्फ्यूशियस का समकालीन था. जब उसने अपने ज्ञान को लिपिबद्ध किया तो वह कविताओं के रूप में सामने आया. ताओवाद के प्रवर्तक के विचार ‘ताओ ते छिंग’ में संकलित है. अभी उसका एक चुनिन्दा संकलन राजकमल प्रकाशन ने छापा है. अनुवाद वंदना देवेन्द्र ने किया है. कुछ चुनी हुई विचार कविताएँ- जानकी पुल.(1)जीवन लोग अभावग्रस्त व भूखे क्यों हैं? क्योंकि शासक करों के रूप में धन खा जाता हैअतः लोग भूखे मर रहे हैंलोग विद्रोही क्यों हैं?क्योंकि शासक अत्यधिक हस्तक्षेप करता हैअतः लोग विद्रोहात्मक हैंलोग मृत्यु के…

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जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा को वैसे तो जासूसी उपन्यासों के लेखक के रूप में जाना जाता है, जिसको हिंदी का गंभीर पाठक समुदाय हिकारत की दृष्टि से देखता है. ऐसे में शायद ही किसी का ध्यान इस ओर गया हो कि उन्होंने ऐसे कई उपन्यास लिखे जिनको साहित्यिक कहा जा सकता है. लेकिन सब लुगदी में छपा और धीरे-धीरे विलुप्त हो गया. ऐसा ही एक विलुप्त उपन्यास है ‘दूसरा ताजमहल’. जो १८वीं-१९वीं शताब्दी के शायर नजीर अकबराबादी के जीवन पर आधारित है. उस नजीर अकबराबादी के जिनके बारे में लेखक ने लिखा है कि वह न तो दरगाह का शायर…

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अज्ञेय की जन्म-तिथि के अवसर पर आज प्रस्तुत है उनके घोषित शिष्य मनोहर श्याम जोशी द्वारा लिखा गया एक व्यक्ति-चित्र जिसमें अज्ञेय के व्यक्तित्व को बहुत रोचक ढंग से खोला गया है. ‘बातों-बातों में’ संकलित लेख का एक सम्पादित अंश- जानकी पुल. ============================= अगर जैनेन्द्र गांधी स्मारक निधि हैं तो सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ नेहरु अभिनन्दन ग्रन्थ हैं. जिस तरह नेहरु ‘डिस्कवरी ऑफ इण्डिया’ और ग्लिम्प्सेज़ ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री’ का और गांधी और मार्क्स का समन्वय करके भारतीय राजनीति में छा गए, उसी तरह अज्ञेय पूर्व और पश्चिम, लोक-मानस और अभिजात-मानस, अतीत और भविष्य, परंपरा और प्रयोग को घोल के…

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भारतीय अंग्रेजी के आरंभिक उपन्यासों में से एक \’स्वामी एंड फ्रेंड्स\’ के प्रकाशन के 75 साल हो गए. लेकिन उसका गांव मालगुडी, उसका बच्चा स्वामी आज भी हमारी स्मृतियों में वैसे के वैसे बने हुए हैं- जानकी पुल.१९३५ में भारतीय अंग्रेजी के आरंभिक लेखकों में एक आर. के. नारायण ने एक औपन्यासिक गांव बसाया था मालगुडी. ७५ साल हो गए वह उपन्यास ‘स्वामी एंड फ्रेंड्स’ और उसका गांव मालगुडी करोड़ों पाठकों की स्मृतियों में आज भी वैसा का वैसा बसा हुआ है. आर. के नारायण अपने दीर्घ जीवनकाल के दौरान करीब २९ उपन्यास लिखे लेकिन ‘स्वामी एंड फ्रेंड्स’ की बात…

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हाल में ही पाकिस्तान के पत्रकार सईद अहमद की किताब आई है ‘दिलीप कुमार: अहदनामा-ए-मोहब्बत’. इसको पढ़ने से पता चलता है पाकिस्तान में लोग दिलीप कुमार से मोहब्बत ही नहीं करते, वे उनके दीवाने हैं. ऐसे ही दो दीवानों की दास्तान पढ़िए- जानकी पुल. ================================   स्टीफेन हेनरी के बारे में अजीब-सी ख़बरें सुनने में आ रही थीं. वह बीमार पड़ा लेकिन डॉक्टर के पास नहीं गया. दिलीप कुमार का फोटो देखकर ठीक हो गया. अचानक अपेंडिक्स के दर्द से चीख उठा. हस्पताल पहुँचाया गया, डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी. उसने जिद की कि उसे दिलीप कुमार की फिल्म…

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भुवनेश्वर ने कुछ कविताएँ अंग्रेजी में लिखी थी. बाद में जिनका हिंदी अनुवाद शमशेर बहादुर सिंह ने किया. दोनों शताब्दी कवि-लेखकों की यह जुगलबंदी प्रस्तुत है- जानकी पुल. 1.रुथ के लिए मगन मन पंख झड़ जाते यदि और देखने वाली आँखे झप जाती हैंशाहीन के अंदर पानी नहीं रहताउस अमृत जल को पी के भी जो आंसुओं की धार है दूसरे पहर की चमक में यदि अगली रात की झलक हैऔर रात की कोख भी सुनीजैसे मछुआरे का झावा ये सारा मातम है यदि इसीलिए कि मर जाएँ पर सच ही सच बताएं तो मर जाना ही बेहतर है उसे…

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१९१० में पैदा हुए भुवनेश्वर की यह जन्मशताब्दी का साल है. ‘भेडिये’ जैसी कहानी और ‘ताम्बे के कीड़े’ जैसे ‘एब्सर्ड’ नाटक के इस रचयिता को हिंदी का पहला आधुनिक लेखक भी कहा जाता है. समय से बहुत पहले इस लेखक ने ऐसे प्रयोग किये बाद में हिंदी में जिसकी परम्परा बनी. अभिशप्त होकर जीनेवाले और विक्षिप्त होकर मरने वाले इस लेखक की कुछ दुर्लभ रचनाएँ इस सप्ताह हम देंगे. आज प्रस्तुत हैं उनकी कुछ दुर्लभ कविताएँ- जानकी पुल.नदी के दोनों पाटनदी के दोनों पाट लहरते हैं आग की लपटों में दो दिवालिये सूदखोरों का सीना जैसे फुंक रहा हो.शाम हुई…

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इस बार वीकेंड कविता में प्रस्तुत हैं जुबेर रज़वी की गज़लें. नज्मों-ग़ज़लों के मशहूर शायर जुबेर रज़वी किसी परिचय के मोहताज़ नहीं हैं. यकीन न हो तो उनकी नई ग़ज़लों का रंग देख लीजिए- जानकी पुल.1.वो बूँद-बूँद दमकता था मेंह बरसते मेंज़माना देख रहा था उसी को रस्ते में.कुछ और भींग रहा था बदन पे पैराहन१ १. वस्त्रखड़ा हुआ था वो गीली हवा के रस्ते में.ये शामे-हिज्र ये तन्हाई और ये सन्नाटाखरीद लाए थे हम भी किसी को सस्ते में.जवाब के लिए बस एक सादा कागज़ थामगर सवाल कई थे हमारे बस्ते मेंन देखी जाए नमी हमसे उनकी आँखों मेंबहुत…

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शायर-गीतकार साहिर लुधियानवी की जयंती है. उनके एक दोस्त जोए अंसारी ने साहिर लुधियानवी पर यह संस्मरण लिखा था. जिसमें उनकी शायरी और जिंदगी के कई नुक्ते खुलते हैं. यह ‘शेष’ पत्रिका के नए अंक में प्रकाशित हुआ है. उसका सम्पादित रूप प्रस्तुत है- जानकी पुल. ==============================   बम्बई शहर के उबलते हुए बाज़ारों में, साहिलों पर, सस्ते होटलों में तीन लंबे-लंबे जवान बाल बढ़ाये, गिरेबान खोले आगे की फ़िक्र में फिकरे कसते, खाली जेबों में सिक्के बजाते घूमते फिरते थे. दो उत्तर से आये थे, एक दक्षिण से इस उम्मीद से कि वो दिन दूर नहीं जब खुद उनकी…

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