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वाल्टर इसाकसन द्वारा लिखी गई स्टीव जॉब्स की जीवनी का एक सम्पादित अंश. अनुवाद एवं प्रस्तुति- प्रभात रंजन  ===========================   स्टीव जॉब्स के बारे में कहा जाता है कि तकनीकी के साथ रचनात्मकता के सम्मिलन से उन्होंने जो प्रयोग किए उसने २१ वीं सदी में उद्योग-जगत के कम से कम छह क्षेत्रों को युगान्तकारी ढंग से प्रभावित किया- पर्सनल कंप्यूटर, एनिमेशन फिल्म, संगीत, फोन, कंप्यूटर टेबलेट्स और डिजिटल प्रकाशन. हाल में उनकी मृत्यु के कुछ ही दिनों बाद उनकी जीवनी आई है- ‘स्टीव जॉब्स’, जिसको वाल्टर इसाकसन ने लिखा है. सी.एन.एन, के अध्यक्ष और टाइम पत्रिका के मैनेजिंग एडिटर रह…

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चेतन भगत इस समय भारत में अंग्रेजी के निस्संदेह सबसे ‘लोकप्रिय’ लेखक हैं. सबसे बिकाऊ भी. जो बोल देते हैं वही चर्चा का सबब बन जाता है. पिछले दिनों उनका एक बयान मुझे भी अच्छा लगा था. उन्होंने इन्फोसिस के नारायणमूर्ति को ‘बॉडीशॉपिंग’ करने वाला करार दिया था. नारायणमूर्ति ने आइआईटी के विरूद्ध कोई निंदनीय बात कही थी. आइआईटी के इस पुराने छात्र ने करार जवाब दिया. वैसे इस बार उन्होंने कुछ ऐसा कहा है जिसकी कुछ खास चर्चा नहीं होगी. उस बयान का संबंद्ध किसी ‘सेलिब्रिटी’ से नहीं, गरीब-गुरबों की भाषा हिंदी से है.एक मशहूर टीवी शो की मशहूर…

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जून २००१ में हिंदी कवयित्री तेजी ग्रोवर स्वीडन गई थी तो वहाँ टोमस ट्रांसटोमर से मिलने गई थीं, उनके ऐतिहासिक नीले घर में. उसके बाद उनके ऊपर, उस् मुलाकात के ऊपर उन्होंने एक संस्मरण लिखा था, जो ‘बहुवचन’ में प्रकाशित हुआ था. स्वीडिश कविता के उस् महान हस्ताक्षर को नोबेल पुरस्कार मिलने पर प्रस्तुत है वही लेख. टोमस ट्रांसटोमर १९८९ में भोपाल के भारत भवन में आयोजित ‘विश्व कविता’ के आयोजन में भी आए थे. फिलहाल यह लेख- जानकी पुल. लेटर बॉक्सों में से एक पर वह नाम था- टोमस ट्रांस्टोमर. नाम के नीचे लिखा था- नीला घर. दोपहर के भोजन…

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प्रसिद्ध लेखक एस. आर. हरनोट की कहानियां अक्सर हमें कुछ सोचने के लिए विवश करती हैं. उनकी अनेक कहानियों में हिमाचली संस्कृति, वहां की परम्पराओं के प्रति गहरी चिंता दिखाई देती है. आज उनकी एक कहानी \’किन्नर\’. किस तरह किन्नौर के लोगों के लिए प्रयुक्त होने वाला यह शब्द कालांतर में एक समुदाय विशेष के लिए रूढ़ हो गया. कहानी में इसी बात को लेकर विमर्श भी है- जानकी पुल. हिमाचल के जनजातीय जिला किन्नौर को कालान्तर में ‘किन्नर देश’ के नाम से जाना जाता था। इसके निवासी ‘किन्नर’ कहलाते थे। आजादी के बाद हिमाचल प्रदेश का जब पुनर्गठन हुआ…

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अपर्णा मनोज की कविताओं का मुहावरा एकदम अलग से पहचान में आता है. दुःख और उद्दाम भावनाओं के साथ एक गहरी बौद्धिकता उनकी कविताओं का एक अलग ही मुकाम बनाती हैं. कई-कई सवाल उठाने वाली ये कविताएँ मन में एक गहरी टीस छोड़ जाती हैं. आज प्रस्तुत हैं उनकी पांच कविताएँ- जानकी पुल.सब ठीक ही है :कहाँ कुछ बिगड़ा है ?यूँ तो सब ठीक ही लगता है. पड़ोस से उठने वाला मर्सिया कनेर के गुलाबी फूलों के बीच से गुज़रा है ज्यादा फर्क कहाँ पड़ा है ? हवाएं कई पनडुब्बियों में समुद्र को भेद रही हैं थोड़े जहाज़ों का मलबा…

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युवा इतिहासकार सदन झाकी पकड़ शास्त्र और लोक दोनों पर ही समान रूप से और गहरी है. लोक-ज्ञान पर इस लेख को पढकर इसकी ताकीद की जा सकती है. आधुनिक औपचारिक शिक्षा से अलग ज्ञान की एक संचित परंपरा रही है, जिससे हमारा नाता टूटता जा रहा है. उन्हीं टूटे हुए तारों को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं सदन- जानकी पुल.\”सींग टेकी कै पानी पीबै, उठाइ पूंछ उडि जाइ.ज्ञानी होइ सो अरथु लगावै, मुरख होइ उठि जाइ\” यह पहेली परोहे के बारे में है. यदि खेत ऊंचाई पर होता है तो सिंचाई के लिए पानी चमड़े के एक थैले…

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आज मशहूर शायर शहरयार को अमिताभ बच्चन के हाथों ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जा रहा है. आइये उनकी कुछ ग़ज़लों का लुत्फ़ उठाते हैं. वैसे यह बात समझ नहीं आई कि अमिताभ बच्चन के हाथों ज्ञानपीठ पुरस्कार क्यों?- जानकी पुल.1.कहीं ज़रा सा अँधेरा भी कल की रात न थागवाह कोई मगर रौशनी के साथ न था।सब अपने तौर से जीने के मुतमईन थे यहाँपता किसी को मगर रम्ज़े-काएनात न थाकहाँ से कितनी उड़े और कहाँ पे कितनी जमेबदन की रेत को अंदाज़ा-ए-हयात न थामेरा वजूद मुनव्वर है आज भी उस सेवो तेरे कुर्ब का लम्हा जिसे सबात न थामुझे तो फिर…

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मारियो वर्गास ल्योसा के उपन्यास ‘बैड गर्ल’ का एक सम्पादित अंश का अनुवाद.. २००७ में प्रकाशित यह उपन्यास नोबेल पुरस्कार से सम्मानित इस लेखक का अब तक प्रकाशित सबसे अंतिम उपन्यास है. यह अंश एक तरह से कम्युनिस्ट आंदोलन पर उनकी टिप्पणी की तरह है- जानकी पुल. ======================   पेरू से पेरिस में आकर मेरी और पॉल दोनों की जिंदगी बदल गई थी. वह अब भी मेरा सबसे अच्छा दोस्त था, लेकिन हमारा मिलना-जुलना कम हो गया था. कारण यह था कि मैंने यूनेस्को के लिए बतौर अनुवादक काम करना शुरु कर दिया था और मेरी जिम्मेदारियां बढ़ गई थीं.…

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