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राकेश श्रीमाल की कविताएँ \’हिय आँखिन प्रेम की पीर तकी\’ के मुहावरे में होती हैं. कोमल शब्द, कोमल भावनाएं, जीवन-प्रसंग- सब मिलकर कविता का एक ऐसा संसार रचते हैं जहाँ \’एक अकेला ईश्वर\’ भी बेबस हो जाता है. उनकी कुछ नई कविताओं को पढते हैं- जानकी पुल.एक अकेला ईश्वर एक तुम ऐसी गुमशुदा हो जो मिलने से पहले ही गुम हो गई थी इस समय तक भूल गया था मैं तुम्हारा चेहरा और यह भी कि खारा तुम्हें बहुत पसंद है वही हुआ हमारे शब्दों से ही पहचान लिया हमने एक दूसरे को शुरु में ठिठकते हुए शब्दअब मौका ढूंढते…
आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्मतिथि है. अनेक कवियों ने उनके ऊपर कविताएँ लिखी थी. उनकी स्मृतिस्वरूप प्रस्तुत है एक प्रसिद्ध कविता. कवि हैं गोपाल प्रसाद व्यास- जानकी पुल.है समय नदी की बाढ़ कि जिसमें सब बह जाया करते हैं।है समय बड़ा तूफ़ान प्रबल पर्वत झुक जाया करते हैं ।।अक्सर दुनियाँ के लोग समय में चक्कर खाया करते हैं।लेकिन कुछ ऐसे होते हैं, इतिहास बनाया करते हैं ।। यह उसी वीर इतिहास-पुरुष की अनुपम अमर कहानी है। जो रक्त कणों से लिखी गई,जिसकी जयहिन्द निशानी है।। प्यारा सुभाष, नेता सुभाष, भारत भू का उजियारा था । पैदा होते ही गणिकों ने जिसका भविष्य…
आज वंदना शर्मा की कविताएँ उनके वक्तव्य के साथ. वंदना शर्मा की कविताओं ने इधर कविता-प्रेमियों का ध्यान अपनी सादगी, बयान की तीव्रता और अनुभव की गहराई से आकर्षित किया है- जानकी पुल. मैं बहुत सामान्य सी स्त्री हूँ, कुछ भी सिर्फ मेरा नही.. न अनुभूति न कविता, कविता मेरे लिए दुःख है, गुस्सा है, क्षोभ है, विद्रोह है और है उनकी आवाज जिनके लब आजाद नही हैं ! विवशता से, पराजय से, नाउम्मीदी से चिढ़ है मुझे ..मेरी पूरी कोशिश है कि कहीं कुछ बदलाव हो ! कभी तो कोई आवाज उन निर्मम यथास्तिथिवादियों के कानो को भेद पाए जरा…
आज आभा बोधिसत्व की कविताएँ. यह कहना एक सामान्य सी बात होगी कि आभाजी की कविताओं में स्त्री मन की भावनाएं हैं, स्त्री होने के सामाजिक अनुभवों की तीव्रता है. सबसे बढ़कर उनकी कविताओं में आत्मीयता का सूक्ष्म स्पर्श है और लोक की बोली-बानी का ठाठ, जो उनकी कविताओं को सबसे अलग बनाता है. प्रस्तुत हैं आठ कविताएँ- जानकी पुल. सुनती हूँ यह सब कुछ डरी हुईमैं बाँझ नही हूँनहीं हूँ कुलटाकबीर की कुलबोरनी नहीं हूँ ।न केशव की कमला हूँन ब्रहमा की ब्रह्माणीन मंदिर की मूरत हूँ।नहीं हूँ कमीनी, बदचलन छिनाल और रंडीन पगली हूँ, न बावरीन घर की छिपकली…
भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित कवि जितेन्द्र श्रीवास्तव समकालीन कविता का एक महत्वपूर्ण नाम है. उनकी कविताओं में विस्थापन की पीड़ा है, मनुष्य के अकेले पड़ते जाने की नियति का दंश. अभी हाल में ही उनका नया कविता संग्रह आया है \’इन दिनों हालचाल\’ और साथ ही, प्रेम कविताओं का संचयन आया है \’बिलकुल तुम्हारी तरह\’. प्रस्तुत है उनकी कुछ इधर की कविताएँ- जानकी पुल. धूपधूप किताबों के ऊपर है या भीतर कहीं उसमें कहना मुश्किल है इस समयइस समय मुश्किल है कहना कि किताबें नहा रही हैं धूप में या धूप किताबों में पर यह देखना और महसूसना नहीं मुश्किलकि…
आज मोहन राकेश का जन्मदिन है. नाटक, कहानी के साथ-साथ मोहन राकेश की डायरी का भी अपना महत्व है. जिन दो लेखकों की डायरी मैंने बार-बार पढ़ी है उनमें मोहन राकेश के अलावा दिनकर की डायरी. लेकिन आज पेश हैं मोहन राकेश की डायरी के कुछ अंश- बम्बई…?दिन-भर परिभाषाएँ घड़ते रहे। साहित्य की, जीवन की, मनुष्य की। बे-सिर-पैर। सभी पढ़ी-सुनी परिभाषाओं की तरह अधूरी और स्मार्ट। दूसरों ने जितनी स्मार्टिंग की कोशिश की, उससे ज़्यादा खुद की। जैसे परिभाषा नहीं दे रहे थे, कुश्ती लड़ रहे थे। महत्त्व सिर्फ़ इस बात का था कि दूसरे को कैसे पटखनी दी जाती है। या फिर पटखनी खाकर भी…
7-8 जनवरी को जयपुर में \’कविता समय\’ का दूसरा आयोजन है, जो संयोग से कवियों और कविता का सबसे बड़ा आयोजन बनता जा रहा है. इस मौके पर हम कुछ कवियों की चुनी हुई कविताएँ प्रस्तुत करेंगे. शुरुआत अपने प्रिय कवि गिरिराज किराडू की कविताओं से कर रहे हैं. गिरिराज की कविताओं का स्वर समकालीन हिंदी कविता में सबसे मौलिक है. थोड़ा-सा व्यंग्य, थोड़ी उदासी, गद्यकारों सा खिलंदड़ापन- सबके भीतर अन्तर्निहित गहरा विडंबनाबोध. पढते हैं उनकी कुछ नई कविताएँ- प्रभात रंजन.मग़रिब जाओ१एक सवाल यह कि तुम इसी समय यहाँ क्यूँ नहीं होएक सवाल यह कि तुमसे कभी चूक क्यूँ नहीं…
२०११ के साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता काशीनाथ सिंह से आज कवयित्री आभा बोधिसत्व की बातचीत- जानकी पुल.आप को साहित्य आकादमी पुरस्कार मिला है आपके उपन्यास ‘रेहन पर रग्घू’को, लेकिन क्या यह आप की प्रिय रचना भी है?नही मेरी प्रिय रचना तो ‘काशी का अस्सी’ है,ऐसे ‘रेहन पर रग्घू’को भी मैं कमतर नहीं मानता। काशी का अस्सी इसलिएभी मुझे प्रिय है क्योंकि उसमें मेरा पूरा व्यक्तित्व, जिंदादिल मस्ती, आवारगी यह सारी चीजें उभरकर आती हैं।वह पूरा उपन्यास अपने शिल्प मे भी अलग है।आपके पात्र बहुत ‘गल्प प्रिय’ हैं, बतियाना जानते हैं, इनका चयन कैसे करते हैं?एक तो यह कि चूंकि मैं…
युवा कवि रविकांत को हेमंत स्मृति सम्मान मिला है. रविकांत की कविताएँ हिंदी कविता के बदलते स्वर से परिचय करवाती है. एक ऐसे मुहावरे से जिसमें आज के मनुष्य की आवाज़ सुनाई देती है. उनको बधाई के साथ प्रस्तुत हैं उनकी कुछ चुनी हुई कविताएँ- जानकी पुल. 1.बयान इसमें संदेह नहीं कि मेरा प्रेम सच्चा है Iपर सच्चे प्रेम में भी हमारे समय के कुछ सामान्य तत्व तो होंगे ही ना !अब चौबिस कैरेट के सच्चे प्रेम की मांग तो मूर्खता ही कही जाएगी Iअफ़सोस है कि मेरी प्रेमिका एकदम मूर्ख है Iवह इस घोर आधुनिक समय में भीसच्चे प्रेम की मांग करती…