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आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री जी के देहांत के बाद बड़े पैमाने पर इस बात को लेकर चर्चा हुई कि करीब ९५ साल की भरपूर जिंदगी जीने वाले इस लेखक की बहुत उपेक्षा हुई. साहित्य अकादेमी में जो शोकसभा हुई उसमें भी यह कहा गया कि साहित्य अकादेमी में उनके ऊपर पहला कार्यक्रम तब हुआ जब उनका देहांत हो गया. उनके जीते-जी उनकी सुध अकादेमी ने नहीं ली. समय-समय पर अनेक लेखकों को लेकर यह सवाल उठाया जाता है कि उनकी उपेक्षा हो रही है, सरकार और संस्थाएं उनकी सुध नहीं ले रही हैं, आदि-आदि. लेकिन यहाँ एक सवाल यह भी…
वरिष्ठ पत्रकार-लेखिका गीताश्री की नई पुस्तक आई है सामयिक प्रकाशन से \’औरत की बोली\’. पुस्तक हिंदी में विमर्श के कुछ बंद खिड़की-दरवाज़े खोलती है. प्रस्तुत है पुस्तक की भूमिका का एक अंश- जानकी पुल.घर से ज्यादा बाहर शोर था- \”चतुर्भूज स्थान की सबसे सुंदर और मंहगी बाई आई है।\” बारात के साथ में आई थी बाई, लेकिन बाई को लेकर लोगों में जो उत्सुकता थी, वो बारात आने के उत्साह से कहीं ज्यादा थी। जिधर देखो एक ही चर्चा-\”बाबा की पोती की शादी में चतुर्भूज स्थान की सबसे सुंदर और मंहगी बाई आई है। रात को मजमा लगेगा।\” एक किस्म…
हिंदी फ़िल्मी गीतों में साहित्यिकता का पुट देने वाले गीतकार योगेश के बारे में लोग कम ही जानते हैं. एक से एक सुमधुर गीत लिखने वाले इस गीतकार के बारे में बता रहे हैं दिलनवाज़- जानकी पुल.हिन्दी फ़िल्मो के सुपरिचित गीतकार योगेश गौड उर्फ़ योगेश का जन्म लखनऊ, उत्तर प्रदेश मे एक मध्यवर्गीय परिवार मे हुआ| आरंभिक शिक्षा लखनऊ के संस्कृति संपन्न माहौल मे हुई, इस तरह योगेश का बचपन और किशोरावस्था यहीं बीते| पिता की असामयिक मृत्यु के कारण पढाई बीच मे ही रोक कर रोज़गार की तलाश मे लग गए| परिवार, मित्रों की सलाह पर मायानगरी मुंबई का…
हिंदी की मंचीय कविता को लोकप्रिय बनाने वाले कवियों में बलवीर सिंह रंग का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. \’रंग का रंग ज़माने ने बहुत देखा है/ क्या कभी आपने बलवीर से बातें की हैं\’ जैसे गीत लिखने वाले इस कवि की यह जन्मशताब्दी का साल है. इस अवसर पर प्रस्तुत है निर्मला जोशी का यह लेख- जानकी पुल. ================= हिंदी गीत को मुहावरों से बचाकर मौलिक चिंतन का धरातल देने वालों के नाम अगर लिए जाएँ तो स्व बलबीर सिंह रंग का नाम सबसे पहले आता है। क्योंकि जिस गीतकार पीढ़ी ने गीत को मंच पर प्रतिष्ठित करने…
कुछ बरस पहले ऑस्ट्रियन लेखक स्टीफेन स्वाइग की आत्मकथा का हिंदी अनुवाद आया था तो उसकी खूब चर्चा रही. अनुवाद किया था हमारे प्रिय कथाकार ओम शर्मा ने. पुस्तक का एक अंश ओमा जी की भूमिका के साथ- जानकी पुल.अनुवादक का कथ्यहमारे समकालीन साहित्य में स्टीफन स्वाइग बहुत चर्चित नाम नहीं है हालांकि बीती सदी के मध्यांतर तक इस जर्मन-भाषी ऑस्ट्रियाई लेखक की लगभग पूरे विश्व साहित्य में तूती बोलती थी। हर भाषा के कुछ हलकों में स्टीफन स्वाइग का नाम अलबत्ता बेहद सम्मान के साथ लिया जाता रहा है। कथा साहित्य के स्तर पर स्वाइग ने न तो दोस्तोवस्की…
आज हिंदी के उपेक्षित लेकिन विलक्षण लेखक शैलेश मटियानी की पुण्यतिथि है. उन्होंने अपने लेखन के आरंभिक वर्षो मे ‘कविताएं’ भी लिखी थीं. आज उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी कुछ कविताएं यहां दी जा रही हैं, जिन्हें उपलब्ध करवाने के लिए हम दिलनवाज़ जी के आभारी हैं- जानकी पुल.नया इतिहासअभय होकर बहे गंगा, हमे विश्वास देना है –हिमालय को शहादत से धुला आकाश देना है !हमारी शांतिप्रिया का नही है अर्थ कायरताहमे फ़िर खून से लिखकर नया इतिहास देना है !लेखनी धर्मशांति से रक्षा न हो, तो युद्ध मे अनुरक्ति दे लेखनी का धर्म है, यु्ग-सत्य को अभिव्यक्ति दे !छंद –भाषा-भावना…
मूलतः इंजीनियरिंग के छात्र आस्तीक वाजपेयी की ये कविताएँ जब मैंने पढ़ी तो आपसे साझा करने से खुद को रोक नहीं पाया. इनके बारे में मैं अधिक क्या कहूँ ये कविताएँ अपने आपमें बहुत कुछ कहती हैं- इतिहास, वर्तमान, जीवन, मरण- कवि की प्रश्नाकुलता के दायरे में सब कुछ है और देखें तो कुछ भी नहीं. होने न होने का यही द्वंद्व उनकी कविताओं को एक खास भंगिमा देता है. आइये पढते हैं- जानकी पुल.जानकी पुल को उनकी कविताएँ सबसे पहले प्रकाशित करने पर गर्व हो रहा है.1.ऐसा ही होता हैऐसा ही होता है।समय मे भागता अश्वत्थामाभूल जाएगा कि वह…