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कल काशीनाथ सिंहको ‘रेहन पर रग्घू’ उपन्यास पर साहित्य अकादेमीपुरस्कार दिए जाने की घोषणा हुई. उनको जानकी पुल की ओर से बहुत बधाई. इस मौके पर पेश है उनसे एक बातचीत. हम युवा आलोचक पल्लव के आभारी हैं कि उन्होंने तत्परता से यह बातचीत हमें उपलब्ध करवाई.रामकली सर्राफ : आपकी कहानियों में तो है ही लेकिन आप जो कथा रिपोर्ताज लिख रहे हैं संतो घर में झगरा भारी, पांड़े कौन कुमति तोहे लागी… आदि में भी गँवईमन झाँक रहा है, उस पर आप क्या कहना चाहेंगे?काशीनाथ सिंह : बुनियादी निर्माण तो हमारे गँवई मन का ही है, इसलिए वह भाषा…

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कल मेरे प्रिय कवि बोधिसत्व का जन्मदिन है. बोधिसत्व की कविताओं में वह दिखाई देता है, सुनाई देता है जो अक्सर दृश्य से ओझल लगता है. गहरी राजनीतिक समझ वाले इस कवि की कविताओं वह कविताई भी भरपूर है जिसे रघुवीर सहाय सांसों की लय कहते थे. उनकी नई कविताएँ तो मिली नहीं फिलहाल आपके साथ उनकी कुछ पुरानी कविताओं का ही वाचन कर लेता हूँ, उनको शुभकामनाएं सहित- जानकी पुल.तमाशातमाशा हो रहा हैऔर हम ताली बजा रहे हैंमदारीपैसे से पैसा बना रहा हैहम ताली बजा रहे हैंमदारी साँप कोदूध पिला रहा हैंहम ताली बजा रहे हैंमदारी हमारा लिंग बदल…

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आज अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि आगा शाहिद अली की दसवीं पुण्यतिथि है. महज ५२ साल की उम्र में दुनिया छोड़ जाने वाले इस कश्मीरी-अमेरिकी कवि के बारे में कहा जाता है कि इसने अंग्रेजी कविता का मुहावरा बदल कर रख दिया. नई संवेदना, नए रूप दिए. अंग्रेजी में गज़लें लिखीं. आज उनकी याद में कुछ कविताएँ हिंदी अनुवाद में.1.मैं नई दिल्ली से आधी रात में कश्मीर देखता हूँ ‘ अब्बा से नहीं कहना मैं मर रहा हूँ’, वह कहता है और मैं सड़क पर फैले खून के सहारे उसके पीछे चल पड़ता हूँ और सैकड़ों जोड़ी जूते जो शोक मनाने…

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हाल में ही वाणी प्रकाशन से एक पुस्तक आई है \’भैरवी: अक्क महादेवी की कविताएँ\’. वीरशैव संप्रदाय की अक्क महादेवी की कुछ कविताओं का बहुत सुन्दर अनुवाद युवा कवि-संगीतविद यतीन्द्र मिश्र ने किया है. मैंने पढ़ा तो सोचा कि आपसे साझा किया जाए- जानकी पुल.वीरशैव सम्प्रदाय, जिसे प्रचलित अर्थों में ‘लिंगायत-सम्प्रदाय’ भी कहते हैं, ढेरों ऐसे सन्तों का हार्दिक प्रदेश रहा है, जो शैव आराधना में समर्पित साधकों का पन्थ है। ये वीरशैव मुख्यतः कर्नाटक प्रान्त से सम्बन्धित थे एवं इनका समय मुख्यतः बारहवीं शताब्दी का माना जाता है। इस सम्प्रदाय में प्रमुख रूप से आने वाले सन्तों-कवियों-कवयित्रियों में बसवेश्वर…

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यह सहित्योत्सवों का दौर है. ऐसे में दिल्ली में १६-१८ दिसंबर को इण्डिया हैबिटैट सेंटर, दिल्ली प्रेस और प्रतिलिपि बुक्स की ओर से भारतीय भाषा के साहित्य को \’सेलेब्रेट\’ करने के लिए आयोजन हो रहा है. ज़्यादातर साहित्योत्सव \’सेलिब्रिटी\’ को लेखक बनाने के आयोजन होते हैं, यह लेखक को \’सेलिब्रिटी\’ बनाने का आयोजन है. इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए- जानकी पुल. पिछले कुछ सालों से भारत भर में अलग-अलग जगहों पर कई तरह के साहित्योत्सवों का आयोजन हो रहा है, कुछ दुनिया भर में मशहूर भी हुए हैं. इससे यह तो जरूर हुआ है कि जहाँ जहाँ ऐसे आयोजन…

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आज प्रस्तुत हैं लैटिन अमेरिकन देश पेरू की कवयित्री ब्लांका वरेला की कविताएँ. लगभग सुर्रियल सी उसकी कविताओं के अक्तावियो पाज़ बड़े शैदाई थे. बेहद अलग संवेदना और अभिव्यक्ति वाली इस कवयित्री की कविताओं का मूल स्पैनिश से हिंदी अनुवाद किया है मीना ठाकुर ने. मीना ने पहले भी स्पैनिश से कुछ कविताओं के अनुवाद किए हैं. पाब्लो नेरुदा की जन्म-शताब्दी के साल ‘तनाव’ पत्रिका का एक अंक आया था, जिसके लिए मीना ने नेरुदा की कविताओं के अनुवाद किए थे- जानकी पुल.1.ऐसा होना चाहिए यह ईश्वर का ही चेहरा ऐसा होना चाहिए धूसर बादलों के क्रोध से बंटा आकाश…

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इस बार ३ दिसंबर को \’कवि के साथ\’ कार्यक्रम में लीना मल्होत्रा भी अपनी कविताएँ सुनाएंगी. लीना जी की कविताओं में सार्वजनिक के बरक्स मुखर निजता है जो हिंदी कविता की एक अलग ज़मीन लगती है. ३ दिसंबर को तो दिल्लीवाले उनकी कविताओं को सुनेंगे हम यहाँ पढते हैं- जानकी पुल. ऊब के नीले पहाड़कितना कुछ है मेरे और तुम्हारे बीच इस ऊब के अलावायह ठीक है तुम्हारे छूने से अब मुझे कोई सिहरन नही होती और एक पलंग पर साथ लेटे हुए भी हम अक्सर एक दूसरे के साथ नही होते मै चाहती हूँ कि तुम चले जाया करो अपने लम्बे लम्बे टूरों पर तुम्हारा…

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