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आज प्रसिद्ध कवयित्री सुमन केशरी की एक लंबी कविता \’बीजल से एक सवाल\’. बीजल से उसके प्रेमी ने छल किया था. उसे अपने दोस्तों के हवाले कर दिया. उसने आत्महत्या कर ली. बीजल के बहाने स्त्री-जीवन की विडंबनाओं को उद्घाटित करती यह कविता न जाने कितने सवाल उठाती है और एक लंबा मौन- जानकी पुल.बीजल से एक सवाल कैसेट तले बेतरतीब फटा कॉपी का पन्ना कुछ इबारतें टूटी-फूटी शब्द को धोता बूँद भर आँसू पन्ने का दायाँ कोना तुड़ा़-मुडा़ मसल कर बनाई चिन्दियाँ फैलीं इधर-उधरकुछ मेज पर कई सलवट पड़ी चादर पर तो बेशुमार कमरे मेंफर्श पर इधर-उधरटूटे बिखरे…

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हाल में ही अमेरिका के प्रसिद्ध और विवादास्पद लेखक फिलिप रोथ को मैन बुकर अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिला है. उनके लेखन को लेकर प्रस्तुत है एक छोटा-सा लेख- जानकी पुल.फिलिप रोथ निस्संदेह अमेरिका के जीवित लेखकों में सबसे कद्दावर और लिक्खाड़ लेखक हैं और शायद सबसे विवादास्पद भी. उनकी विशेष पहचान बनी अमेरिकी-यहूदी समुदाय के जीवन को लेकर लिखे गए उपन्यासों से. उनका पहला लघु-उपन्यास ‘गुडबाई कोलंबस’ भी उनके जीवन पर ही आधारित है. इसी उपन्यास से उन्होंने लेखन की एक ऐसी शैली विकसित की जिसमें व्यंग्यात्मक ढंग से गंभीर बातों का वर्णन होता था, जिसकी बाद में उत्तर-आधुनिक उपन्यासों की शैली…

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आज दुष्यंत की कुछ गज़लें-कुछ शेर. जीना, खोना-पाना- उनके शेरों में इनके बिम्ब अक्सर आते हैं. शायद दुष्यंत कुमार की तरह वे भी मानते हैं- ‘मैं जिसे ओढता-बिछाता हूँ/ वो गज़ल आपको सुनाता हूँ.1\’\’मेरे खयालो! जहां भी जाओ। मुझे न भूलो, जहां भी जाओ।थके पिता का उदास चेहरा,खयाल में हो, जहां भी जाओ।घरों की बातें किसे कहोगे,दिलों में रखो, जहां भी जाओ।कहीं परिंदे गगन में ठहरे!मकां न भूलो, जहां भी जाओ। \’\’2\’बडे शहरों अक्सर ख्वाब छोटे टूट जाते हैं बडे ख्वाबों की खातिर शहर छोटे छूट जाते हैं सलीका प्यार करने का जरा सा भी नहीं आता हवाओं को मनाता…

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आज मिलते हैं हाल में ही कांस फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई विवादस्पद फिल्म ‘माई फ्रेंड हिटलर’ के डायरेक्टर राकेश रंजन कुमार से, जिनको दोस्त प्यार से महाशय बुलाते हैं. मुंबई में रहने वाले महाशय वैसे तो रहने वाले बिहार के हैं, लेकिन उनके सपनों की उड़ान में दिल्ली शहर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है- जानकी पुल.जबसे ‘हिटलर माई फ्रेंड’ फिल्म की घोषणा हुई है किसी न किसी कारण से वह लगातार चर्चा में बनी रही है. फिल्म के युवा निर्देशक हैं राकेश रंजन कुमार. दरभंगा के मनीगाछी के रहने वाले इस निर्देशक को लंबे संघर्ष के बाद यह अवसर…

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आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री जी के देहांत के बाद बड़े पैमाने पर इस बात को लेकर चर्चा हुई कि करीब ९५ साल की भरपूर जिंदगी जीने वाले इस लेखक की बहुत उपेक्षा हुई. साहित्य अकादेमी में जो शोकसभा हुई उसमें भी यह कहा गया कि साहित्य अकादेमी में उनके ऊपर पहला कार्यक्रम तब हुआ जब उनका देहांत हो गया. उनके जीते-जी उनकी सुध अकादेमी ने नहीं ली. समय-समय पर अनेक लेखकों को लेकर यह सवाल उठाया जाता है कि उनकी उपेक्षा हो रही है, सरकार और संस्थाएं उनकी सुध नहीं ले रही हैं, आदि-आदि. लेकिन यहाँ एक सवाल यह भी…

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वरिष्ठ पत्रकार-लेखिका गीताश्री की नई पुस्तक आई है सामयिक प्रकाशन से \’औरत की बोली\’. पुस्तक हिंदी में विमर्श के कुछ बंद खिड़की-दरवाज़े खोलती है. प्रस्तुत है पुस्तक की भूमिका का एक अंश- जानकी पुल.घर से ज्यादा बाहर शोर था- \”चतुर्भूज स्थान की सबसे सुंदर और मंहगी बाई आई है।\” बारात के साथ में आई थी बाई, लेकिन बाई को लेकर लोगों में जो उत्सुकता थी, वो बारात आने के उत्साह से कहीं ज्यादा थी। जिधर देखो एक ही चर्चा-\”बाबा की पोती की शादी में चतुर्भूज स्थान की सबसे सुंदर और मंहगी बाई आई है। रात को मजमा लगेगा।\” एक किस्म…

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हिंदी फ़िल्मी गीतों में साहित्यिकता का पुट देने वाले गीतकार योगेश के बारे में लोग कम ही जानते हैं. एक से एक सुमधुर गीत लिखने वाले इस गीतकार के बारे में बता रहे हैं दिलनवाज़- जानकी पुल.हिन्दी फ़िल्मो के सुपरिचित गीतकार योगेश गौड उर्फ़ योगेश का जन्म लखनऊ, उत्तर प्रदेश मे एक मध्यवर्गीय परिवार मे हुआ| आरंभिक शिक्षा लखनऊ के संस्कृति संपन्न माहौल मे हुई, इस तरह योगेश का बचपन और किशोरावस्था यहीं बीते| पिता की असामयिक मृत्यु के कारण पढाई बीच मे ही रोक कर रोज़गार की तलाश मे लग गए| परिवार, मित्रों की सलाह पर मायानगरी मुंबई का…

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