फणीश्वरनाथ रेणु ने बहुत अच्छी कविताएँ भी लिखीं. उनकी एक कविता ‘मेरा मीत शनिचर’ बहुत लोकप्रिय है. फागुन के महीने में उनकी यह कविता भी पढ़ने लायक है.
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यह फागुन की हवा
यह फागुनी हवा
मेरे दर्द की दवा
ले आई…ई…ई…ई
मेरे दर्द की दवा!
आंगन ऽ बोले कागा
पिछवाड़े कूकती कोयलिया
मुझे दिल से दुआ देती आई
कारी कोयलिया-या
मेरे दर्द की दवा
ले के आई-ई-दर्द की दवा!
वन-वन
गुन-गुन
बोले भौंरा
मेरे अंग-अंग झनन
बोले मृदंग मन–
मीठी मुरलिया!
यह फागुनी हवा
मेरे दर्द की दवा ले के आई
कारी कोयलिया!
अग-जग अंगड़ाई लेकर जागा
भागा भय-भरम का भूत
दूत नूतन युग का आया
गाता गीत नित्य नया
यह फागुनी हवा…!
3 Comments
KUCHH KHAAS NAHIN . KAEE JAGAH PAR ANAVASHYAK
SHABDON KAA PRAYOG HUAA HAI . KOYAL KO ALAG SE
` KAAREE ` KAHNA UPYUKT NAHIN . VAH TO HOTEE HEE
KAALEE HAI
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