हाल में युवा लेखिका दिव्या विजय का कहानी संग्रह आया है ‘तुम बारहबानी’। इस संग्रह की बहुत सारगर्भित भूमिका लिखी…
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मनीषा कुलश्रेष्ठ अपनी कृति में हमेशा ही किसी नये विचार और विषय को लेकर आने के कारण पाठकों को चौंकाती…
आज पढ़िए अम्बर पाण्डेय के उपन्यास ‘मतलब हिन्दू’ पर यह टिप्पणी। लिखा है डॉ कुमारी रोहिणी ने। वाणी प्रकाशन से…
यतीन्द्र मिश्र की किताब ‘गुलज़ार सा’ब: हज़ार राहें मुड़ के देखीं’ पर यह टिप्पणी लिखी है कवि-लेखक यतीश कुमार ने।…
प्रवीण कुमार झा हरफ़नमौला लेखक हैं। उनकी नई किताब ‘स्कोर क्या हुआ है?’ पढ़ते हुए इस बात पर ध्यान गया।…