बतौर पाठक यतीन्द्र मिश्र से मेरा पहला परिचय उनकी कविताओं के माध्यम से ही हुआ था। साल था 1999. इससे…
बतौर पाठक यतीन्द्र मिश्र से मेरा पहला परिचय उनकी कविताओं के माध्यम से ही हुआ था। साल था 1999. इससे…
यतीन्द्र मिश्र की किताब ‘गुलज़ार सा’ब: हज़ार राहें मुड़ के देखीं’ पर यह टिप्पणी लिखी है कवि-लेखक यतीश कुमार ने।…