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रोशन भारत, अंधेरा भारत(अरविंद अडिगा के उपन्यास द व्हाइट टाइगर का एक अंश)बंगलोर की ज्यादातर सफल कहानियों की तरह मेरी जीवन कहानी भी बंगलोर से काफी दूर शुरू हुई। अभी तो मैं रोशनी के बीच दिखाई दे रहा हूं, लेकिन मेरी परवरिश अंधेरों में हुई। मैं भारत के एक ऐसे हिस्से की बात कर रहा हूं जो इस देश का करीब एक तिहाई है, धान और गेंहूं के खेतों से भरपूर, जिनके बीच में तालाब होता है जो जलकुंभियों और कमल के फूलों से पटा होता है। उन कमल के फूलों ओर जलकुंभियों को खाती-चबाती भैंसें जिनमें नहाती रहती हैं।…

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जानकी पुल की  यह  पहली पोस्ट है. मेरी अपनी कहानी, जो \’नया ज्ञानोदय\’ में प्रकाशित हुई थी- प्रभात रंजन लाइटर   उस दिन के बाद सब उसे बबलू लाइटर के नाम से बुलाने लगे। नाम तो उसका बबलू सिंह था। जबसे वह राधाकृष्ण गोयनका महाविद्यालय में पढ़ने आया था तबसे उसके इसी नाम की शोहरत फैली थी। इंटर में दाखिला लेते ही उसने अपने नाम का डंका बेलसंड प्रखंड ही नहीं, पूरे सीतामढ़ी जिले में बजवाया था। उस साल उसके विधानसभा क्षेत्र से उसके सजातीय ठाकुर रिपुदमन सिंह ने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा था। उसने कॉलेज के हॉस्टल…

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