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आज पढ़िए युवा कवि देवेश पथ सारिया को। उन्होंने पेरिस यात्रा पर लिखा है- मॉडरेटर =============================== किसी शहर की कई परिभाषाएँ हो सकती हैं। जब शहर पेरिस हो तो उनकी संख्या सतही तौर पर ही बहुत हो जाती है। मसलन, दुनिया का सबसे खूबसूरत शहर, कला के दीवानों का तीर्थ, समृद्ध इतिहास और अद्भुत वास्तुकला का ख़ज़ाना। मुहब्बत का लुत्फ़ बेपर्दा लेने वालों का शहर। दुनिया की फैशन राजधानी। सदियों से कलाकारों को बरबस ही अपनी ओर खींचने वाला शहर। पेंटिंग की दुनिया से ताल्लुक़ रखने वाले किसने ऐतिहासिक पेरिस सलोन्स का नाम नहीं सुना होगा। 2017 में मुझे एक…

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विषय: ‘माया: द सेंस ऑफ वेल्थ’ इवेंट का सफल आयोजन नई दिल्ली, 23 सितंबर 2024: WICCI दिल्ली YCEC की अध्यक्ष अकार्षिका शर्मा, LXME की सीईओ प्रीति राठी गुप्ता, और अनन्या फाउंडेशन की सीईओ डॉ. अर्चना सिंह की उपस्थिति में ‘माया: द सेंस ऑफ वेल्थ’ इवेंट का कल सफलतापूर्वक आयोजन हुआ। इस विशेष कार्यक्रम में 500 से अधिक कामकाजी महिलाओं ने भाग लिया, जिसका उद्देश्य महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता की दिशा में जागरूक करना और उन्हें सशक्त बनाना था। इस आयोजन में LXME की ओर से वित्तीय स्वतंत्रता पर केंद्रित एक पॉलिसी बूट कैंप का आयोजन किया गया, जहां विशेषज्ञों ने…

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मध्यकालीन साहित्य के विद्वान माधव हाड़ा के संपादन में ‘कालजयी कवि और उनका काव्य’ सीरिज़ में अनेक पुस्तकें आई हैं। हाल में ही इस सीरिज़ में कश्मीर की मध्यकालीन कवयित्री ललद्यद के ऊपर उनकी किताब आई है जिसमें ललद्यद की कविताओं के हिन्दी अनुवादों को भी उन्होंने संकलित किया है। यह संकलन अनुवाद नहीं है। यह ललद्यद के कुछ चुने हुए वाखों का भाव रूपांतर है। भाव रूपांतर के लिए ललद्यद के उपलब्ध वाखों के हिंदी, अंग्रेज़ी और संस्कृत रूपांतरों के साथ देवनागरी लिप्यतंरित  कश्मीरी मूल पाठों से सहयोग लिया गया है। जयालाल कौल के संचयन में हिंदी रूपांतर के…

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लगभग पाँच दशक के बाद डॉ मलिक मोहम्मद द्वारा संपादित पुस्तक ‘अमीर ख़ुसरो: भावनात्मक एकता के अग्रदूत’ पुस्तक का प्रकाशन हुआ है। राजपाल एंड संज प्रकाशन से प्रकाशित इस पुस्तक से एक लेख पढ़िए ‘अमीर ख़ुसरो: इतिहासकार के रूप में’, जिसके लेखक हैं यूसुफ़ पठान- मॉडरेटर ================= अमीर ख़ुसरो की रचनाओं पर इतिहास का प्रभाव विशेष रूप से दिखाई देता है। उनके गद्य तथा काव्य साहित्य में इतिहासपरक रचनाओं का ही आधिक्य है। गद्य की अपेक्षा ख़ुसरो ने काव्य की रचना अधिक की है और इस काव्य-साहित्य का अधिष्ठान भी विशेषकर इतिहास ही है। उनके एक ‘दीवान’ (कविता-संग्रह) का नाम…

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आज शंकरानंद की कुछ कविताएँ प्रस्तुत हैं – ============================================================== १.भागने वाले लोग दुनिया में सबसे ज्यादा खतरा ऐसे ही लोगों से है जिनके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता कोई भी समस्या होती है तो वे उसे सुलझाते नहीं और उलझाने के लिए भाग जाते हैं कभी भी कहीं भी भाग जाते हैं वे कहाँ जाते हैं इस बारे में किसी को खबर नहीं होती वे क्या खाते हैं इस बारे में कहा नहीं जा सकता कुछ रहते कैसे हैं कुछ कहा नहीं जा सकता उनके बारे में उनकी बस एक ही आदत होती है कि जरा भी मुश्किल…

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आज पढ़िए गरिमा श्रीवास्तव से संजय श्रीवास्तव की बातचीत। गरिमा श्रीवास्तव जानी-मानी आलोचक, लेखक और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर हैं। आप बातचीत पढ़िए- मॉडरेटर =============================== प्रश्न. आलोचनात्मक लेखन में आपकी रूचि कब और कैसे पैदा हुई ? आप इधर क्या लिख रही हैं ? उत्तर : आलोचना में में मेरी रूचि आरंभ से ही रही है. मैं शुरू से हिन्दी साहित्य की अध्येता रही हूँ और संयोग से गत दो-ढ़ाई दशकों से बारी-बारी से भारत के तीन बड़े केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में हिन्दी साहित्य का अध्यापन भी करती रही हूँ. साल-दो साल यूरोप के एक बड़े विश्वविद्यालय में भी प्रोफ़ेसर…

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आज विद्वान कवि विष्णु खरे को याद करने का दिन है। उनको अपनी ही शैली में गल्पमिश्रित स्मरण लेख में याद कर रहे हैं युवा लेखक प्रचण्ड प्रवीर। याद रहे कि विष्णु खरे ने प्रचण्ड प्रवीर की किताबों ‘अभिनव सिनेमा’ तथा ‘जाना न दिल से दूर’ का लोकार्पण किया था। आप यह टीप पढ़िए- ================================= करीब दस साल होने को आए। संघर्षशील लेखक भूतनाथ ने एक किताब लिखी। उसने सोचा कि यह किताब उसकी अन्य परियोजनाओँ की तरह तो है नहीँ कि तू देखे या न देखे तू जाने या ना जाने, पूरा करेँगे हम तो वादा तेरी गली मेँ।…

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वरिष्ठ कवि लाल्टू के कविता संग्रह ‘दिन भर क्या किया’ पर यह टिप्पणी लिखी है प्रवीण प्रणव ने। प्रवीण माइक्रोसॉफ़्ट के प्रोग्राम मैनेजमेंट के निदेशक हैं और पुष्पक साहित्यिकी के संपादक हैं। लाल्टू के कविता संग्रह का प्रकाशन एकलव्य फाउंडेशन ने किया है। आप समीक्षा पढ़ सकते हैं- मॉडरेटर ======================== बचपन में पढ़ी गई बात याद रह गई – ‘महाजनों येन गतः स पन्था:’ यानी महापुरुष जिस रास्ते चले हों, वही सही रास्ता है। यहाँ अभिप्राय अपने-आप को उस ज्ञान परंपरा से जोड़ने का भी है, जिसकी जड़ें बहुत गहरी हैं। लेखन के क्षेत्र में भी ऐसा ही है। कुछ…

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रंगमंच प्रेमियों द्वारा बेसब्री से इंतजार किए जा रहे वार्षिक इंडिया हैबिटेट सेंटर थिएटर फेस्टिवल देश भर से अद्भुत प्रस्तुतियों के साथ वापस आ गया है। यह फेस्टिवल  उत्कृष्ट नाटकों के चयनित संग्रह के साथ एक बार फिर थिएटर प्रेमियों को रोमांचित करने के लिए तैयार है। फेस्टिवल का यह संस्करण 20 सितंबर से 29 सितंबर 2024 तक इंडिया हैबिटैट सेंटर लोधी रोड़ में आयोजित किया जाएगा। वार्षिक आईएचसी थिएटर फेस्टिवल ‘ए प्ले, ए डे’ के साथ दस दिनों का शानदार रंगमंच उत्सव लेकर आया है, जो आपको भारत भर के समकालीन थिएटर में कुछ अभिनव और सामाजिक रूप से प्रासंगिक अन्वेषणों का एक विहंगम दृश्य प्रदान करेगा। यह संस्करण रचनात्मक…

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वीरेंद्र प्रताप यादव के उपन्यास ‘नीला कॉर्नफ्लावर’ की समीक्षा लिखी है डॉ. अपर्णा दीक्षित ने। आधार प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास की समीक्षा आप भी पढ़ सकते हैं- ====================      साहित्यिक गलियारों में समाजशास्त्रियों की आवाजाही पाठक के तौर पर तो ठीक है, बतौर लेखक कोई ख़ास पसंद नहीं की जाती। ऐसे में एक मानवविज्ञानी का पहला उपन्यास साहित्य जगत में कितनी जगह बना पाएगा ये सोचने वाली बात होगी। इस विषय पर मेरी साहित्य और समाजविज्ञान दोनों ही इदारों से आने वाले विद्वतजनों से बातचीत रही है। कहना गलत न होगा, दोनों तरफ आग बराबर लगी है। मसलन, ख़ालिस…

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