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हिंदी के वरिष्ठ कवि विमल कुमार ने देश की भूली बिसरी तवायफों पर पिछले दिनों कई कविताएं लिखी हैं।उनकी इनमें से कुछ चुनिंदा कविताओं की पुस्तक “तवायफनामा” आ रही है।।शायद ही किसी ने इतनी संख्या में तवायफ गायिकाओं पर कविताएं लिखीं होंगी।।इस पुस्तक में गौहर जान मल्लिका जान, जानकी बाई छप्पन छुरी, असगरी बाई से लेकर मेरे शहर मुजफ्फरपुर की “ढेला बाई” पर भी कविताएं है।यह देखकर मुझे खुशी हुई क्योंकि ये सभी गायिकाएं आज एक इतिहास बन चुकी हैं, एक किवदन्ती बन चुकी हैं। विमल कुमार की इन कविताओं में इतिहास फंतासी और कल्पना भी है।इनमें एक दो गायिकाओं…

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आप लोगों से पूछा था कि क्या आप अनुकृति उपाध्याय की नई कहानी पढ़ना चाहेंगे? क़ायदे से आज उनकी कहानी पढ़वानी चाहिये थे। लेकिन आज पढ़िए प्रमोद द्विवेदी की यह कहानी। मेरा मित्र शशिभूषण द्विवेदी कहता था कि कहानी कहने की कला सीखनी हो तो प्रमोद द्विवेदी की कहानियाँ पढ़नी चाहिए। पढ़कर बताइए- प्रभात रंजन ====================== सावन की दस्तक से पहले आगरा जेल से नफीस भाई की रिहाई के मौके पर मंडी समिति के नासिर भाई सोलंकी ने ठंडी सड़क पर बाबू कुरैशी केलेवाले की पुश्तैनी कोठी पर शानदार जलसे का इंतजाम किया था। खुशी के मौके से ज्यादा पार्टी…

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 04 अक्टूबर, 2024 (शुक्रवार) नई दिल्ली. हम आजकल इतनी जल्दी में है कि तुरन्त सबकुछ हासिल कर लेना चाहते हैं। इस जल्दबाजी में हम अपने मूल्यों और नैतिकता को भुला रहे हैं। हमारी सभ्यता की हजारों वर्षों की यात्रा से हमने जिन मूल्यों को हासिल किया है, वे आज खंडित हो रहे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि मूल्यों के बिना हम जी नहीं सकते। आज हम अपने में ही इतने सिमट रहे हैं कि विपरीत विचारों वाले व्यक्ति से बात तक नहीं करना चाहते। इस तरह के एक बंटे हुए समाज में नीति और नैतिकता के परिप्रेक्ष्य में,…

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हाल में ही प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पट्टनायक की पुस्तक ‘गरुड़ पुराण’ का हिन्दी अनुवाद आया है। मृत्यु, पुनर्जन्म और अमरत्व की अवधारणाओं को समझने के लिए उनके इस भाष्य को पढ़ा जाना चाहिए। राजपाल एंड संज से प्रकाशित इस किताब का अनुवाद किया है मंजुला वालिया ने। आपके लिए किताब की भूमिका प्रस्तुत है- मॉडरेटर  =============================================== वर्षा ऋतु के पश्चात् – विघ्नहर्ता गजानन के दस दिनों के गणेशोत्सव, और नवरात्रि के माता दुर्गा के पूजन के मध्य-हिन्दू पितृ-पक्ष या पितरों का पखवाड़ा मनाते हैं। साल की अँधियारी छमाही के चंद्रमास का यह कृष्ण पक्ष है। यही समय पितरों को भोजन…

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महात्मा गांधी की जयंती पर रामचंद्र गुहा का यह आलेख पढ़िए। अनुवाद मैंने किया है और यह आलेख 2019 में ‘हंस’ में प्रकाशित हो चुका है। आप भी पढ़ सकते हैं- प्रभात रंजन ==================== कई साल पहले जब मैं नेहरू स्मृति संग्रहालय एवं पुस्तकालय में काम कर रहा था तो मुझे किसी अज्ञात तमिल व्यक्ति का पोस्टकार्ड मिला जो उसने महान भारतीय चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, ‘राजाजी’ को लिखा था। यह 1950 के दशक के उत्तरार्ध में लिखा गया था, जिसमें नेहरू, पटेल और राजाजी को क्रमशः महात्मा गांधी के हृदय, हाथ और मस्तक लिखा गया था। यह कितनी उपयुक्त बात है।…

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मार्कस ऑरेलियस की प्रसिद्ध किताब मेडिटेशंस का हिन्दी अनुवाद आया है पेंगुइन स्वदेश से। पहली शताब्दी में वे रोम के सम्राट बने। सम्राट बनने के बाद उन्होंने प्लेग-महामारी से लोगों को मरते देखा, युद्ध में मरते देखा, मित्रों-परिजनों की मृत्यु देखी और यह सब देखकर वे दर्शन शास्त्र की दिशा में मुड़ गये। वे स्टोइक दार्शनिक एपिक्टेटस के विचारों से बहुत प्रभावित हुए। और अपने विचारों को लिखने लगे। प्राचीन दर्शन के सभी स्कूलों में से, स्टोइज़्म ने पूरी तरह से व्यवस्थित होने का सबसे बड़ा दावा किया। स्टोइक के दृष्टिकोण में, दर्शन सद्गुण का अभ्यास है, और सद्गुण, जिसका उच्चतम…

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पेशे से फ्रेंच अध्यापक ऋचा बंगलौर में रहती हैं, लेखन के जरिये अपने को हासिल करना चाहती हैं. यह कहीं भी प्रकाशित होने वाली पहली रचनाएँ हैं- मॉडरेटर ======================= एक सुनो इस तरह जैसे सुनी जाती है सन्नाटे में पत्तियों की सरसराहट पूजाघर की घंटी जब सुनना मात्र क्रिया हो नीरसता निवास करती हो दो टूटी और बिखरी स्त्री का अस्तित्व मकड़ी के जाले के पहले रेशे की तरह है जो दिखाई नहीं देता अस्तित्व के जाल में जकड़ी हुई स्त्री अंतिम रेशे तक पहुंचने के लिए ना जाने कितने प्रहार सहती है प्रत्येक रेशे की रक्षा का भार लिए…

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आज पढ़िए प्रचण्ड प्रवीर की यह पोस्ट- =================== कल की बात – २५९ कल की बात है। जैसे ही मैँने रेस्तराँ मेँ कदम रखा, रिसेप्शन पर खड़े कर्मचारी ने मुझे टोका, “सर क्या आपकी कोई बुकिङ् है?” मैँने कहा, “नूर जहाँ के नाम से दो लोग के लिए टेबल रिजर्व होगी।“ कर्मचारी ने चुस्ती से कहा, “जी, वे आ गयीँ हैँ। आप उधर चले जाइए।“ मेरी नज़र जहाँ पड़ी वहाँ मैँ देखता रह गया नूर जहाँ के बेपनाह हुस्न को। मैँनै इससे पहली उसकी तस्वीर डेटिङ् ऐप पर देखी थी, लेकिन बेजान हुस्न में कहाँ रफ़्तार की अदा, इनकार की…

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आज हिन्दी शायरी को बड़ा मुक़ाम देने वाले दुष्यंत कुमार की जयंती है। दुष्यंत कुमार ने ग़ज़लों के अलावा गद्य और पद्य में खूब लिखा और बेहतर लिखा। आज उनके काव्य-नाटक ‘एक कंठ विषपायी’ पर आज लिखा है वरिष्ठ लेखक डॉ भूपेन्द्र बिष्ट ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ======================== ये दरवाज़ा खोलो तो खुलता नहीं है, इसे  तोड़ने  का  जतन  कर  रहा  हूं. — दुष्यन्त कुमार ===================== दुष्यन्त कुमार का नाम सामने आते ही हमें उनके गज़ल संग्रह “साए में धूप” (1975) की पहली गज़ल का यह मिसरा याद आ जाता है : यहां  दरख़्तों के साए में  धूप …

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हम आज भी स्त्री-पुरुष समानता की बात तो करते हैं लेकिन जैसे यह भूल चुके हैं कि इसके अलावा और भी ‘जेंडर’ हैं, वह हमारे ध्यान में ही नहीं होता। यह हमारी कल्पना से परे है कि बतौर ‘थर्ड जेंडर’ यह दुनिया उनके लिए कैसी है? सोनू यशराज की कहानी ‘चिल्लर’ इन्हीं बातों के इर्द-गिर्द बुनी हुई है। इसमें मार्मिक क्षण वह भी है जब एक थर्ड जेंडर का व्यक्ति, जिसे आमलोग इंसान का दर्ज़ा भी नहीं देते, उसकी सोच में स्त्रियों का भी संघर्ष शामिल है। यह कहानी आप भी पढ़ सकते हैं – अनुरंजनी         …

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