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महेश एलकुंचवार लिखित प्रसिद्ध नाटक ‘आत्मकथा’ का प्रदर्शन इण्डिया हैबिटेट सेंटर में 13 और 14 अगस्त को होने वाला है. एक लेखक के जीवन के अतीत, वर्तमान, भविष्य को उसके जीवन की कुछ प्रमुख घटनाओं के माध्यम से दिखाने का प्रयास इस नाटक में किया गया है. महेश एलकुंचवार ने अपने नाटक ‘पार्टी’ में जिस तरह एक पार्टी के माध्यम से कला-जगत का असली चेहरा दिखया था उसी तरह इस नाटक में उन्होंने एक सफल कलाकार का वास्तविक रूप दिखाने की कोशिश की है.प्रसिद्ध लेखक राज्याध्यक्ष अपनी आत्मकथा एक शोधार्थी प्रदान्या को बताता है- किस तरह राज्याध्यक्ष अपनी पत्नी उत्तरा…

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महेश एलकुंचवार लिखित प्रसिद्ध नाटक ‘आत्मकथा’ का प्रदर्शन इण्डिया हैबिटेट सेंटर में 13 और 14 अगस्त को होने वाला है. एक लेखक के जीवन के अतीत, वर्तमान, भविष्य को उसके जीवन की कुछ प्रमुख घटनाओं के माध्यम से दिखाने का प्रयास इस नाटक में किया गया है. महेश एलकुंचवार ने अपने नाटक ‘पार्टी’ में जिस तरह एक पार्टी के माध्यम से कला-जगत का असली चेहरा दिखया था उसी तरह इस नाटक में उन्होंने एक सफल कलाकार का वास्तविक रूप दिखाने की कोशिश की है.प्रसिद्ध लेखक राज्याध्यक्ष अपनी आत्मकथा एक शोधार्थी प्रदान्या को बताता है- किस तरह राज्याध्यक्ष अपनी पत्नी उत्तरा…

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आज शैलजा पाठक की कविताएँ. इनकी कविताएँ में छोटे-छोटे कस्बों के बड़े बड़े सवाल हैं. इन कविताओं का कस्बाई मन बार-बार ध्यान खींचता है. आपके लिए ११ कविताएँ- मॉडरेटर.==========================================================१नदियाँ इन सूखी नदियों का क्या करें उम्मीदों से भरी होती है किनारों को कुरेदती हैं अपने तेज इच्छा शक्ति वाले नाखूनों से निकाल लेती हैं अपने हिस्से की नमी सोखती है दर्द उदासी हताशा हमारी यादों में मुस्कराती है पिछले साल कैसी भरी थी उमड़ते बादलों में खोजती हैं अपना जीवन बरसेगा तो भर जाउंगी बंटी हुई भी बांटती हैं अपना अकेलापन किनारों से पिछले साल अपने उपर बंधी पीली चुनरी…

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आज शैलजा पाठक की कविताएँ. इनकी कविताएँ में छोटे-छोटे कस्बों के बड़े बड़े सवाल हैं. इन कविताओं का कस्बाई मन बार-बार ध्यान खींचता है. आपके लिए ११ कविताएँ- मॉडरेटर.==========================================================१नदियाँ इन सूखी नदियों का क्या करें उम्मीदों से भरी होती है किनारों को कुरेदती हैं अपने तेज इच्छा शक्ति वाले नाखूनों से निकाल लेती हैं अपने हिस्से की नमी सोखती है दर्द उदासी हताशा हमारी यादों में मुस्कराती है पिछले साल कैसी भरी थी उमड़ते बादलों में खोजती हैं अपना जीवन बरसेगा तो भर जाउंगी बंटी हुई भी बांटती हैं अपना अकेलापन किनारों से पिछले साल अपने उपर बंधी पीली चुनरी…

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आज मुख्यधारा की मीडिया में प्रेमचंद की जयंती पर उनको याद करते हुए कुछ अच्छे लेख प्रकाशित हुए हैं. \’जनसत्ता\’ में शम्भुनाथ ने अच्छा लेख लिखा है. लेकिन वह हमें इतनी सुबह-सुबह उपलब्ध नहीं हो पाया. फिलहाल यह लेख पढ़िए- सदानंद शाही ने लिखा है और यह लेख छपा है \’दैनिक हिन्दुस्तान\’ में- जानकी पुल. ======================================================================= कुछ तारीखें कैलेंडरों पर दर्ज होती हैं और याद रखी जाती हैं, पर कुछ तारीखें ऐसी भी होती हैं, जो दिल के कैलेंडर में दर्ज होती हैं और अनायास याद आ जाती हैं। प्रेमचंद की जन्मतिथि 31 जुलाई ऐसी ही एक तारीख है। काशी…

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आज मुख्यधारा की मीडिया में प्रेमचंद की जयंती पर उनको याद करते हुए कुछ अच्छे लेख प्रकाशित हुए हैं. \’जनसत्ता\’ में शम्भुनाथ ने अच्छा लेख लिखा है. लेकिन वह हमें इतनी सुबह-सुबह उपलब्ध नहीं हो पाया. फिलहाल यह लेख पढ़िए- सदानंद शाही ने लिखा है और यह लेख छपा है \’दैनिक हिन्दुस्तान\’ में- जानकी पुल. ======================================================================= कुछ तारीखें कैलेंडरों पर दर्ज होती हैं और याद रखी जाती हैं, पर कुछ तारीखें ऐसी भी होती हैं, जो दिल के कैलेंडर में दर्ज होती हैं और अनायास याद आ जाती हैं। प्रेमचंद की जन्मतिथि 31 जुलाई ऐसी ही एक तारीख है। काशी…

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