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हाल में ही युवा लेखक दुष्यंत का कहानी संग्रह पेंगुइन से आया है \’जुलाई की एक रात\’. समकालीन जीवन के स्नैप शॉट्स की तरह कहानियां लिखने वाले इस प्रतिभाशाली लेखक की एक कहानी उसी संग्रह से- मॉडरेटर.========दिन के दो बजकर दस मिनट, लंच खत्म होने के तुरंत बाद का समय है। दफ्तर के ज्यादातर लोग लंच लेकर लौट चुके हैं। विकास सिगरेट पीने रुक गया है तो रीना लंच के बाद सेव का ज्यूस और वर्मा कॉफी के लिए, लगभग 15 मिनट लेंगे अभी और।’पल-पल दिल के पास तुम रहती हो।’गाना बजा, वह किशोर का हद दर्जे का दीवाना है, अपने मोबाइल की इस रिंगटोन के लिए…

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हाल में ही युवा लेखक दुष्यंत का कहानी संग्रह पेंगुइन से आया है \’जुलाई की एक रात\’. समकालीन जीवन के स्नैप शॉट्स की तरह कहानियां लिखने वाले इस प्रतिभाशाली लेखक की एक कहानी उसी संग्रह से- मॉडरेटर.========दिन के दो बजकर दस मिनट, लंच खत्म होने के तुरंत बाद का समय है। दफ्तर के ज्यादातर लोग लंच लेकर लौट चुके हैं। विकास सिगरेट पीने रुक गया है तो रीना लंच के बाद सेव का ज्यूस और वर्मा कॉफी के लिए, लगभग 15 मिनट लेंगे अभी और।’पल-पल दिल के पास तुम रहती हो।’गाना बजा, वह किशोर का हद दर्जे का दीवाना है, अपने मोबाइल की इस रिंगटोन के लिए…

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मारियो वर्गास योसा के उपन्यास \’बैड गर्ल\’ की नायिका पर यह छोटा-सा लेख मैंने \’बिंदिया\’ पत्रिका के लिए लिखा था. जिन्होंने नहीं पढ़ा है उनके लिए- प्रभात रंजन.===========================================करीब छह साल पहले मारियो वर्गास योसा का उपन्यास पढ़ा था ‘बैड गर्ल’. पेरू जैसे छोटे से लैटिन अमेरिकी देश के इस लेखक को कुछ साल पहले साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला. कहा जाता है कि गाब्रियल गार्सिया मार्केस के बाद लैटिन अमेरिका के जीवित लेखकों में योसा का नाम सबसे कद्दावर है. इस लेखक को जिन उपन्यासों के कारण महान बताया जाता है ‘बैड गर्ल’ की गिनती उन उपन्यासों में नहीं होती…

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मारियो वर्गास योसा के उपन्यास \’बैड गर्ल\’ की नायिका पर यह छोटा-सा लेख मैंने \’बिंदिया\’ पत्रिका के लिए लिखा था. जिन्होंने नहीं पढ़ा है उनके लिए- प्रभात रंजन.===========================================करीब छह साल पहले मारियो वर्गास योसा का उपन्यास पढ़ा था ‘बैड गर्ल’. पेरू जैसे छोटे से लैटिन अमेरिकी देश के इस लेखक को कुछ साल पहले साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला. कहा जाता है कि गाब्रियल गार्सिया मार्केस के बाद लैटिन अमेरिका के जीवित लेखकों में योसा का नाम सबसे कद्दावर है. इस लेखक को जिन उपन्यासों के कारण महान बताया जाता है ‘बैड गर्ल’ की गिनती उन उपन्यासों में नहीं होती…

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‘नक़्श’ लायलपुरी एक ऐसे शायर हैं जिन्होंने फिल्मों में भी कई अर्थपूर्ण गीत लिखे. आज उनकी कुछ चुनिन्दा ग़ज़लें- मॉडरेटर.===================1.तुझको सोचा तो खो गईं आँखेंदिल का आईना हो गईं आँखेंख़त का पढ़ना भी हो गया मुश्किलसारा काग़ज़ भिगो गईं आँखेंकितना गहरा है इश्क़ का दरियाउसकी तह में डुबो गईं आँखेंकोई जुगनू नहीं तसव्वुर काकितनी वीरान हो गईं आँखेंदो दिलों को नज़र के धागे सेइक लड़ी में पिरो गईं आँखेंरात कितनी उदास बैठी हैचाँद निकला तो सो गईं आँखें\’नक़्श\’ आबाद क्या हुए सपनेऔर बरबाद हो गईं आँखें2.वो आएगा दिल से दुआ तो करोनमाज़े-मुहब्बत अदा तो करोमिलेगा कोई बन के उनवान भीकहानी…

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‘नक़्श’ लायलपुरी एक ऐसे शायर हैं जिन्होंने फिल्मों में भी कई अर्थपूर्ण गीत लिखे. आज उनकी कुछ चुनिन्दा ग़ज़लें- मॉडरेटर.===================1.तुझको सोचा तो खो गईं आँखेंदिल का आईना हो गईं आँखेंख़त का पढ़ना भी हो गया मुश्किलसारा काग़ज़ भिगो गईं आँखेंकितना गहरा है इश्क़ का दरियाउसकी तह में डुबो गईं आँखेंकोई जुगनू नहीं तसव्वुर काकितनी वीरान हो गईं आँखेंदो दिलों को नज़र के धागे सेइक लड़ी में पिरो गईं आँखेंरात कितनी उदास बैठी हैचाँद निकला तो सो गईं आँखें\’नक़्श\’ आबाद क्या हुए सपनेऔर बरबाद हो गईं आँखें2.वो आएगा दिल से दुआ तो करोनमाज़े-मुहब्बत अदा तो करोमिलेगा कोई बन के उनवान भीकहानी…

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अलका सरावगी के उपन्यासों में बतकही के अंदाज में हमारे समय का जटिल यथार्थ बहुत सहजता से आता है. मेरे जैसे पाठक उनके उपन्यास का इंतज़ार करते हैं. आज अगर हिंदी उपन्यासों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा होती है तो उसमें अलका जी के उपन्यासों का भी योगदान है. आपके लिए उनके नए लिखे जा रहे उपन्यास का अंश- प्रभात रंजन.=====================जानकीदास तेजपाल हाऊस‘चलते रहो। चलते रहो। पीछे मुड़कर मत देखो। तेज मत चलो। ऐसे चलो जैसे कुछ हुआ ही न हो। हाँफ क्यों रहे हो? चलते जाओ’- अपने से बात करता जयदीप उसी तरह चलता रहा। न उसने रुककर पीछे…

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अलका सरावगी के उपन्यासों में बतकही के अंदाज में हमारे समय का जटिल यथार्थ बहुत सहजता से आता है. मेरे जैसे पाठक उनके उपन्यास का इंतज़ार करते हैं. आज अगर हिंदी उपन्यासों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा होती है तो उसमें अलका जी के उपन्यासों का भी योगदान है. आपके लिए उनके नए लिखे जा रहे उपन्यास का अंश- प्रभात रंजन.=====================जानकीदास तेजपाल हाऊस‘चलते रहो। चलते रहो। पीछे मुड़कर मत देखो। तेज मत चलो। ऐसे चलो जैसे कुछ हुआ ही न हो। हाँफ क्यों रहे हो? चलते जाओ’- अपने से बात करता जयदीप उसी तरह चलता रहा। न उसने रुककर पीछे…

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हाल के दिनों में आभासी दुनिया में सबसे लम्बी बहस जो चली वह कवि कमलेश के उस बातचीत को लेकर चली जो \’समास\’ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी. उसी बातचीत के आधार पर उनको साहित्य में दाखिल-ख़ारिज किया जाता रहा, लेकिन उनकी कविताओं को लेकर कोई बहस नहीं हुई. मुझे लगता है कि आभासी दुनिया की बहसें व्यक्ति-केन्द्रित अधिक होती गई हैं, वे बहसें रचनाओं के आधार पर नहीं होती. यह दुर्भाग्य की बात है कि उदयप्रकाश का मूल्यांकन हम उनकी कहानियों के आधार पर नहीं करते उन्होंने किसके हाथ से पुरस्कार ले लिए इसके आधार पर करने लगते हैं.…

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हाल के दिनों में आभासी दुनिया में सबसे लम्बी बहस जो चली वह कवि कमलेश के उस बातचीत को लेकर चली जो \’समास\’ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी. उसी बातचीत के आधार पर उनको साहित्य में दाखिल-ख़ारिज किया जाता रहा, लेकिन उनकी कविताओं को लेकर कोई बहस नहीं हुई. मुझे लगता है कि आभासी दुनिया की बहसें व्यक्ति-केन्द्रित अधिक होती गई हैं, वे बहसें रचनाओं के आधार पर नहीं होती. यह दुर्भाग्य की बात है कि उदयप्रकाश का मूल्यांकन हम उनकी कहानियों के आधार पर नहीं करते उन्होंने किसके हाथ से पुरस्कार ले लिए इसके आधार पर करने लगते हैं.…

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