आज युवा कवयित्री प्रकृति करगेती की कविताएँ. इनको पढ़ते हुए लगता है कि समकालीन कविता की संवेदना ही नहीं भाषा भी कुछ-कुछ बदल रही है-जानकी पुल.==========================================कंकालएक कंकाल लिएचल देते हैंहर ऑफिस में।कंकाल है रिज्यूमे का।हड्डियों के सफ़ेद पन्नों पेकुछ ख़ास दर्ज है नहींन ख़ूनन धमनियाँकुछ भी तो नहीं….दर्ज है बस खोखली सी खोपड़ीदो छेदों सेसपने लटकते हैंनाक नाकारा हैसूंघती नहीं है मौकों कोज़बान नदारद हैकाले जर्जर दांत हैं बसकपकपाते।पलट के देखोगे पन्नेतो नज़र आयेंगेपसलियों की सलाखों को पकड़ेकुछ कैद ख्याल,टुकटुकी लगाये, बहार देखते।ये पन्नों का कंकाल हैइसमें कोई हरकत नहींकई दफ़ा मर चुका है येपर न जाने क्यूँ, कूड़ेदान के कब्रिस्तान सेबार बार उठ…
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निजार कब्बानी की कुछ कविताओं के बहुत आत्मीय अनुवाद कवयित्री-कथाकार अपर्णा मनोज ने किये हैं. कुछ चुने हुए अनुवाद आपके लिए- मॉडरेटर.============================= निज़ार को पढ़ना केवल डैमस्कस को पढना नहीं है या एक देश की त्रासदी को पढना भी नहीं -यह हर अकेले व्यक्ति की मुक्ति की जिजीविषा का संघर्ष है जिसका पूर्वदृश्य कट्टर परम्पराओं,अलंघनीय यौन वर्जनाओं और राजनैतिक दबाओं से तैयार हुआ .औरत के लिए कब्बानी की कविता गॉस्पेल के साथ खुद की तलाश भी है .उनकी पुस्तक \”ओन एंटरिंग द सी \”से मैंने इस लम्बी कविता को लिया है.आठ में से चार अंश यहाँ हैं.मूल से अंग्रेजी अनुवाद लेना…
निजार कब्बानी की कुछ कविताओं के बहुत आत्मीय अनुवाद कवयित्री-कथाकार अपर्णा मनोज ने किये हैं. कुछ चुने हुए अनुवाद आपके लिए- मॉडरेटर.============================= निज़ार को पढ़ना केवल डैमस्कस को पढना नहीं है या एक देश की त्रासदी को पढना भी नहीं -यह हर अकेले व्यक्ति की मुक्ति की जिजीविषा का संघर्ष है जिसका पूर्वदृश्य कट्टर परम्पराओं,अलंघनीय यौन वर्जनाओं और राजनैतिक दबाओं से तैयार हुआ .औरत के लिए कब्बानी की कविता गॉस्पेल के साथ खुद की तलाश भी है .उनकी पुस्तक \”ओन एंटरिंग द सी \”से मैंने इस लम्बी कविता को लिया है.आठ में से चार अंश यहाँ हैं.मूल से अंग्रेजी अनुवाद लेना…
मैथिली भाषा के प्रसिद्ध कवि, कथाकार, आलोचक जीवकांत जी का निधन हो गया. सहज भाषा के इस महान लेखक को अविनाश दास ने बहुत आत्मीयता के साथ याद किया है अपने इस जीवन से भरे लेख में. उनके लेख के साथ जीवकांत जी की स्मृति को प्रणाम- मॉडरेटर.==============पिछले दस सालों में जीवकांत जी के दस पोस्टकार्ड आये होंगे। मैंने शायद एक भी नहीं भेजा होगा। यह कर्तव्य निबाहने और कर्तव्य से चूकने का अंतर नहीं है। जीवकांत जी जैसे कुछ लोग हमेशा रिश्तों को लेकर सच्चे होते हैं और हम जैसे लोग मिट्टी के छूटने के साथ ही मिजाज से…
मैथिली भाषा के प्रसिद्ध कवि, कथाकार, आलोचक जीवकांत जी का निधन हो गया. सहज भाषा के इस महान लेखक को अविनाश दास ने बहुत आत्मीयता के साथ याद किया है अपने इस जीवन से भरे लेख में. उनके लेख के साथ जीवकांत जी की स्मृति को प्रणाम- मॉडरेटर.==============पिछले दस सालों में जीवकांत जी के दस पोस्टकार्ड आये होंगे। मैंने शायद एक भी नहीं भेजा होगा। यह कर्तव्य निबाहने और कर्तव्य से चूकने का अंतर नहीं है। जीवकांत जी जैसे कुछ लोग हमेशा रिश्तों को लेकर सच्चे होते हैं और हम जैसे लोग मिट्टी के छूटने के साथ ही मिजाज से…
फ्रैंक हुजूर ने कुछ साल पहले भारतीय उप-महाद्वीप के महानतम क्रिकेट खिलाडियों में से एक इमरान खान की जीवनी अंग्रेजी में लिखी थी और उसकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई थी. इस बार वे ‘सोहो: जिस्म से रूह का सफ़र’ के साथ आये हैं जो सेन्ट्रल लन्दन के सेक्स स्टूडियोज और उससे जुड़े तमाम किरदारों और उनके काम करने के ढंग को लेकर है, एक रहस्यमयी दुनिया को लेकर रोचक किताब. \’हिंदी युग्म ने हाल के दिनों में हिंदी पुस्तकों से पाठकों को जोड़ने की जो स्वागतयोग्य पहल की है यह किताब उसकी एक कड़ी है. हिंदी युग्म के इस प्रयास…
फ्रैंक हुजूर ने कुछ साल पहले भारतीय उप-महाद्वीप के महानतम क्रिकेट खिलाडियों में से एक इमरान खान की जीवनी अंग्रेजी में लिखी थी और उसकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई थी. इस बार वे ‘सोहो: जिस्म से रूह का सफ़र’ के साथ आये हैं जो सेन्ट्रल लन्दन के सेक्स स्टूडियोज और उससे जुड़े तमाम किरदारों और उनके काम करने के ढंग को लेकर है, एक रहस्यमयी दुनिया को लेकर रोचक किताब. \’हिंदी युग्म ने हाल के दिनों में हिंदी पुस्तकों से पाठकों को जोड़ने की जो स्वागतयोग्य पहल की है यह किताब उसकी एक कड़ी है. हिंदी युग्म के इस प्रयास…
कुछ समय पहले गीतकार शैलेन्द्र की कविताओं का संचयन प्रकाशित हुआ \’अन्दर की आग\’. शंकर शैलेन्द्र के नाम से प्रतिबद्ध कविता लिखने वाले इस कवि को ख्याति मिली गीतकार शैलेन्द्र के रूप में. इन कविताओं के माध्यम से एक और शैलेन्द्र से परिचय होता है. इस पुस्तक के सम्पादन और पहली बार शैलेन्द्र की कविताओं को हम पाठकों तक पहुंचाने का काम किया है रमा भारती ने. उसी संग्रह से कुछ कविताएँ- जानकी पुल.=========1.पूछ रहे हो क्या अभाव है पूछ रहे हो क्या अभाव है तन है केवल प्राण कहाँ है?डूबा-डूबा सा अंतर है यह बिखरी-सी भाव लहर है, अस्फुट…
कुछ समय पहले गीतकार शैलेन्द्र की कविताओं का संचयन प्रकाशित हुआ \’अन्दर की आग\’. शंकर शैलेन्द्र के नाम से प्रतिबद्ध कविता लिखने वाले इस कवि को ख्याति मिली गीतकार शैलेन्द्र के रूप में. इन कविताओं के माध्यम से एक और शैलेन्द्र से परिचय होता है. इस पुस्तक के सम्पादन और पहली बार शैलेन्द्र की कविताओं को हम पाठकों तक पहुंचाने का काम किया है रमा भारती ने. उसी संग्रह से कुछ कविताएँ- जानकी पुल.=========1.पूछ रहे हो क्या अभाव है पूछ रहे हो क्या अभाव है तन है केवल प्राण कहाँ है?डूबा-डूबा सा अंतर है यह बिखरी-सी भाव लहर है, अस्फुट…
महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की वेबसाईट \’हिंदी समय\’ पर तेजी ईशा ने उन पुस्तकों की सूची प्रस्तुत की है जो महात्मा गाँधी पढ़ा करते थे. हमने सोचा अपने पाठकों से भी साझा कर लें- मॉडरेटर.===============Abott, Lyman: What Christianity Means To Me: A Spiritual AutobiographyAdvice To A MotherJoseph Addison: EssaysRev. T.: James: Aesop\’s FablesAIi, Amir: History of The SaracensAli, Amir Syed: Spirit of Islam: A History of The Evolution and Ideals of IslamAllison, Dr, T. R.: Hygienic MedicineAllison, Dr: T. R.: Writings on Health and HygieneAndrew, Charles Freer: What I Owe To ChristAndrews, Charles Freer: Zaka Ullah of DelhiAnnual Report…