यह बताने की आवश्यकता नहीं लगती है कि नागार्जुन वैद्यनाथ मिश्र के नाम से मैथिली में कविताएँ लिखते थे और उनको साहित्य अकादमी का पुरस्कार मैथिली के कवि के रूप में ही मिला था. उनकी जन्मशताब्दी के अवसर पर उनकी कुछ मैथिली कविताओं का अनुवाद युवा कवि त्रिपुरारि कुमार शर्मा ने किया है. अंतिम कविता स्वयं बाबा नागार्जुन के अनुवाद में है- जानकी पुल.1. हाँ, अब हुई बारिशप्रतीक्षा में बीत गये कई पहरप्रतीक्षा में बदन के रोएं-रोएं से, पसीना निकला घड़ा भर-भरके प्रतीक्षा में रूक गया पेड़ का पत्ता-पत्ता, नहीं बरसी फुहार भी प्रतीक्षा में सूरज रह गया ढँका हुआ…
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दो सालों से हिंदी में उपन्यासों को लेकर कोई चर्चा नहीं हो रही थी. चर्चा के केद्र में नए-नए कथा-कथा लेखक आ गए थे. कुछ पुरनिया इनको सर पर बिठाए फिर रहे थे, कुछ मिनरल वाटर पी-पे कर कोस रहे थे. ऐसे में एक साथ आठ उपन्यास प्रकाशित करके लगता है वाणी प्रकाशन पाठकों का ध्यान एक बार फिर उपन्यासों की तरफ मोडना चाहती है. 8 दिसंबर की सर्द संध्या लगता है इन उपन्यासों की चर्चा से गर्म रहने वाली है. उपन्यासों में असगर वजाहत का \’पहर दोपहर\’, रमेशचंद्र शाह का \’असबाबे वीरानी\’. ध्रुव शुक्ल का \’उसी शहर में उसका…
आज राकेश श्रीमाल की कविताएँ. संवेदनहीन होते जाते समय में उनकी कविताओं की सूक्ष्म संवेदनाएं हमें अपने आश्वस्त करती हैं कि अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है. राकेश श्रीमाल मध्यप्रदेश कला परिषद की मासिक पत्रिका ‘कलावार्ता’ के संपादक, कला सम्पदा एवं वैचारिकी ‘क’ के संस्थापक मानद संपादक के अलावा ‘जनसत्ता’ मुंबई में 10 वर्ष संपादकीय सहयोग देने के बाद इन दिनों महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में हैं। जहां से उन्होंने 7 वर्ष ‘पुस्तक वार्ता’ का सम्पादन किया। वे ललित कला अकादमी की कार्यपरिषद के सदस्य रह चुके हैं। वेब पत्रिका ‘कृत्या’ (हिन्दी) के वे संपादक है। कविताओं की…
शिव कृष्ण बिस्सा मशहूर शायर शीन काफ निजाम के नाम से जाने जाते हैं. सूफियाना अंदाज़ के इस शायर की कुछ गज़लें प्रस्तुत हैं- जानकी पुल.1. पहले ज़मीन बांटी थी फिर घर भी बंट गयाइंसान अपने आप में कितना सिमट गया.अब क्या हुआ कि खुद को मैं पहचानता नहींमुद्दत हुई कि रिश्ते का कुहरा भी छंट गयाहम मुन्तजिर थे शाम से सूरज के दोस्तों लेकिन वो आया सर पे तो कद अपना घट गयागांव को छोड़कर तो चले आए शहर मेंजाएँ किधर कि शहर से भी जी उचट गयाकिससे पनाह मांगें कहाँ जाएँ, क्या करेंफिर आफताब रात का घूंघट उलट गयासैलाबे-नूर…
निदा फाजली ने कुछ शायरों के ऊपर बहुत रोचक ढंग से लिखा है. यहाँ उनका लेख शायर-गीतकार शकील बदायूंनी पर. कुछ साल पहले वाणी प्रकाशन से उनकी एक किताब आई थी \’चेहरे\’ उसमें उनका यह लेख संकलित है. ============= शेक्सपियर ने 1593 से 1600 के दरमियान एक सौ चौवन सॉनेट भी लिखे थे. उसमें से एक सॉनेट उन्होंने अपनी प्रेयसी के सौन्दर्य के बारे में कुछ मिसरे लिखे थे. उनका मुक्त अनुवाद इस तरह है: मेरे लफ़्ज़ों में ये ताकत कहाँ जो तेरी आँखों की तस्वीर बनायें तेरे हुस्न की सारी खूबियां दिखाएँ अगर ये मुमकिन भी हो, तो आने वाले…
गाब्रियल गार्सिया मार्केज़ के साथ पीटर एच. स्टोन की बातचीत का सम्पादित अंश जिसका अनुवाद मैंने किया है- प्रभात रंजन. प्रश्न- टेपरिकार्डर के उपयोग के बारे में आप क्या सोचते हैं? मार्केज़- मुश्किल यह है कि जैसे ही आपको इस बात का पता चलता है कि इंटरव्यू को टेप किया जा रहा है, आपका रवैया बदल जाता है. जहाँ तक मेरा सवाल है मैं तो तुरंत रक्षात्मक रुख अख्तियार कर लेता हूँ. एक पत्रकार के रूप में मुझे लगता है कि हमने अभी यह नहीं सीखा है कि इंटरव्यू के दौरान टेपरिकार्डर किस तरह से उपयोग किया जाना चाहिए.…
चीन में लाओत्से के के विचारों की बड़ी मान्यता थी. कहते हैं वह कन्फ्यूशियस का समकालीन था. जब उसने अपने ज्ञान को लिपिबद्ध किया तो वह कविताओं के रूप में सामने आया. ताओवाद के प्रवर्तक के विचार ‘ताओ ते छिंग’ में संकलित है. अभी उसका एक चुनिन्दा संकलन राजकमल प्रकाशन ने छापा है. अनुवाद वंदना देवेन्द्र ने किया है. कुछ चुनी हुई विचार कविताएँ- जानकी पुल.(1)जीवन लोग अभावग्रस्त व भूखे क्यों हैं? क्योंकि शासक करों के रूप में धन खा जाता हैअतः लोग भूखे मर रहे हैंलोग विद्रोही क्यों हैं?क्योंकि शासक अत्यधिक हस्तक्षेप करता हैअतः लोग विद्रोहात्मक हैंलोग मृत्यु के…
जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा को वैसे तो जासूसी उपन्यासों के लेखक के रूप में जाना जाता है, जिसको हिंदी का गंभीर पाठक समुदाय हिकारत की दृष्टि से देखता है. ऐसे में शायद ही किसी का ध्यान इस ओर गया हो कि उन्होंने ऐसे कई उपन्यास लिखे जिनको साहित्यिक कहा जा सकता है. लेकिन सब लुगदी में छपा और धीरे-धीरे विलुप्त हो गया. ऐसा ही एक विलुप्त उपन्यास है ‘दूसरा ताजमहल’. जो १८वीं-१९वीं शताब्दी के शायर नजीर अकबराबादी के जीवन पर आधारित है. उस नजीर अकबराबादी के जिनके बारे में लेखक ने लिखा है कि वह न तो दरगाह का शायर…
अज्ञेय की जन्म-तिथि के अवसर पर आज प्रस्तुत है उनके घोषित शिष्य मनोहर श्याम जोशी द्वारा लिखा गया एक व्यक्ति-चित्र जिसमें अज्ञेय के व्यक्तित्व को बहुत रोचक ढंग से खोला गया है. ‘बातों-बातों में’ संकलित लेख का एक सम्पादित अंश- जानकी पुल. ============================= अगर जैनेन्द्र गांधी स्मारक निधि हैं तो सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ नेहरु अभिनन्दन ग्रन्थ हैं. जिस तरह नेहरु ‘डिस्कवरी ऑफ इण्डिया’ और ग्लिम्प्सेज़ ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री’ का और गांधी और मार्क्स का समन्वय करके भारतीय राजनीति में छा गए, उसी तरह अज्ञेय पूर्व और पश्चिम, लोक-मानस और अभिजात-मानस, अतीत और भविष्य, परंपरा और प्रयोग को घोल के…
भारतीय अंग्रेजी के आरंभिक उपन्यासों में से एक \’स्वामी एंड फ्रेंड्स\’ के प्रकाशन के 75 साल हो गए. लेकिन उसका गांव मालगुडी, उसका बच्चा स्वामी आज भी हमारी स्मृतियों में वैसे के वैसे बने हुए हैं- जानकी पुल.१९३५ में भारतीय अंग्रेजी के आरंभिक लेखकों में एक आर. के. नारायण ने एक औपन्यासिक गांव बसाया था मालगुडी. ७५ साल हो गए वह उपन्यास ‘स्वामी एंड फ्रेंड्स’ और उसका गांव मालगुडी करोड़ों पाठकों की स्मृतियों में आज भी वैसा का वैसा बसा हुआ है. आर. के नारायण अपने दीर्घ जीवनकाल के दौरान करीब २९ उपन्यास लिखे लेकिन ‘स्वामी एंड फ्रेंड्स’ की बात…