‘नक़्श’ लायलपुरी एक ऐसे शायर हैं जिन्होंने फिल्मों में भी कई अर्थपूर्ण गीत लिखे. आज उनकी कुछ चुनिन्दा ग़ज़लें- मॉडरेटर.===================1.तुझको…
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अलका सरावगी के उपन्यासों में बतकही के अंदाज में हमारे समय का जटिल यथार्थ बहुत सहजता से आता है. मेरे…
हाल के दिनों में आभासी दुनिया में सबसे लम्बी बहस जो चली वह कवि कमलेश के उस बातचीत को लेकर…
पिछले दिनों एक खबर आई कि एक प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक ने दशरथ माझी के जीवन पर आधारित फिल्म बनाई है.…
कल श्री गिरिराज किराडू ने हमारी भाषा के वरिष्ठ कवि-आलोचक-संपादक श्री अशोक वाजपेयी को उनकी बातों के सन्दर्भ में स्पष्टीकरण…
श्री अशोक वाजपेयी का यह ईमेल हमें प्राप्त हुआ है जिसमें उन्होंने ‘प्रतिलिपि बुक्स’ को लेकर कुछ बातों को स्पष्ट…
समकालीन हिंदी कविता की एक मुश्किल यह है कि वह ‘पोलिटिकली करेक्ट’ होने के प्रयास में अधिक रहती है, लेकिन…
‘कथादेश’ के जून 2013 के अंक में प्रसिद्ध लेखिका-आलोचिका अर्चना वर्मा का लेख प्रकाशित हुआ है ‘असहमति और विवाद की संस्कृति’ शीर्षक…
ऋतुपर्णो घोष का जाना सचमुच अवाक कर गया. साहित्य और सिनेमा के खोये हुए रिश्ते को जोड़ने वाले इस महान निर्देशक…
कुछ दिन पहले सुमन केशरी की कविताओं के संकलन ‘मोनालिसा की आँखें’ का विमोचन हुआ. सुमन जी शब्दों को इतनी आत्मीयता के…